कांग्रेस पार्टी तीन राज्यों में दोबारा से अपनी सरकार बनाने जा रही है जिसे लोगों ने चुना है। लोगों के मन में काफी सवाल रहता है कि जब किसी राज्य में नई सरकार बनने जाती है तो क्या होता है। क्या नई सरकार पुरानी सरकार की योजनाएं बंद कर देती है जैसे सवाल भी अक्सर पूछे जाते हैं। चलिए आपके मन के सवालों के जवाब हम यहां दे देते हैं और बताते है कि नई सरकार आने के बाद होता क्या है।
ये काफी पुराना ट्रेंड है जिसमें किसी राज्य में नई सरकार आने पर सबसे पहले प्रशासन का सिस्टम हिल जाता है। सीएम के बाद मुख्य सचिव से लेकर कांस्टेबल तक बदल दिए जाते हैं। हालांकि कुर्सी संभालते ही सीएम ये काम फौरन ही नहीं करते मगर एक महीने या उससे कम में वो पिछली सरकार द्वारा किए गए कार्यों का पूरा ब्यौरा लेकर अपनी पसंद के अधिकारी चुनते हैं और पुराने अधिकारियों का तबादला कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में केवल व्यक्तिगत पसंद ही काम आती है।
नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है और ये केवल और केवल उस राज्य के नए मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है कि वो योजना को बंद करेगा या नहीं। उदाहरण के तौर पर राजस्थान में जब 2013 में वसुंधरा राजे सरकार आई थी तो उन्होनें पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की कुछ योजनाओं को बंद नहीं किया था जिनमें गहलोत द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना’ शामिल है।
कुछ लोगों का ये सवाल रहता है कि क्या नई सरकार आने पर पुरानी सरकार द्वारा निकाली गई वैकेंसी को रोक दिया जाता है। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है यदि पिछली सरकार में वैकेंसी की घोषणा के बाद उसकी अधिसूचना जारी कर दी जाती है तो नई सरकार उन भर्तियों को नहीं रोक सकती है हां उन भर्तियों में कुछ संशोधन करके उसे नये सिरे से आयोजित करने की घोषणा जरूर हो सकती है।
नई सरकार आने पर कुछ नीतियों में बदलाव जरूर होता है जैसे कि आबकारी नीति, राज्य पेंशन नीति आदि।
नई सरकार में छोटे मोटे प्रशासनिक बदलाव भी होते हैं जैसे राज्य कर्मचारियों के दफ्तर आने जाने के समय में परिवर्तन, छुट्टियां और काम करने के तरीकों में थोड़ा बदलाव आता है।
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