कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में एक बार फिर अपमानजनक हार का सामना करना पड़ रहा है। अब बड़ा सवाल यह है कि राहुल गांधी के लिए आगे क्या है? कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष जिन्होंने एक भयंकर लड़ाई छेड़ी थी। चाहे वो राफेल हो, बेरोजगारी का मुद्दा हो या कृषि संकट की बात हो लेकिन वे इन मुद्दों को भुनाने में असफल रहे और इसे वोट में नहीं बदल सके।
निजी तौर पर पार्टी के नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अभियान को एक गलत दिशा में लड़ा। और नरेन्द्र मोदी हमेशा से यही चाहते थे कि उनके और विपक्ष के अघोषित प्रधानमंत्री उम्मीदवार के बीच प्रेजिडेंशियल इलेक्शन जैसा हो। और हुआ भी ऐसा ही।
“मोदी का कोई विकल्प नहीं है” ही मोदी का सबसे अच्छा दांव था और कांग्रेस अपनी पीठ के पीछे हाथ बांधकर स्वेच्छा से जाल में चली गई।
इस चुनाव ने एक और बड़े मिथक को उजागर किया वो यहा कि प्रियंका गांधी वाड्रा का लोगों से जुड़ाव है और वो वोटों को उनकी ओर झुका सकती हैं। वह कांग्रेस के लिए एक तरह से बड़े ब्रम्हास्त्र के रूप में थीं और पार्टी ने इन चुनावों के लिए उन्हें मैदान में उतारा था।
परिणाम सामने आने के बाद निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वे एक अच्छी वक्ता, एक सुगम नेता हो सकती हैं और हो सकता है कि उनमें वो करिश्मा बरकरार हो जो उनके पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी के पास था लेकिन 2019 का भारत 1970 या 80 के दशक वाला भारत नहीं है।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने गांधी पारिवार के खिलाफ एक बड़े विद्रोह की आशंका नहीं जताई। उन्होंने एक काउंटर सवाल यह जरूर किया कि वर्तमान कांग्रेस में कौन है जिसके पास आधार और लोकप्रियता है?
लेकिन कई लोग व्यक्तिगत तौर पर स्वीकार करते हैं कि चुनाव परिणाम आश्चर्यजनक नहीं थे और यह भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय शुरू करेगा। और जितनी जल्दी कांग्रेस को यह पता चलेगा है, पार्टी के लिए बेहतर होगा।
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