हलचल

क्या भारत में महिलाओं को आज भी वोट के अधिकार से वंचित रखा जाता है?

भारतीय महिलाओं को अपने देश के जन्म के साथ ही मतदान का अधिकार मिला। लेकिन 70 से अधिक वर्षों के बाद भारत में 21 मिलियन महिलाओं को स्पष्ट रूप से मतदान के अधिकार से वंचित क्यों किया जा रहा है?

यह भारत की कई सामाजिक पहेलियों में से एक है। भारत में महिलाएं उत्साही मतदाता रही हैं। इस वर्ष के आम चुनावों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में मतदान अधिक होगा। अधिकांश महिलाएं कहती हैं कि वे अपने पति और परिवारों से सलाह किए बिना स्वतंत्र रूप से मतदान कर रही हैं।

उन्हें सुरक्षित बनाने के लिए मतदान केंद्रों पर महिलाओं की अलग-अलग कतारें हैं और महिला पुलिस अधिकारी उनकी सुरक्षा के लिए तैनात भी होंगी। मतदान केंद्रों में कम से कम एक महिला अधिकारी होती ही है।

660 से अधिक महिला उम्मीदवारों ने 2014 के चुनावों में चुनाव लड़ा। 1951 में पहले चुनाव में इसकी संख्या 24 थी। राजनीतिक दल अब महिलाओं को एक अलग निर्वाचन क्षेत्र के रूप में लक्षित करते हैं। उन्हें सस्ते रसोई गैस, अध्ययन के लिए छात्रवृत्ति और कॉलेज जाने के लिए साइकिल प्रदान करते हैं।

सबसे अहम समस्या

ये सब तो ठीक है लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है कि पूरे श्रीलंका जितनी आबादी वाली भारतीय महिलाएं अभी भी वोट के अधिकार से दूर हैं।

शोधकर्ताओं ने जनगणना में 18 वर्ष से ऊपर की महिलाओं की संख्या को देखा और इसकी तुलना मतदाताओं की नवीनतम सूची में महिलाओं की संख्या से की और पता चला कि वोट देने वाली महिलाओं में 21 मिलियन की कमी थी।

उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में ये कमी सबसे ज्यादा दिखाई देती है वहीं आंध्रप्रदेश और तमिलनाडू इस मामले में बेहतर हैं। इस सब का क्या मतलब निकाल जा सकता है? 21 मिलियन के करीब ये लापता महिला वोटर्स आखिर कहां है?

विश्लेषकों का कहना है कि 20 मिलियन से अधिक महिलाएं लापता हैं यानि वे वोट नहीं दे रही हैं जिससे पता लगता है कि भारत में हर निर्वाचन क्षेत्र में औसतन 38,000 महिलाएं वोट के अधिकार से वंछित हैं। भारत के सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में हर सीट पर लापता महिलाओं की संख्या 8000 है। अब हर सीट पर महिलाओं के इस वोटिंग गेप को देखकर आपके दिमाग में क्या आता है?

हमेशा देखा जाता है कि हर पांच सीटों में से एक में 38,000 से कम वोटों का जीत या हार को परिभाषित करता है। अब ये लापता महिला वोटर्स पूरे सियासी खेल को पलट सकती हैं। बड़ी संख्या में महिलाओं की अनुपस्थिति का मतलब यह भी है कि भारत के मतदाता उन 900 मिलियन लोगों से अधिक होंगे जो गर्मियों के चुनावों में मतदान करने के लिए पात्र हैं। यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में लिंगानुपात महिलाओं के मुकाबले कम है और औसत मतदाता पुरुष है तो महिला मतदाताओं की प्राथमिकताओं को नजरअंदाज किया जा सकता है।

पत्रकार प्रणय रॉय का कहना है कि महिलाएं मतदान करना चाहती हैं, लेकिन उन्हें मतदान करने की इजाजत नहीं है। यह बहुत ही चिंताजनक है। यह बहुत सारे सवाल भी खड़े करता है। हम जानते हैं कि इस समस्या के पीछे कुछ सामाजिक कारण हैं। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि मतदान को नियंत्रित करके आप रिजल्ट को भी नियंत्रित कर सकते हैं। क्या यह एक कारण है? हमें सच का पता करने के लिए वास्तव में जांच करने की आवश्यकता है।

लिंगानुपात जो पुरुषों के पक्ष में ही झुका हुआ है इसी के साथ भारत में लंबे समय से ये लापता महिला वोटरों की भी समस्या है।
पिछले साल, एक सरकारी रिपोर्ट में पाया गया कि 63 मिलियन महिलाएं भारत की आबादी से “गायब” थीं, क्योंकि बेटों के लिए प्राथमिकता सेक्स-सिलेक्टिव गर्भपात का कारण बनी और लड़कों को अधिक देखभाल दी गई। अर्थशास्त्री शामिका रवि और मुदित कपूर ने अनुमान लगाया कि 65 मिलियन से अधिक महिलाएं कुछ 20% महिला मतदाता गायब थीं।

इसमें ऐसी महिलाएं शामिल थीं जिन्हें वोट देने के लिए पंजीकृत नहीं किया गया था और महिलाएं “जो नेगलेक्ट के कारण आबादी में नहीं थीं” (बिगड़ता लिंगानुपात, जो कि बड़े नेगलेशन को दर्शाता है)।

ऐसा नहीं है कि चुनाव अधिकारियों ने अधिक महिलाओं को वोट देने के लिए कड़ी मेहनत नहीं की है। चुनाव आयोग एक कड़ा रूख अपनाता है। लिंग अनुपात, निर्वाचक-जनसंख्या अनुपात और मतदाताओं की आयु आदि का पता लगाया जाता है यह सुनिश्चित करने के लिए कि योग्य मतदाता छूटे नहीं हैं। मतदाताओं के घर जाकर सत्यापन करना इसी में शामिल है।

इस अभ्यास में शामिल अधिकारियों की एक बड़ी संख्या महिलाएं ही हैं। गांवों में बाल कल्याण श्रमिकों और महिलाओं के स्व-सहायता समूहों को भी तैनात किया गया है। राज्य द्वारा संचालित टीवी और रेडियो कार्यक्रम महिलाओं को रजिस्ट्रेश करने के लिए प्रेरित करते हैं। यहां तक कि महिलाओं के लिए विशेष रूप से समर्पित मतदान केंद्र भी हैं।

तो क्यों कई महिलाएं अभी भी मतदान से गायब हैं? क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि कई महिलाएं शादी के बाद निवास स्थान बदल देती हैं और नए सिरे से रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पाती हैं? (30-34 वर्ष की 3% से कम भारतीय महिलाएं सिंगल हैं।) क्या यह इसलिए है क्योंकि परिवार अभी भी मतदाता सूचियों में प्रकाशित होने के लिए अधिकारियों को महिलाओं की तस्वीरें उपलब्ध कराने से इनकार करते हैं? या इस बहिष्कार का “मतदाता को दबाने से” कुछ लेना-देना है?

डॉ रॉय का मानना है कि कुछ सामाजिक प्रतिरोध है, लेकिन यह इतने बड़े पैमाने पर बहिष्करण की व्याख्या नहीं करता है।  भारत में चुनाव आयोजित करने में मदद करने वाले लोगों का कहना है कि घबराने की कोई बात नहीं है। पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने बताया कि महिलाओं का नामांकन पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ा है। महिलाओं के नामांकन के लिए सामाजिक प्रतिरोध अभी भी है।

आगे उन्होंने कहा कि मैंने माता-पिता को अपनी बेटी का पंजीकरण नहीं कराने के बारे में सुना है क्योंकि वे उसकी उम्र का खुलासा नहीं करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे शादी की संभावनाएं खत्म हो जाएंगी। हम कभी-कभी अधिक महिला मतदाताओं को साधने के लिए हमारे प्रयासों में पिछड़े हैं।

2019 के चुनावों में मुश्किल से एक महीना बाकी है इस समस्या को ठीक करने का समय नहीं है। डॉ। रॉय का मानना है कि केवल एक ही रास्ता है और वो है महिलाओं का पंजीकृत न होने पर भी वोट देने का अधिकार। रॉय ने आगे सुझाव दिया कि कोई भी महिला जो मतदान केंद्र पर आती है और अपना वोट डालना चाहती है, और यह साबित कर सकती है कि वह 18 साल की है उसे मतदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

8 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

8 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

8 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

8 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

8 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

8 months ago