मुस्लिम वुमन बिल 2019 पिछले साल सितंबर के बाद इस साल दूसरी बार फरवरी में पेश किया गया। यह बिल शादी के मामलात में सुरक्षा के लिए था। तीन तलाक बिल में अचानक हुए तलाक को एक दंडनीय अपराध मानते हुए 3 साल की सजा बताई गई है। यह बिल उन मुस्लिम पुरुषों के लिए हैं जो अपनी पत्नियों को सिर्फ तीन बार “तलाक” बोलकर तलाक दे देते हैं।
अगस्त 2017 में, सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित कर दिया, जिसमें यह बताया गया कि कोई भी मुस्लिम व्यक्ति अपनी पत्नी को तीन बार “तलाक” बोलकर शादी खत्म नहीं कर सकता है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2017 को लोकसभा में तीन तलाक के लिए सख्त कानून लागू करने हेतु बिल पेश किया जो पारित हो गया, लेकिन यह बिल राज्य सभा में अटक गया। इसके बाद चुनाव आ गए और 16वीं लोकसभा भंग हो गई।
राज्य सभा में इस बिल के लटके होने के कारण, मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने के लिए अध्यादेश लाने का फैसला किया, जिसमें कहा गया कि अचानक तीन तलाक लेने वालों को उचित सजा का प्रावधान अभी तक नहीं किया गया है।
सरकार ने तर्क दिया कि तीन तालक के कारण मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय हो रहा है।
मुस्लिम महिलाओं के लिए अध्यादेश को सितंबर 2018 में फिर से लाया गया और जब यह संसद की स्वीकृति के बिना गिर गया, तो सरकार ने इस साल फरवरी में इस अध्यादेश को फिर से लागू किया।
तीन तलाक अध्यादेश के तहत, अचानक हुए तीन तलाक को अवैध माना गया है और पति के लिए तीन साल की जेल की सजा बताई गई है। जेल की सजा वाले प्रावधान पर असदुद्दीन ओवैसी जैसे कई नेताओं को आपत्ति है कि तीन साल की जेल मुस्लिम पुरुषों के साथ भेदभाव है।
इसके अलावा अध्यादेश में तलाक-ए-बिद्दत के तहत लिखित या इलेक्ट्रॉनिक किसी भी तरीके से तीन तलाक देने को असंवैधानिक बताया गया है।
तलाक-ए-बिद्दत का मतलब है मुस्लिमों के व्यक्तिगत कानूनों के तहत तलाक देने की प्रथा, जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी को तीन बार ‘तलाक’ शब्द कहा जाता है।
जब पहली बार तीन तलाक बिल पेश किया गया था तो अपराध की गैर-जमानती प्रकृति पर मुस्लिम पुरूषों के नागरिक अधिकारों के बारे में भी चिंता व्यक्त की गई थी।
इन सभी आशंकाओं के बाद, बिल को संशोधित कर पेश किया गया जिसमें पुरूष को जमानत देने का प्रावधान भी शामिल किया गया है। अब अभियुक्त यानि पुरूष मजिस्ट्रेट से जमानत लेने का हकदार है। हालांकि, अब भी बिल का विरोध करने वाले संतुष्ट नहीं हुए हैं।
विरोध करने वालों का अब यह तर्क है कि तीन तलाक बोल देने से तलाक लेने वालों की शादी अब समाप्त नहीं होगी लेकिन मुस्लिम पुरुषों को जेल में बंद किया जा सकेगा। तीन तलाक बिल एक मुस्लिम महिला को भी कई अधिकार देता है, जिसमें तलाक के बाद महिला अपने पति से और अपने आश्रित बच्चों के लिए निर्वाहन भत्ता लेने की हकदार है।
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment