2020 के लिए अमेरिका में राष्ट्रपति चुनावों के लिए हवा चलने लगी है। दावेदारी करने वाले उम्मीदवारों के नाम सामने आने के बाद इस बार के चुनाव रोचक होने की उम्मीद की जा रही है। बीते 11 जनवरी को, 37 साल की भारतीय मूल की हिंदू महिला तुलसी गबार्ड ने चुनाव में उतरने का ऐलान किया। तुलसी 2020 के राष्ट्रपति चुनावों में डेमोक्रेटिक पार्टी से अपनी दावेदारी पेश करेंगी।
हवाई से चार बार डेमोक्रेटिक पार्टी से सांसद रहने वाली तुलसी गबार्ड कांग्रेस में चुनी जाने वाली पहली हिंदू-अमेरिकी महिला है और अब अगर वो राष्ट्रपति बनती है तो इस पद के लिए चुनाव जीतने वाली पहली हिंदू-अमेरिकी महिला होंगी।
अमेरिकन समोआ में हुई पैदा
गबार्ड, जो इस समय 37 साल की हैं, उनका जन्म 1981 में लेलोआलो, अमेरिकन समोआ में हुआ था और जब वह दो साल की थी, तब से हवाई में रह रही है।
कांग्रेस के चुनाव में कई मायनों में इतिहास बनाया
तुलसी के लिए राष्ट्रपति पद पर चुनाव लड़ना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इतिहास बनाना उनके लिए कोई नई बात नहीं रही है। जब वह 2012 में कांग्रेस के लिए चुनी गईं (और फिर 2013 में शपथ ली), तो वह पहली अमेरिकी समोआ महिला और संयुक्त राज्य अमेरिका में कांग्रेस प्रतिनिधि के रूप में चुनी जाने वाली पहली हिंदू थी।
इतिहास रचना है गबार्ड का पुराना शौक
2004 में, गबार्ड ने हवाई सेना के नेशनल गार्ड में शामिल हो गई। कुवैत में तैनात होने से पहले 2004 से 2005 तक एक साल के लिए इराक में युद्ध क्षेत्र में मेडिकल यूनिट में अपनी सेवाएं दी। वह 2006 में इराक से लौटी और वाशिंगटन, डीसी में हवाई सीनेटर डैनियल अकाका के सहयोगी के रूप में काम करना शुरू किया, लेकिन नेशनल गार्ड के साथ अपना काम जारी रखा। इस दौरान गबार्ड ने अलबामा मिलिट्री एकेडमी के ऑफिसर कैंडिडेट स्कूल में दाखिला लिया और वहां एक बार फिर इतिहास रचा जब वह स्कूल के इतिहास में पहली महिला के रूप में ऑनर्स के रूप में ग्रेजुएट हुईं।
हवाई के स्टेट हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में भी किया काम
आर्म्ड फोर्सेस में काम करने से पहले गबार्ड 2002 से 2004 तक हवाई हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की सदस्य रहीं। वह हवाई से स्टेट हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव चुनी गई और उस समय गबार्ड की उम्र महज 21 साल थीं। इस दौरान भी वह अब तक स्टेट हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव चुनी जाने वाली महिलालों में सबसे युवा महिला बनी।
वर्तमान में हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी में करती हैं काम
कांग्रेस में अपने कार्यकाल के दौरान, गबार्ड ने हस्तक्षेप-विरोधी विदेश नीति का समर्थन किया, वहीं 2017 में, सीरिया के तानाशाह बशर अल-असद के साथ की मुलाकात के बाद उन्हें काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा।
सीरिया के हालातों और तानाशाह बशर से मुलाकात के बाद तुलसी का कहना था कि जब मौका उनसे मिलने का हुआ तो मैंने ऐसा किया क्योंकि मुझे लगा कि अगर हम सही मायने में सीरिया की परवाह करते हैं, लोगों के दुखों को समझते हैं तो फिर हम किसी से भी मिल सकते हैं, जिसकी हमें ज़रूरत है अगर कोई संभावना है कि हम शांति कायम कर सकते हैं, तो हमें वो करना चाहिए।
इसके अलावा गबार्ड को एक पर्यावरणविद् और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज बुलंद करने वाली महिला के तौर पर जाना जाता है।
2020 के लिए गबार्ड हैं पूरी तरह तैयार
हाल में दिए एक इंटरव्यू में गबार्ड का कहना था कि वो हैल्थ केयर, आपराधिक मामलों में सुधार और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चुनाव लड़ने जा रही हैं। इसके अलावा उनका कहना था कि मेरे सामने एक मुख्य मुद्दा और है जो हम सभी के लिए केंद्रीय मुद्दा है और वह युद्ध और शांति का मुद्दा।
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