भारत में लोगों की पहुंच तक जब से सस्ता 4जी इंटरनेट आया है तब से सोशल मीडिया पर कुछ भी चैलेंज, (जिसे तकनीकी भाषा में सोशल मीडिया ट्रेंड भी कहते हैं) किसी को भी दे दो…वो किसी सूखे बाड़ में लगी आग की तरह फैल जाएगा।
कभी हम किकी चैलेंज पर नाचते हैं तो कुछ दिन Falling Stars चैलेंज में गिरते-पड़ते दिखते हैं। पिछले एक हफ्ते से जिस चीज का खुमार लोगों पर है उसका नाम है FACEAPP.
यह एक ऐसा ऐप्प है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आपके बालों में सफेदी और चेहरे पर झुर्रियां दिखाकर 30-40 साल आगे ले जाता है, और कुछ ही सैकेंड में आपका आर्टिफिशियल, कल्पनीय बुढ़ापा आपकी स्क्रीन पर चमकने लगता है।
सोशल मीडिया पर यह चैलेंज वायरल होते ही देश-दुनिया की मशहूर हस्तियों, नेताओं, आपके और हमारे सभी दोस्तों, उनके दोस्तों, उनके पालतू जानवरों आदि सभी के बुढ़ापे की फोटो से सोशल मीडिया लबालब हो गया।
हालांकि कुछ ही देर बाद ऐप्प को लेकर डेटा प्राइवेसी पर भी सवाल खड़े होने लगे, जहां भारत में आधार डेटा चोरी का खौफ खाए लोग डेटा चोरी पर चिंतित थे तो विदेशों में डेटा को लेकर सतर्क लोग बोलने लगे, हर बार की तरह कंपनी ने इन सबको एक साथ सिरे से खारिज कर दिया।
बुढ़ापा और युवाओं का क्रेज !
फेसऐप के खुमार को देखना वाकई दिलचस्प है क्योंकि जहां एक तरफ ऐसी फोटो-एडिटिंग ऐप्स की भरमार है जिनके फिल्टर्स से कुछ अपनी झुर्रियां छुपाते हैं तो कुछ आंखों के काले धब्बे मिटाते हैं। वहीं फेसऐप के जरिए हम हमारे बुढ़ापे को पिछले 7-8 दिनों से अलग-अलग तरीकों से निहार रहे हैं।
बेशक, हमारा समाज हमेशा से युवा दिखने की चाहत में रहा है। आज ब्यूटी, एंटी एजिंग प्रोडक्ट्स के बिजनेस और प्लास्टिक सर्जरी जैसे मार्केट्स में सबसे ज्यादा पैसे लुटाने वाला युवा ही है।
तो फिर, क्यों हम धड़ाधड़ हमारी बुढ़ापे वाली फोटो की नुमाइश कर रहे हैं !
जाहिर है, दाढ़ी के दो बाल भी ऊपर-नीचे होने पर बैचेन होने वाला युवा समाज एक अंदरूनी खुशी और संतुष्टि के साथ बुढ़ापा दबा के शेयर कर रहा है, क्योंकि…क्योंकि…फेसएप हमें वो बुढ़ापा दिखाता है जो हमारे ‘मन की आंखें’ देखना चाहती हैं। यह हमारे चेहरे पर कुछ झुर्रियां और बालों को सफेदी से भर देता है।
ये नहीं दिखाता कि हम जो सिगरेटें फूंक रहे हैं, वो चेहरे पर कैसी दिखेंगी, ये नहीं दिखाता कि गटकी हुई शराब की बोतलें कितना चेहरे को बिगाड़ेंगी, ये नहीं दिखाता कि हमारा खान-पान, आसपास का माहौल हमारे चेहरे की कौनसी तस्वीर बना रहा है।
हम लाइट जाने पर भी भगवान लाइट दे दो ही बोलते हैं क्योंकि इंसानी फितरत हमेशा से आशावादी दृष्टिकोण की रही है, ऐसे में हमारी बुढ़ापे की कथित सुंदर तस्वीर मन को सुहाती है।
एक अच्छी बात भी है अगर गौर करो तो….
वैसे सोचो तो यह सब इतना बुरा भी नहीं है, क्योंकि बूढ़ा चेहरा चाहे वो आर्टिफिशियल ही क्यों ना हों, देखकर हम आने वाली उम्र की असलियत को बेहतर तरीके से संभालने के लिए तैयार हो सकते हैं।
आखिर में ये Faceapp क्या है ?
फेसएप को एक रूसी कंपनी वायरलैस लैब ने बनाया है। यह अपने फिल्टर्स से किसी शख्स के बुढ़ापे की संभावित तस्वीर बनाने के लिए आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस और न्यूरल इंजन नाम की एक तकनीक को काम में लेता है।
यह पहली बार नहीं है, फेसएप सबसे पहले साल 2017 में आई थी जब एप ने एथनिसिटी फिल्टर लॉन्च किया था जिसमें यूजर अपनी बदली हुई नस्ल की फोटो देख सकता था, माने कि एशियाई मूल वाला व्यक्ति यह देख सकता था कि अगर वह अफ्रीकी होता तो कैसा दिखाई देता।
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