लोकसभा चुनाव 2019 से पहले जहां विपक्षी दल देश में महागठबंधन के तार बिछा रहे हैं वहीं दूसरी ओर बीजेपी के सहयोगी अपना दल ने लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने की धमकी दी है। अपना दल की नेता और सरकार में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि हमारी मांगे 20 फरवरी तक नहीं मानी गई जिसके बाद हम किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।
बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को आड़े हाथों लेते हुए पटेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने सहयोगी दलों को दरकिनार कर रही है। पार्टी के सामने हमारी शिकायतें काफी लंबे समय से पड़ी है लेकिन उनको अभी तक नहीं सुना गया है। आने वाली 28 फरवरी को हम मीटिंग करने के बाद फैसला लेंगे, ऐसे में जहां एक तरफ बीजेपी मोदी लहर के भरोसे अगला चुनाव लड़ना चाहती है वहीं छोटे दलों की नजरअंदाजी का नुकसान भी पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
उत्तर प्रदेश में अपना दल और बीजेपी में गठबंधन है और अपना दल का एक नेता यूपी सरकार में मंत्री पद पर भी है। अनुप्रिया पटेल खुद केंद्र में मंत्री पद पर हैं। अपना दल इस बार लोकसभा चुनावों में 80 में से ज्यादा सीटों की मांग पर अड़ा है जिसको लेकर टकराव आने वाले समय में और बढ़ सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं अपना दल की तेज तर्रार नेता अनुप्रिया पटेल कौन है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल का 2016 में जब विस्तार किया तो 19 नए चेहरों को शामिल किया गया जिसमें कई पिछड़े नेता हैं और उत्तर प्रदेश से कई नेताओं को मौका दिया गया। उन्हीं चेहरों में से एक सबसे कम उम्र की यूपी की मिर्जापुर सीट से पहली बार सांसद बनने वाली अनुप्रिया पटेल भी थी।
38 साल की ओबीसी नेता जो पहली बार यूपी की मिर्जापुर सीट से सांसद चुनी गई थी और फिलहाल स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभाल रही है।
अनुप्रिया का जन्म कानपुर में 28 अप्रैल 1981 को हुआ। दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्री राम कॉलेज से पढ़ाई करने वाली अनुप्रिया ने मनोविज्ञान और बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर्स भी किया हुआ है। एमबीए करने के बाद कुछ समय के लिए पटेल ने एमिटी यूनिवर्सिटी में पढ़ाया भी है।
अनुप्रिया पटेल राजनीतिक दल अपना दल से ताल्लुक रखती हैं, जिसकी स्थापना उनके पिता और कुर्मी नेता सोनेलाल पटेल ने की थी, जो 1994 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक कांशी राम से अलग हो गए थे।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में उनकी भूमिका स्पष्ट रूप से पिछड़े वोटों विशेषकर उत्तर प्रदेश के कुर्मी वोटों को मजबूत करने के उद्देश्य से है। ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी ने उन्हें एक प्रमुख पिछड़े चेहरे के रूप में आगे लाने की योजना बनाई थी जो उनके पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का भी एक तरीका है।
पटेल पहली बार 2012 में विधायक बनी थी, जिन्हें उन्हीं की पार्टी से उनकी माता कृष्णा पटेल ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण 6 साल के लिए निलंबित कर दिया गया था। अनुप्रिया की मां ही अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
पटेल को संसद में काफी बार उनके शानदार भाषणों के लिए मीडिया की सुर्खियों में जगह मिली है। कुछ सीनियर नेताओं का यह कहना है कि आने वाले समय में वो भाजपा की फायरब्रांड नेता स्मृति ईरानी की जगह ले सकती हैं, लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए कुछ भी कहना मुश्किल है।
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