हलचल

“देश को बांटने वाला सरदार” TIME मैग्जीन में नरेन्द्र मोदी को लेकर और क्या छपा?

जैसा कि लोकसभा चुनाव 2019 अपने अंतिम चरण पर पहुंच गया है टाइम मैगज़ीन ने 20 मई 2019 के अपने अंक में, ‘इंडियाज़ डिवाइडर इन चीफ’ शीर्षक से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी कवर स्टोरी की है।

उपन्यासकार और पत्रकार आतिश तासीर द्वारा लिखी गई स्टोरी सवाल खड़े करती है कि क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र “मोदी सरकार के पांच साल और झेल सकता है।”

अपनी स्टोरी में ब्रिटिश पत्रकार ने नरेन्द्र मोदी की तुलना तुर्की के राष्ट्रपति तैय्यप एर्दोआन और ब्राज़ील के जैर बोल्सोनारो से की है। आपको बता दें कि इन दोनों ही बड़े लोगों की छवि पूरी दुनिया में बहुसंख्यक लोगों के हितों की ओर ज्यादा ध्यान रखने वालों की रही है।

स्टोरी में भारत के स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से शुरू होने वाले इतिहास के बारे में लिखा गया है और नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल से शुरू होने वाले कांग्रेस शासन के कई वर्षों होते हुए मोदी के सत्ता में आने तक की व्याख्या की गई है।

मोदी के कार्यकाल के असंख्य पहलूओं को मैग्जीन में लिखा गया है जिसमें मॉब लिंचिंग द्वारा अल्पसंख्यकों पर हमले को शामिल करने, महिलाओं के मुद्दों पर मोदी के रिकॉर्ड, नोदबंदी जैसा कदम, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी सहित अन्य मुद्दों को शामिल किया गया है।

“ एक राजनेता जो असफल रहा”

मैग्जीन के इस अंश में लिखा गया है कि मोदी के आर्थिक चमत्कार के जमीनी हकीकत की अगर बात करें तो फेल रहा है। और इसके बजाय “जहरीला धार्मिक राष्ट्रवाद का माहौल” देश में बनाया गया है।

कवर स्टोरी के अलावा, टाइम के इस नवीनतम अंक में इयान ब्रेमर द्वारा ‘मोदी द रिफॉर्मर’ शीर्षक से एक और हिस्से को भी जगह दी गई है।

विशेष रूप से, मई 2015 में, मोदी को टाइम पत्रिका के कवर पर दिखाया गया था जिसकी हैडिंग थी ‘वाय मोदी मैटर्स’ यह पीएम के साथ एक इंटरव्यू था। और टैगलाइन थी “दुनिया में भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में कदम रखने की जरूरत है। एक साल बीत गया है क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचा सकते हैं?

पिछले कुछ दिनों में, अंतरराष्ट्रीय मीडिया सक्रिय रूप से मोदी के प्रधानमंत्री काल और चुनाव में दूसरे कार्यकाल में सत्ता में उनके शॉट पर चर्चा कर रहा है। 14 अप्रैल को, वाल स्ट्रीट जर्नल के संपादकीय बोर्ड ने ‘मोदी रिफोर्म डिसअपोइंटमेंट’ शीर्षक से एक राय प्रकाशित की थी।

इस बीच, द इकोनॉमिस्ट ने 2 मई को ‘अंडर नरेंद्र मोदी, इंडियाज़ रूलिंग पार्टी अ थ्रेट टू डेमोक्रसी’ शीर्षक से एक अंश प्रकाशित किया था। जिसका मतलब होता है कि मोदी राज में लोकतंत्र को खतरा है।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

9 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

9 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

9 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

9 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

10 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

10 months ago