मद्रास हाई कोर्ट ने कहा भी था कि सोशल मीडिया पर किसी भी तरह के मैसेज को फॉरवर्ड करना यही कहता है कि आप उसका समर्थन करते हैं। आप स्मार्टफोन से तो मिल लिए लेकिन कहीं यही स्मार्टफोन आपको बेवकूफ तो नहीं बना रहा है। आपको यह पता होना जरूरी है कि फेक न्यूज के कारण भीड़ को भड़काया जा सकता है लोगों की जान तक को खतरा हो सकता है।
आकड़ों की बात करें तो देश में करीब 20 करोड़ लोग वॉट्सऐप यूज कर रहे हैं। इसमें कई लोग फेक मैसेज शेयर करते हैं और बिना किसी सोर्स के मैसेज वायरल हो जाते हैं ऐसे में हमें ध्यान रखने की जरूरत है कि हर चीज सही नहीं होती खासकर जब आपको किसी भी तरह की सोर्स की जानकारी नहीं है।
सबसे बड़ी वजह यही बताई जाती है कि हर किसी के पास आजकल स्मार्टफोन आ चुके हैं। और इंटरनेट पैक भी हर किसी के जेब पर उतने भारी नहीं पड़ते। आज गांवों तक स्मार्टफोन दस्तक दे चुके हैं लेकिन एक चीज की बहुत ज्यादा कमी है और वो है जागरूकता। लोगों के पास साधन तो शायद आ भी जाए जागरुकता नजर नहीं आ रही और इसी कारण वे फर्जी और फेक न्यूज की चपेट में आ जाते हैं।
बच्चा चोरी, सांप्रदायिकता, हिन्दू मुस्लिम, दलित आदि तरह तरह के गलत और भड़काऊ मैसेज व्हाट्सएप और फेसबुक पर शेयर किए जाते हैं।
जरूरी नहीं की मैसेज आपको मिल रहा है वो सही ही हो। सतर्क रहें। जब भी लोग आपको ऐसे मैसेज भेजें उन्हें भी फेक न्यूज के बारे में बताएं और उन्हें भी जागरुक करें। हमेशा ध्यान रखें कि फेक मैसेज में कभी भी किसी तरह की डेट और टाइम नहीं दिया होता है और ना ही किसी तरह के सोर्स की जानकारी होती है।
व्हाट्सएप अपने सभी सदस्यों को प्लेटफॉर्म पर फेक जानकारी के प्रसार से निपटने के प्रयास में किसी भी एक मैसेज को पांच बार तक आगे भेजने तक सीमित कर दिया है। छ: महीने पहले यही स्कीम सिर्फ भारत में शुरू की थी। अब ये बाकी देशों में भी शुरू कर दी जाएगी।
समय समय पर फेक न्यूज पर कई तरह की रिसर्च होती रहती हैं। अमेरिका, रूस जैसे बड़े देश भी इसकी मार से नहीं बचे हैं। ऐसा ही शोध हाल ही सामने आया है। एक नए अध्ययन के अनुसार 65 प्लस और रूढ़िवादी उम्र के फेसबुक यूजर्स बाकी लोगों की तुलना में ज्यादा फेक न्यूज शेयर करते हैं।
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