जैसा कि आप सभी को पता ही होगा कि सरकार ने मंगलवार को यह घोषणा की कि पाकिस्तान में आतंकवादी कैंप्स के खिलाफ भारत द्वारा नॉन मिलटरी एक्शन( गैर सैन्य कार्यवाही) लिया गया। कैंप जैश ए मोहम्मद का बताया जा रहा है जहां पर आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा रही थी।
12 दिन पहले ही पुलवामा में एक CPRF के सैनिकों पर फिदायीन हमला सामने आया था जिसमें 40 जवान मारे गए थे जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान के संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि “उन्हें विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद देश के विभिन्न हिस्सों में एक और आत्मघाती आतंकी हमले की प्लानिंग कर रहे थे और फिदायीन जिहादियों को इसके लिए ट्रेनिंग दी जा रही थी। इस दिखाई दे रहे खतरे के सामने, एक प्रीएम्पटिव एक्शन या स्ट्राइक लेने की जरूरत थी”
भारतीय वायु सेना के सूत्रों ने कहा कि इस तरह के एक्शन में दूसरे देश की सेना की मिलिट्री या सैन्य इंस्टालेशन को टारगेट नहीं किया जाता है और इसमें आम नागरिक को भी हताहत नहीं किया जाता है।
भारतीय सेना के पूर्व कमांडर और रक्षा विशेषज्ञ जनरल अता हसनैन के अनुसार “ऐसी गैर-सैन्य पूर्वव्यापी कार्रवाई(प्रीएम्पटिव नॉन मिलिट्री एक्शन) जिसमें पाकिस्तान की किसी सेना सुविधा पर हमला नहीं किया गया है संयुक्त राष्ट्र को ध्यान में रखते हुए किया गया था। यह स्पेक्ट्रम की सबसे उपयुक्त प्रतिक्रिया है जो भारत के पास थी। जनरल हसनैन ने कहा कि यह पाकिस्तान पर दबाव भी डालता है और भारत की इमेज को अंतरराष्ट्रीय लेवल पर नुकसान से भी बचाता है”
गोखले ने कहा कि यह गैर-सैन्य पूर्वव्यापी कार्रवाई (नॉन मिलिटरी एक्शन) विशेष रूप से आतंकवाद से लड़ने के उपाय के रूप में JeM कैंप पर ही की गई थी। हमले में आम नागरिकों को भी ध्यान में रखा गया था और टागरेट घने जंगल में चुना गया था ताकि आम नागरिकों को नुकसान ना हो।
हमला ऐसे समय में हुआ है जब भारत संयुक्त राष्ट्र 1267 प्रतिबंध समिति के तहत जैश प्रमुख मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकवादी के रूप में लिस्ट में शामिल करने की कोशिश कर रहा है।
सचिव गोखले के स्टेटमेंट में यह स्पष्ट करने की कोशिश की जा रही है कि यह पाकिस्तानी राज्य या उसके लोगों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई नहीं थी। इसका नेतृत्व खुफिया और भारत पर एक और हमले को रोकने की इच्छा से किया गया था और यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष रूप से योजना बनाई गई थी कि वहां के नागरिकों को चोट नहीं पहुंचेगी।
इसके बाद “ऩॉन मिलिट्री प्रीएम्पटिव एक्शन” का उपयोग करना पूरे विश्व को यह सूचित करना है कि भारत के इरादे आक्रामक नहीं थे और इसके बजाय आत्मरक्षा के रूप में यह हमला किया गया था।
इसकी सटीकता के बावजूद, विदेश सचिव का बयान अभी भी दो सवालों का सामना करता है:
क्या इसने पाकिस्तानी सेना को जवाबी कार्रवाई करने की बजाय डी-एस्केलेट करने के लिए पर्याप्त जगह दी है? भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बजाय पाकिस्तान पर निशाना साधने के लिए जो प्रवेश लिया है वह बड़ी बात है और इस्लामाबाद का इस पर चुप रहना कठिन होगा।
क्या भारतीय जनता पार्टी स्क्रिप्ट पर टिक सकती है? केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पहले ही आधिकारिक तौर पर हमलों को स्वीकार कर चुके हैं। एक ट्वीट के साथ जिसमें कहा गया कि यह “अभी शुरुआत है”। चुनावी मौसम में पार्टी के बाकी सदस्य बयानबाजी के लिए बाध्य होते हैं, जो विदेश सचिव की सटीक भाषा को स्पष्ट कर सकता है।
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