हर साल मानसून के दौरान मायानगरी मुंबई का जाम हो जाना अब कोई नयी बात नहीं रह गई है। यहां तक कि अब तो मुंबई के रहवासियों को भी इसकी आदत हो चुकी है। बारिश के दौरान मुंबई में लगभग हर जगह जलभराव की स्थिति रहती है। इससे ट्रेनों, बसों और हवाई सफ़र करने वालों की आवाजाही थम सी जाती है। बारिश के कारण अक्सर मुंबई में जाम की स्थिति बन जाती है, जिससे स्कूल-कॉलेज, फैक्ट्री, काम यानी सब कुछ ठंप हो जाता है। हाल में हुई बारिश में दो दर्जन से ज्यादा लोग मर गए थे। ऐसे में सवाल उठता है कि देश की आर्थिक राजधानी कहलाने वाली मुंबई में बारिश के बाद क्यों बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं..
इस सवाल का जवाब हां है, क्योंकि मुंबई में जलभराव का प्रमुख कारण मानव निर्मित ही है। आज लाखों-करोड़ों लोगों को रोजगार दे रही मुंबई में कभी 22 पहाड़ियां हुआ करती थीं। इनमें से ज्यादातर को काट-तोड़कर वहां बस्तियां बसा दी गई हैं। भविष्य की जरूरतों को दरकिनार कर बसाई गई इन बस्तियों को बसाते समय जिम्मेदार लोगों ने जलनिकासी की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। वर्ष-दर-वर्ष मुंबई की आबादी लगातार बढ़ती गई। यही कारण है कि आज जब मुंबई में तेज बरसात होती है, तो समुद्र शहर का पानी शहर को लौटाने लगता है। इस वजह से मुंबई पानी-पानी होती नजर आने लगती है।
दूसरी कारण यह है कि आज की मुंबई कभी समुद्र के अंदर बसे सात द्वीपों का समूह हुआ करती थी। लेकिन सबसे पहले पुर्तगालियों, फिर अंग्रेजों और उसके बाद आजाद भारत के शासनकर्ताओं ने इन सातों द्वीपों के बीच की समुद्री खाड़ियों को पाटकर इसे तीन तरफ समुद्र से घिरे एक भूखंड में तबदील कर दिया। मुंबई के पश्चिमी छोर पर लहराता हुआ अथाह अरब सागर नजर आता है, वहीं पूर्वी छोर पर ठाणे-नई मुंबई-शिवड़ी आदि बस्तियों के घेरों में बड़ी-बड़ी समुद्री खाड़ियां नजर आती हैं। नरीमन प्वाइंट, बैकबे रिक्लेमेशन और बांद्रा रिक्लेमेशन जैसे कई स्थान तो बाकायदा समुद्र को पाटकर ही बसाए गए हैं।
इस प्रकार मानव ने लालच में समुद्र को पीछे धकेलते हुए कभी नहीं सोचा की इसके आगे दुष्परिणाम क्या होंगे। पक्की सड़कों के निर्माण के समय जिम्मेदार अधिकारियों ने दोनों ओर बनाए गए फुटपाथ भी कच्चे नहीं छोड़े, जिससे धरती में पानी सोखने के सभी रास्ते बंद हो गए।
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आपको जानकार ताज्जुब होगा कि भारत के कई राज्यों या कुछ छोटे-मोटे देशों से ज्यादा का सालाना बजट रखने वाली मुंबई महानगरपालिका हर साल करोड़ों रुपए खर्च करके भी अब तक पानी निकासी का कोई स्थायी उपाय नहीं ढूंढ पाई है। बारिश के दौरान मुंबई वर्षों से ऐसे ही पानी पानी हो जाती है, जिसका नुकसान करोड़ों लोगों को उठाना पड़ता है। महानगरपालिका को सीरियस मोड में मुंबई की सड़कों को पानी भरने से बचाना होगा, नहीं तो एक दिन 2005 से भी बड़ा खतरा पैदा हो सकता है। गौरतलब है कि 26 जुलाई, 2005 को मुंबई में बरसात के कारण आई बाढ़ में करीब 1100 लोग मारे गए थे और करोड़ों की संपत्ति तबाह हो गई थी।
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