जब से देश में नागरिकता संशोधन एक्ट बना है तब से सीएए के खिलाफ लोग अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका रहती है और निपटने के लिए राज्य सरकारें ‘धारा 144 सीआरपीसी’ को लागू कर सकती है। इन प्रदर्शनों के दौरान राजधानी दिल्ली के कुछ इलाकों, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के कुछ जिलों में धारा 144 लागू की गई है।
कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर यानी सीआरपीसी के अंतर्गत आने वाली धारा 144 के माध्यम से क्षेत्र विशेष में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लगायी जाती है। किसी जिलें के बड़े अधिकारी जैसे सीएम, एसडीएम या एग्जिक्यूटिव मजिस्ट्रेट को यह अधिकार मिलता है कि वह कानून व्यवस्था बिगड़ने पर राज्य सरकार की ओर से एक आदेश जारी कर अपने इलाके में इस निषेधाज्ञा को लागू कर सकते हैं।
यह कानून राज्य सरकारों और स्थानीय पुलिस को कई विवेकाधीन अधिकार भी देता है। जैसे लोगों की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था, हिंसा, लूटपाट, आगजनी, संभावित खतरों का हवाला देकर इस निषेधाज्ञा का उपयोग किसी एक व्यक्ति को प्रतिबंधित करने के लिए भी किया जा सकता है और निषेधाज्ञा की अवहेलना करना कानूनन अपराध है।
जिस क्षेत्र में धारा 144 लागू की जाती है, वहां पर चार या उससे ज्यादा व्यक्तियों के इकट्ठे नहीं हो सकते और उस क्षेत्र में पुलिस और सुरक्षाबलों को छोड़कर किसी को भी हथियार लाने या ले जाने पर रोक लग जाती है। लोगों का घर से बाहर घूमना प्रतिबंधित हो जाता है यही नहीं धारा 144 लगे रहने तक यातायात पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।
नियमानुसार किसी भी इलाके में धारा 144 एक बार लगने पर अधिकतम दो महीने के लिए ही लगाई जा सकती है। हालांकि जरूरत पड़ने पर इसे लागू होने के समय से लेकर अधिकतम छह महीने के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।
कानून व्यवस्था बनाए रखने के दौरान लागू धारा 144 का पालन करन देश के हर नागरिक का दायित्व होता है, लेकिन इसका उल्लंघन करने पर कानून में सजा का भी प्रावधान है। यदि किसी व्यक्ति को धारा 144 के उल्लंघन का दोषी पाया जाता है, तो उसे अधिकतम तीन साल कैद की सजा का प्रावधान है। धारा 144 लागू रहने के समय अगर कोई व्यक्ति पुलिस या सुरक्षाबलों को उनके काम में दखल देता है तो उसके लिए भी उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा जा सकता है।
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