बॉलीवुड के कई लोगों और भाई तुषार कपूर के नक्शे-कदम पर चलते हुए अभिनेता जितेंद्र की बेटी और प्रोड्यूसर एकता कपूर हाल में सरोगेसी तकनीक के जरिए एक बच्चे की मां बन गई है। एकता के लिए सरोगेट मदर ने 27 जनवरी को बच्चे को जन्म दिया। भारत में फिल्म जगत में सरोगेसी के जरिए मां बनने का काफी चलन है।
ऐसे में आज हम आपको बताते हैं भारत में इस तकनीक के जमीनी हालातों के बारे में।
भारत में किराए की कोख यानि की सरोगेसी से बच्चे पैदा करना, इसका बाजार लगभग 63 अरब रुपये से भी ज्यादा का हो गया है। गर्भ धारण करने के लिए सरोगेट मदर्स को डॉर्मेट्री में रखा जाता है, जिसे कुछ आलोचना करने वाले ‘बेबी फैक्टरी’ भी कहते हैं। सरोगेसी के जरिए निःसंतान लोगों को संतान सुख तो दिया जा सकता है लेकिन जो सरोगेट मदर बनती है उनके हालात दयनीय हैं और वो पैसों के लिए बिना सोचे-समझे अपने गर्भ में किसी दूसरे का भ्रूण पालती है।
इसके अलावा सरोगेट मदर्स इसके पीछे यह तर्क देती हैं कि भारत में परिवारिक संबंध काफी मजबूत डोर से बंधे होते हैं ऐसे में अपने बच्चे की पढ़ाई के लिए या उसके लिए मां कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाती है।
सरोगेसी सिटी
गुजरात के एक छोटे से शहर आणंद को वैसे तो अमूल दूध के नाम से जाना जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों में यहां एक के बाद एक सरोगेसी क्लिनिक खुल रहे हैं। यहां के अस्पतालों में 100 से ज्यादा सरोगेट मदर्स रहती हैं। सरोगेट मदर्स के लिए जो डॉर्मेट्री बनाई जाती है उसमें नर्सें उनका हर पल ख्याल रखती है।
नियम-कायदे
जिन डॉर्मेट्री में महिलाओं को रखा जाता है उस दौरान महिलाओं को कुछ खास नियमों का भी पालन करना होता है। जैसे-
सरोगेट मदर इस दौरान किसी के साथ भी शारीरिक संबंध नहीं बना सकती है।
सरोगेट मदर्स को डॉर्मेट्री में ही रहना होता है।
किसी भी दुर्घटना के लिए दंपति, अस्पताल या डॉक्टर जिम्मेदार नहीं होता है।
हफ्ते में एक दिन ही पति एवं बच्चे अपनी माताओं से मिल सकते हैं।
कोई भी महिला अधिकतम तीन बार सरोगेट मदर बन सकती है।
पैसे कितने मिलते हैं ?
आइवीएफ क्लीनिक और सरोगेसी को लेकर हमारे देश में आज भी कई तरह के विवाद हैं जिसके कारण कुछ लोगों का मानना है कि महिलाएं पैसा कमाने के लिए सरोगेसी को अपनाती है। वहीं कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि 18 से 35 साल की महिलाएं पैसे के लिए सरोगेट मदर बनने के लिए तैयार हो जाती है।
अगर कोई भी सरोगेट मदर किन्हीं जुड़वां बच्चों को जन्म देती है तो उसे लगभग सवा छह लाख रुपए तक मिलते हैं वहीं अगर गर्भ में बच्चे की मौत हो गई तो उस महिला को 38,000 रुपए ही दिए जाते हैं। इसके अलावा जो दंपत्ति बच्चा चाहता है वो अस्पताल को 18 लाख तक की मोटी फीस देता है।
गुजरात में सरोगेट हाउस चलाने वालों का मानना है कि सरोगेसी में महिलाओं का किसी भी तरह से कोई शोषण नहीं होता है। वो अपनी मेहनत का पैसा लेती है। इसके अलावा सरोगेट हाउस में महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई जैसे कई काम सिखाए जाते हैं।
वहीं भारत में सरोगेसी इतनी तेजी से इसलिए फैल गई क्योंकि यहां तकनीकों का विस्तार हुआ है वहीं किसी दंपत्ति को विदेशों की तुलना में यहां कम पैसे खर्च करने पड़ते हैं।
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