पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम काफी चर्चा में है। पुलवामा के बाद आतंक के सरगना मसूद अजहर को जहां भारत ग्लोबल आतंकी घोषित करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहा है वहीं चीन हर बार पानी फेर देता है। हाल में यूएन सुरक्षा परिषद में चीन ने एक बार फिर वीटो पावर से मसूद को बचा लिया।
क्या आप जानते हैं वीटो पावर क्या होती है जिसका इस्तेमाल कर हर बार चीन मसूद का रक्षा कवच बन जाता है, आइए हम आपको समझाते हैं क्या होती है वीटो पावर और कैसे मिलती है।
क्या है वीटो?
Veto माने ‘मैं अनुमति नहीं देता हूं’। यह लैटिन भाषा का एक शब्द है। रोम में सालों पहले सरकार के किसी भी फैसले या कार्रवाई को रोकने के लिए कुछ अधिकारियों के पास स्पेशल पावर होती थी। किसी भी चीज को रोकने के लिए अधिकारी इस पावर का इस्तेमाल किया करते थे। तब से चली आ रही यह पावर आज भी इस्तेमाल होती है। यूएन सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के पास वीटो होता है जो चीन, फ्रांस रूस, यूके और अमेरिका है।
क्या है इसका इतिहास ?
युद्ध के बाद फरवरी, 1945 में यूक्रेन के शहर याल्टा में एक सम्मेलन रखा गया जिसमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंसटन चर्चिल, सोवियत संघ के प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन शामिल हुए। सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन ने वीटो पावर का प्रस्ताव सभी के सामने पेश किया। बताया जाता है कि इससे पहले 1920 में भी लीग ऑफ नेशंस की स्थापना के बाद लीग काउंसिल के सदस्य वीटो पावर काम में लेते थे।
पहली बार किसने लगाया वीटो ?
लेबनान और सीरिया से विदेशी सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव का विरोध करते हुए 16 फरवरी, 1946 को सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (यूएसएसआर) ने पहली बार वीटो लगाया था।
इसके बाद अब तक सभी देशों ने कुल 291 बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है। सोवियत रूस ने 141 बार, अमेरिका ने 83 बार, ब्रिटेन ने 32 बार, फ्रांस ने 18 बार और चीन ने 15 बार वीटो लगाया है। हालांकि चीन ने शुरूआती सालों में बहुत कम वीटों लगाए थे लेकिन शीत युद्ध के बाद चीन ने कई बार वीटो का इस्तेमाल किया है।
ताजा वीटो कहां लगाए गए ?
– 28 फरवरी, 2017 और 10 अप्रैल, 2018 को चीन और रूस का वीटो जो सीरिया में रासायनिक हथियारों के प्रतिबंध और गृह युद्ध में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की जांच प्रस्ताव पर था।
1 जून, 2018 को अमेरिका ने गाजा बॉर्डर विरोध में इजरायल ताकत का दुरूपयोग करने पर
28 फरवरी, 2019 को चीन और रूस ने वीटो लगाया जब वेनेजुएला में राष्ट्रपति शासन पर संकट का प्रस्ताव पेश किया गया।
13 मार्च, 2019 को मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो लगाकर फिर उसे खारिज कर दिया।
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