लोकसभा चुनाव को हुए काफी वक्त हो गया। सरकार बजट तक भी पेश कर चुकी है लेकिन कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर संघर्ष अभी तक जारी ही है। पिछले बुधवार को राहुल गांधी ने साफ कर दिया था कि हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद से उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
चुनाव के बाद से ही राहुल गांधी के इस्तीफे की खबरें चल रही थीं और एक वक्त के लिए लगा भी था कि पार्टी नेताओं के दबाव में वे इस्तीफा नहीं देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अब कांग्रेस का नया अध्यक्ष कौन होगा? इसी बात के आस पास सारी बहसें फिलहाल मीडिया गलियारों में गूंज रही है। एक बात तो इसमें साफ है कि गांधी परिवार से इस पद पर इस बार कोई नहीं बैठेगा।
कुछ लोगों का कहना है कि प्रियंका गांधी इस पद पर आ सकती हैं लेकिन राहुल गांधी ने ही ये बात साफ की है कि गांधी परिवार से इस पद पर कोई नहीं होगा ऐसे में प्रियंका की संभावना न के बराबर है। तो फिर कौन बनेगा कांग्रेस का अगला अध्यक्ष? इन नामों पर चर्चाएं सबसे ज्यादा हो रही हैं।
वर्तमान में राजस्थान के मुख्यमंत्री का नाम इस बहस में सबसे ऊपर चल रहा है। इस बात पर जब भी गहलोत से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई खास प्रतिक्रिया नहीं दी। कई स्थानीय पत्रकारों का मानना है कि गहलोत अध्यक्ष पद को लेकर उतने संतुष्ट नहीं हैं।
लेकिन पार्टी के अंदर नेताओं का यह पक्ष रहा है कि गहलोत ऐसे नेता हैं जिनकी जमीनी पकड़ है और संगठन स्तर पर भी उनकी भागीदारी सराही जाती है। वे कार्यकर्ताओं से वार्ता करने में माहिर माने जाते हैं।
2017 की ही बात है जब गहलोत को कांग्रेस की ओर से गुजरात चुनाव प्रभारी बनाया गया था जिसके बाद उनकी खूब प्रशंसा हुई। कांग्रेस का प्रदर्शन उस चुनाव में काफी सुधरा था और इसका श्रेय अशोक गहलोत को ही दिया गया। गहलोत ने लंबे समय तक पार्टी संगठन महासचिव के तौर पर भी काम किया हुआ है। अशोक गहलोत के बारे में यह बात सबसे अहम है कि वे विरोधी पार्टी के नेताओं से भी अच्छे तालमेल रखते हैं।
57 साल के केसी वेणुगोपाल का नाम भी काफी चर्चा में है। मनमोहन सरकार में वे केन्द्रीय मंत्री पद पर भी रह चुके हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव पद पर फिलहाल वही काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी ताकत उनकी यही है कि पूरा गांधी परिवार उनपर काफी भरोसा करता है। संगठन स्तर पर काम करते हुए उन्होंने सभी से अच्छे संबंध बनाए रखे हैं। कम उम्र के होने के नाते भी उनके नाम पर ज्यादा चर्चा की जा रही है इसके अलावा वे केरल से हैं और लोकसभा चुनावों में इस एरिया से कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया था।
आजाद को कांग्रेस के भीतर सम्मान से जाना जाता है। वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य कर रहे हैं। हालांकि राजनीतिक पर्यवेक्षकों का सुझाव है कि कांग्रेस एक मुस्लिम पार्टी अध्यक्ष को नियुक्त नहीं करना चाहती है क्योंकि वे भाजपा को अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते हैं।
पटियाला राजपरिवार का टाइटैनिक प्रमुख पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी इसी रेस में हैं। वह राज्य इकाई पर अपनी पकड़ बनाए हुए हैं। पंजाब एकमात्र उत्तरी राज्य है जहाँ कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया। पार्टी ने वहां की 13 संसदीय सीटों में से आठ पर जीत हासिल की। हालांकि, अगर उन्हें नियुक्त किया जाता है तो उसे सीएम पद छोड़ना पड़ सकता है।
द संडे गार्जियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एके एंटनी इस दौड़ से बाहर हो गए हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी सक्रिय राजनीति से हट गए हैं और इसलिए वे इस पद पर नहीं आ सकते हैं।
कुछ और नाम भी हैं जो मीडिया जगत में फैल रहे हैं उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, पी चिदंबरम, आनंद शर्मा, मनमोहन सिंह और अहमद पटेल जैसे नेता शामिल हैं। ज्योतिरादित्य का प्रदर्शन काफी खराब रहा वहीं मनमोहन सिंह सक्रिय राजनीति से काफी दूर ही नजर आते हैं। अहमद पटेल गांधी परिवार के काफी नजदीकी माने जाते हैं।
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