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ये रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट क्या चीज होती है, ऊपर से जाने वाली इन बैंकिंग टर्म्स को यहां समझिए

रॉबर्ट वाड्रा के ईडी के सामने पेश होने और ममता-सीबीआई में हुए टकराव की थोड़ी बहुत ठंडी खबरों के बीच देश के सबसे बड़े बैंक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कमी करने का ऐलान किया है। अब नई रेपो रेट 6.25 फीसदी तय की गई है। बस इतना पढ़ने से एक बार के लिए किसी को लग सकता है कि आज की इससे ऊबाऊ खबर और क्या हो सकती है और आप अगली खबर पर क्लिक कर देंगे।

लेकिन एक वर्किंग क्लास या मिडिल क्लास के लिए यह खबर इसलिए मायने रखती है क्योंकि इन तकनीकी शब्दों के झोल के बीच उसके लिए अच्छी खबर है। जी हां, अब से बैंक से लेने वाले होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे सभी तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे, मतलब अब पहले से कम ईएमआई भरनी होगी।

अब तक रेपो रेट की दर 6.5 फीसदी थी जिसे घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया गया है। रिजर्व बैंक के इन दरों के घटने से रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी हो जाएगी। अब ज्यादा देर आप बिना समझे इन तकनीकी और बैंकिंग टर्म्स में उलझे रहेंगे तो सच में आपको बिजनेस की खबरों से ज्यादा बोरियत कहीं और महसूस नहीं होगी।

लेकिन हम आपकी समझ को बढ़ाने के साथ-साथ बोरियत को कम करने की आखिर तक कोशिश करेंगे, तो आइए समझते हैं बैंकिंग की इन टर्म्स का क्या मतलब होता है और कैसे इनके घटने-बढ़ने से लोन सस्ते हो जाते हैं।

क्या होती है रेपो रेट ?

देश में इतने सारे बैंक है उन्हें अपने ग्राहकों को लोन देने के लिए मनी की जरूरत होती है। तो आरबीआई जिस रेट पर बैंकों को कर्ज देता है उस रेट को रेपो रेट कहा जाता है। फिर बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। अब साफ है कि अगर रेपो रेट कम होगी तो बैंक से मिलने वाले लोन सस्ते हो जाएंगे जिनमें होम लोन, व्हीकल लोन ये सब शामिल है।

तो फिर ये रिवर्स रेपो रेट क्या होती है ?

हमें नाम से ही पता चल रहा है कि रेपो रेट का उलट रिवर्स रेपो रेट होता है। जब नकदी का फ्लो मार्केट में ज्यादा हो जाता है तो बैंक मनी को ब्याज पर आरबीआई में जमा करवा देते हैं। जिस रेट पर ब्याज दिया जाता है उसे ही रिवर्स रेपो रेट कहते हैं। मानिए बाजार में नकदी अधिक हो गई तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देगा जिससे कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी नकदी आरबीआई में जमा कराएंगे और नकदी कंट्रोल में आ जाएगी।

अब आखिर में यह भी पढ़ ही लो

EMI क्या होती है ?

वैसे तो हम यह मानकर चल रहे हैं कि आप यह तो पहले से जानते होंगे, लेकिन फ्री का ज्ञान देने के लिए सरकार ने कोई जगह निर्धारित तो कर नहीं रखी। EMI की फुलफॉर्म होती है Equated Monthly Installment  जिसका हिंदी में मतलब होता है मासिक किश्त। यदि आपने कोई लोन ले रखा है और उसे मासिक किश्तों में चुकाते हैं तो उसे EMI कहा जाता है

sweta pachori

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