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जिम कॉर्बेट में हाथी और बाघ क्यों है एक दूसरे की जान के दुश्मन, चौंकाने वाली रिपोर्ट

‘खूनी संघर्ष’ वो भी जानवरों में सुनकर थोड़ा अजीब सा लगे, लेकिन सच है। उत्तराखंड राज्य का मशहूर राष्ट्रीय उद्यान ‘जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व’ में हुए एक अध्ययन में यह चौंकाने वाला सच सामने आया है। जिम कॉर्बेट के डायरेक्टर संजीव चतुर्वेदी की रिपोर्ट के अनुसार, इस टाइगर रिजर्व पार्क में हाथियों और बाघों के बीच कई लड़ाइयां हुई हैं। इनके बीच हुई लड़ाई में अब तक 21 जंगली हाथियों की मौत हो चुकी है, इसमें कई बाघ भी संघर्ष का शिकार हुए हैं।

जिम कॉर्बेट में इन जानवरों के संघर्ष को लेकर पिछले पांच सालों में हुए अध्ययन के बाद यह रिपोर्ट आई जिसके मुताबिक, पांच सालों में 9 बाघ और 6 तेंदुए भी आपसी संघर्ष के कारण मारे गए। हालांकि इनकी मौत का कारण हाथियों के साथ संघर्ष नहीं है।

ज्यादातर कम उम्र के हाथियों का शिकार ही क्यों?

रिपोर्ट में जारी आंकड़ों के मुताबिक, जिम कॉर्बेट पार्क में 23 जनवरी, 2014 को हाथियों और बाघों के बीच संघर्ष की पहली घटना घटी थी। इस संघर्ष में हाथी की मौत हो गई थी। दूसरा मामला 3 अप्रैल को कालागढ़ प्रभाग में हुआ था, इसमें भी हाथी और बाघ के बीच संघर्ष के कारण हाथी की मौत हो गई थी। इस संघर्ष की खास बात यह है कि बाघों के साथ हुए संघर्ष में मारे जाने वाले हाथियों में ज्यादातर की उम्र बहुत कम थी। इन छोटे हाथियों की मौत एक बड़ा प्रश्न बना हुआ है।

डायरेक्टर चतुर्वेदी के अनुसार, टाइगर रिजर्व में हुए इन संघर्ष के मामलों में पाया गया कि मारे गए हाथियों का मांस एक से अधिक बाघों द्वारा खाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 36 संघर्ष के मामलों में मारे जाने वाले 21 हाथी थे, लेकिन 60 फीसदी हाथी यानी लगभग 13 मामलों में बाघों ने कम उम्र वाले हाथियों पर हमला किया।

इन संघर्षों की है यह वजह

सामान्यत: बाघों और हाथियों के बीच संघर्ष की बात करें तो इन दोनों जानवरों के बीच संघर्ष काफ़ी दुर्लभ माना जाता है। इनके बीच इस संघर्ष से इससे रिजर्व प्रशासन भी हैरत में हैं। रिपोर्ट के अनुसार यह देखा गया कि हिरन प्रजातियों खासकर सांभर व चीतल का शिकार करने के लिए बाघों को लंबी दौड़ लगानी पड़ती है, वहीं कम उम्र के हाथियों पर हमला करना ज्यादा आसान है जिसमें बाघों को कम ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है। चतुर्वेदी का कहना है कि बाघों और दूसरे जंगली जानवरों के बीच आ रहे इस बदलाव पर और विस्तृत अध्ययन करने की जरूरत है।

विभाग की ओर से किए गये शुरुआती अध्ययन में पाया गया कि इन मामलों के पीछे ज्यादातर वजह उनके इलाकों को लेकर थी। उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में जंगली जानवरों की तादाद बेहद ज्यादा है।

संजीव चतुर्वेदी का कहना है कि कार्बेट में बाघ, हाथी व गुलदार की मौत के कारणों के मद्देनजर रिपोर्ट मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को भेज दी गई है। रिपोर्ट में बाघ व हाथियों के मध्य बढ़े संघर्ष को देखते हुए इस बारे में गहन अध्ययन की जरूरत बताई गई है, ताकि इसके समाधान को कदम उठाए जा सकें।

Rakesh Singh

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