मंगलवार को सुबह भारतीय वायु सेना ने मनसेहरा जिले के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप पर हमला किया जो 1971 के युद्ध के अंत के बाद से पाकिस्तान के अंदर पहली भारतीय स्ट्राइक है। 1999 की गर्मियों में कारगिल संघर्ष के दौरान प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वायु सेना को नियंत्रण रेखा को पार न करने और भारत की ओर रहने के निर्देश दिए थे। करीब 20 साल पहले कारगिल में ऐसा ही हुआ था।
3 मई 1999 को कुछ स्थानीय चरवाहों ने बताया कि नियंत्रण रेखा(loc) पर भारतीय सीमा पर सशस्त्र घुसपैठियों ने ऊंचाई पर मौजूद 130 चौकियों पर कब्जा कर लिया है। यह बाद में सामने आया कि घुसपैठ उस साल फरवरी से ही चल रही थी। पता लगने के बाद भी भारतीय सशस्त्र बलों ने शुरू में माना कि घुसपैठिए जिहादी थे जिन्हें कुछ ही दिनों में निकाला जा सकता था। मई के दूसरे सप्ताह में अधिक घुसपैठियों का पता चलने के बाद भारतीय सेना ने कार्यभार संभाला और मसले को गंभीरता से लेते हुए एक्शन की तैयारी की।
25 मई को प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे जिसमें वायु शक्ति का उपयोग भी शामिल है अगले दिन, भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों पर हमले किए। अनुभवी अंतरराष्ट्रीय रक्षा रणनीतियों के विश्लेषक और वायु युद्ध विशेषज्ञ बेंजामिन एस लैम्बेथ ने 2012 के पेपर में 18,000 पर एयरपावर शीर्षक: द इंडियन एयर फोर्स इन कारगिल वॉर में लिखा था ”एक बार जब वे पूरी तरह से समझ गए कि loc के पास चल क्या रहा है सेना के लीडर्स ने पांच पैदल सेना डिवीजनों, पांच स्वतंत्र ब्रिगेड और कश्मीर घाटी से कारगिल सेक्टर तक 44 बटालियन को कार्यवाही के लिए आगे बढ़ने को कहा। कुल मिलाकर लगभग 200,000 भारतीय सैनिकों को जुटाया” एयर फोर्स का उद्देश्य घुसपैठियों को बाहर निकालना और नियंत्रण रेखा पर कंट्रोल करना था।
अक्टूबर 2006 में एयर चीफ मार्शल अनिल यशवंत टिपनिस (retd) पाकिस्तानी आक्रमण के समय वायु सेना प्रमुख थे। उन्होंने इंडियन एयरफोर्स के सभी ऑपरेशन्स के बारे में बताया।
उन्होंने याद किया कि घुसपैठ के बारे में पहली बार रिपोर्ट किए जाने के एक सप्ताह बाद 10 मई को उन्हें सूचित किया गया था कि करगिल में सेना को कुछ सहायता की आवश्यकता हो सकती है। बाद में उन्हें पता चला कि सेना ने कुछ सशस्त्र घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए Mi-25 और Mi-35 हेलीकॉप्टर गनशिप और सशस्त्र Mi-17 हेलीकॉप्टरों का समर्थन मांगा था लेकिन सलाह दी गई थी कि इलाका काफी ऊंचाई पर था हेलीकॉप्टर के मैनेजमेंट के लिए ऊपरी अधिकारियों से सलाह ली जाएगी।
लेम्बेथ ने लिखा कि क्योंकि एलओसी के करीब वायुसेना की क्षमता खतरनाक रूप से संघर्ष को बढ़ा सकती है टिपनिस ने जोर देकर कहा कि भारतीय वायुसेना को इस काम में शामिल करने से पहले सेना को राजनीतिक मंजूरी की जरूरत थी। टिपनिस ने 15 मई को अपने सबसे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक मीटिंग बुलाई जिसके बाद भारतीय वायुसेना इस बात पर पहुंची की इतनी ऊंचाई पर हेलीकॉप्टर काफी कमजोर होंगे।
23 मई को सेनाध्यक्ष जनरल वेद प्रकाश मलिक ने हेलीकॉप्टर की आवश्यकता पर चर्चा करने के लिए एयर चीफ मार्शल टिपनिस से मुलाकात की। अगले दिन, सेना और वायु सेना दोनों ने प्रधानमंत्री वाजपेयी के साथ इस मामले को उठाने का फैसला किया।
25 मई को वाजपेयी ने सुरक्षा पर कैबिनेट समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। जनरल मलिक ने पीएम को स्थिति की गंभीरता और वायुसेना को कदम बढ़ाने की जरूरत बताई। जैसा कि एयर चीफ मार्शल टिपनिस ने बाद में बताया वाजपेयी ने उस वक्त कहा कि “ठीक है, कल सुबह शुरू करें।”
IAF ने पाकिस्तानियों को वापस धकेलने लिए जमीनी सेना के साथ मिलकर ऑपरेशन सफेद सागर शुरू किया।
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