देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बने जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भविष्य में देश में थिएटर कमांड बनाए जाएंगे ताकि युद्ध के दौरान दुश्मन की हालत को कमजोर करने की रणनीति आसानी से बनाई जा सके। वर्तमान हालात को देखते हुए भारत के लिए युद्ध रणनीतियों में बदलाव करना बेहद जरूरी हो गया है। इन्हीं वजह से आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को मिलकर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने की बात सीडीएस द्वारा कही है। आइए जानते हैं क्या है थिएटर कमांड और यह किस प्रकार कार्य करता है—
यह एक सुरक्षा चिंता से जुड़े भौगोलिक थिएटरों के लिए एक एकीकृत कमान है, जो एक कमांडर के अधीन होती है। देश की भौगोलिक और रणनीतिक क्षेत्र को ध्यान रखते हुए देश की तीनों सेनाओं और अन्य सैन्य बलों को एकसाथ लाया जाता है। इसकी कंमाड एक ही ऑपरेशनल कमांडर के पास होती है। इसके लिए भौगोलिक क्षेत्रों का चयन करने के पीछे माना जाता है कि समान भूगोल वाले युद्ध क्षेत्र को आसानी से हैंडल किया जा सके। जैसे- हिमालय के पहाड़, राजस्थान के रेगिस्तान, गुजरात का कच्छ आदि।
थिएटर कमांड का सबसे सही उपयोग युद्ध के दौरान तब होता है जब बात तीनों सेनाओं के बीच समन्वय कीे होती है। युद्ध के दौरान तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बनाए रखने के लिए ये कमांड बेहद कारगर साबित होती है। एक जगह तीनों सेनाओं के लिए बनी रणनीतियां दुश्मन पर अचूक वार करने को बेहद आसान बना देती है। इससे कमांड बनाने से खर्च भी कम होता है। यही वजह है कि सेना, वायुसेना और नौसेना को एकसाथ लाकर इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड बनाने की बात की गई है।
देश में फिलहाल में केवल एक थिएटर कमांड कार्यरत है। यह अंडमान निकोबार में है और इसकी स्थापना वर्ष 2001 में की गई। वैसे देश में अभी तीनों सेनाओं के अलग-अलग 17 कमांड्स हैं। जिसमें 7 थल सेना के, 7 एयरफोर्स के और और 3 नौसेना के पास हैं। इसके अलावा एक स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड है जो परमाणु शस्त्रागार को सुरक्षा देता है और उसे संभालता है। इसकी स्थापना वर्ष 2003 में की गई थी।
देश में करीब 15 लाख सशक्त सैन्य बल है। इन्हें संगठित और एकजुट करने के लिए थिएटर कमांड्स बनने की जरूरत है। इनके बनने से एकसाथ कमांड लाने पर सैन्य बलों के आधुनिकीकरण का खर्च कम हो जाएगा।
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