राजस्थान प्रदेश को हमेशा से ही बहुत रंगीन राज्य माना जाता रहा है। जयपुर राजस्थान राज्य की राजधानी है। रंगीन राज्य होने के नाते जोधपुर शहर को ‘नीला शहर’ कहा जाता है, जैसलमेर को ‘पीला शहर’ कहा जाता है और जयपुर को ‘गुलाबी शहर’ कहा जाता है। जयपुर की यह गुलाबी रंगत इसे अन्य सभी जगहों से खास बनाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शहर को गुलाबी नगरी क्यों कहा जाता है, आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे हुए कारण के बारे में।
राजकुमार प्रिंस चाल्र्स और रानी विक्टोरिया के लिए सजाया गया जयपुर
जयपुर को गुलाबी शहर का नाम मिलने का इतिहास काफी पुराना है। साल 1876 वेल्स के राजकुमार प्रिंस चाल्र्स और रानी विक्टोरिया का भारत का दौरा था। जयपुर के राजा महाराजा राम सिंह भारत के सबसे अमीर और शक्तिशाली राजाओं में से एक माने जाते हैं। उन्होंने मेहमान का स्वागत करने के लिए, पूरे शहर को गुलाबी रंग से सजा दिया। उन्होंने गुलाबी इसलिए चुना क्योंकि यह आतिथ्य और स्वागत को दर्शाता है। राजा ने एक भव्य कॉन्सर्ट हॉल भी बनाया और राजकुमार के नाम पर इसका नाम रखा गया।
फिर कहा जाने लगा गुलाबी शहर
मेहमानों के भारत दौरे के बाद कहा जाता है कि लोगों के बीच जयपुर को गुलाबी शहर कहा जाने लगा। इसके बाद लोग हर इमारत का रंग गुलाबी ही रखते थे। उस दौरान जो भी किले, महल और अन्य इमारतें बनी वो गुलाबी रंग में ही है। इसलिए इसका सटीक नाम रखा गया “पिंकी सिटी”।
आज भी बनाए हुए है शहर अपनी परंपरा
राजा के जाने के बाद भी लोगों ने अपने शहर की इस परंपरा को बनाए रखा। हालांकि जयपुर की रानी के कहने पर महाराजा ने गुलाबी रंगों से हर इमारत को पेंट करवाने का कानून भी लागू किया था। इस कानून को 1877 में पास किया गया जिसे आज भी लोग अपनी इच्छा से मानते हैं।
जयपुर है भारत का पहला नियोजित शहर
जयपुर में आपको प्राचीन काल से जुड़ी हर वो झलक मिल जाएगी जो आप देखना चाहते हैं। कहा जाता है कि जयपुर ही भारत का पहला नियोजित शहर था। विद्याधर भट्टाचार्य नामक वास्तुशास्त्री ने वास्तुकला के नियमों के अनुसा शहर को बसाने की योजना तैयार की थी।
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