Why is Baikal lake ice marathon becoming popular among the people?
दुनिया के विभिन्न देशों में कुछ ऐसे इवेंट्स आयोजित होते हैं जो सुनने और देखने में बड़े रोचक लगते हैं। ऐसे इवेंट्स को लाइव महसूस करना कई लोगों के लिए किसी ख़्वाब से कम नहीं होता है। ऐसा ही एक इवेंट होता है रूस की बैकाल झील पर। बैकाल झील दुनिया में साफ पानी की सबसे बड़ी झील मानी जाती है। जब यह झील जम जाती है, तब उस पर बैकाल आइस मैराथन आयोजित होती है। यह मैराथन पिछले कुछ वर्षों से लगातार पॉपुलर होती जा रही है। जमी हुई झील पर दौड़ना एक अलग ही तरह के रोमांच का अनुभव कराता है। आइये जानते हैं इसके बारे में..
रूस की प्रसिद्ध बैकाल झील पर इस बार हुई आइस मैराथन में 23 देशों के 127 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। रेस में इस बार 97 पुरुष और 30 महिला खिलाड़ी शामिल थीं। यह आइस रेस साल दर साल लोगों के बीच तेजी से पॉपुलर होती जा रही है। इस बार पुरुष वर्ग में रूस के एंटोन डोलगोव विजेता बने हैं। मैराथन के फाउंडर एलेक्से पी निकिफोरोव का कहना है कि बैकाल झील को यूनेस्को ने वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिया हुआ है। विश्व में पीने के लिए साफ पानी की बड़ी समस्या है। हमने साफ पानी के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए 2005 में आइस मैराथन शुरू करने का फैसला किया था। यह सिलसिला आज तक जारी है। हर वर्ष यहां झील के जम जाने पर रेस का आयोजन करवाया जाता है।
मॉस्को के रहने वाले आईटी एग्जीक्यूटिव 44 वर्षीय एंटोन डोलगोव ने 42 किमी की मैराथन पूरी करने में तीन घंटे 5 मिनट 5 सेकंड का समय लिया। महिला वर्ग में रूस की ही एकेतरिना लिकाशेवा ने खिताब अपने नाम किया। उन्होंने 3 घंटे 49 मिनट 30 सेकंड में यह आइस मैराथन पूरी की। सबसे खास यह रहा कि एकेतरिना ने आखिरी कुछ मीटर की दूरी घुटने के बल पूरी की। इस दौरान उनके पति और बेटे एकेतरिना का हाथ पकड़े हुए थे। गौरतलब है कि यह बर्फ पर होने वाली दुनिया की सबसे तेज मैराथन मानी जाती है। मैराथन के दिन 10 होवरक्राफ्ट की मदद से सभी रेसरों को झील के स्टार्टिंग पॉइंट तक पहुंचाया जाता है। इसके बाद रेस की शुरूआत होती है। बैकाल लेक पर होनी वाली यह आइस मैराथन दुनिया की फिफ्टी सबसे हार्ड रेस में से एक है।
बैकाल झील पर आयोजित आइस मैराथन में शामिल होने आए ब्रिटेन के एथलीट पीटर मेसेरवी ग्रोस को जींस और चमड़े के जूते पहनकर बर्फ पर मैराथन पूरी करनी पड़ी। ग्रोस ने मंगोलिया की जमी झील पर 100 मील की दौड़ पूरी की। लेकिन ग्रोस को यह दौड़ जींस और चमड़े के जूते पहनकर पूरी करनी पड़ी। इस मैराथन में हिस्सा लेने के लिए उसने कुछ महीने पहले एक स्पेशल किट बनवाई थी। लेकिन जब ग्रोस ने मंगोल-100 नाम की मैराथन में हिस्सा लेने के लिए लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट से मंगोलिया के उलानबटार के लिए उड़ान भरी।
Read More: 15 हजार करोड़ वैल्यू वाले फिनोलेक्स ग्रुप के छाबड़िया ब्रदर्स में क्यों बढ़ी टेंशन?
इस दौरान उनका किट बैग एयरपोर्ट पर ही छूट गया। यहां भाग लेने के लिए उनके पास किट नहीं थी। उनके जूते का साइज 13 है। लेकिन मंगोलिया में 11 साइज से बड़े जूते नहीं मिलते। इसलिए ग्रोस अपने साइज के जूते नहीं ले पाए। इस कारण से ब्रिटिश एथलीट ग्रोस को जींस और चमड़े के जूते पहनकर ही माइनस 25 डिग्री में अपनी रेस पूरी करनी पड़ी।
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment