सीमा पर तैनात जवान हों देश के किसी कोने में, जीवन है जो अनिश्चितताओं का खेल है और यही सबसे बड़ा सत्य भी। सेना के जवान पिछले काफी समय से किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में है। वहीं इन दिनों सेना के जवानों के बीच अपने स्पर्म फ्रीज करवाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है। कुछ समय पहले सामने आई एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सेना के जवानों में यह आंकड़ा पिछले 3 साल से तेजी से बढ़ा है।
इन सैनिकों में अधिकतर वो ही होते हैं जो लंबे समय तक अपने घर से दूर या किसी दूर-दराज इलाकों में पोस्टेड रहते हैं। इसके अलावा छुट्टी पर बहुत कम घर आने वाले सैनिक भी स्पर्म फ्रीज करवा रहे हैं। अहमदाबाद, जयपुर, पटना और रायपुर जैसे हिस्सों में सरकार फ्री में जवानों के स्पर्म फ्रीज़ मिलिट्री हॉस्पिटलों में करवा रही है।
सैनिक और स्पर्म फ्रीज़िंग का लगातार बढ़ता ट्रेंड
देश के कई हिस्सों से सैनिक सरकारी सेंटरों पर स्पर्म फ्रीज़ करवा रहे हैं। 2013 से 2018 के बीच सैनिकों की संख्या में 3 गुना इजाफा देखा गया है। स्पर्म फ्रीजिंग करवाने से सैनिक के साथ किसी भी अनहोनी के बाद उसका परिवार आगे बढ़ाया जा सकता है। वहीं आम लोगों में स्पर्म फ्रीज़िंग को लेकर कई तरह के डर भी हैं जिससे यह ट्रेंड काफी कम चर्चा में दिखाई देता है।
क्या होती है स्पर्म फ्रीज़िंग?
स्पर्म का मतलब होता है पुरुष के शुक्राणु, जिनसे बच्चा पैदा होता है। स्पर्म फ्रीज़िंग करने से पहले व्यक्ति के स्पर्म काउंट किए जाते हैं और ब्लड टेस्ट किया जाता है। फिर स्पर्म और एक मेडिकेटेड सॉल्यूशन को आपम में मिलाकर अलग-अलग जार में डालकर नाइट्रोजन फ्रीज़िंग की जाती है। जार का टेंपरेचर कम करते हुए माइनस 198 डिग्री तक ले जाया जाता है।
इसके बाद स्पर्म को डीप फ्रीज़र में स्टोर कर दिया जाता है जिसका इस्तेमाल 10 से 15 साल तक किया जा सकता है। भारत के अलावा दुनिया के कई देश पहले से यह तकनीक अपना रहे हैं।
क्या वाकई जरूरी है स्पर्म फ्रीजिंग ?
स्पर्म फ्रीजिंग को लेकर पहली बात यही कही जाती है कि इससे सैनिक के साथ कुछ अनहोनी में उसका वंश आगे बढ़ाया जा सकता है, इसके मायने हम अगर निकालें तो यह हुआ कि सैनिक की पत्नी की दूसरी शादी करने की स्वतंत्रता उसी दिन खत्म हो जाएगी। सैनिक की पत्नी अगर दूसरी शादी करना चाहें तो वो कैसे कर सकती है या फिर वो दूसरी शादी के बाद अपने पहले पति की संतान का पालन-पोषण करें तो भी कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में जहां इसके सकारात्मक पहलूओं पर चर्चा की जा रही है वहीं हमें इसके दूसरे पहलूओं पर भी गौर करना चाहिए।
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