भाषणों से पता चल रहा है कि दूसरी मोदी सरकार का मुख्य लक्ष्य अपने कार्यकाल के अंत तक भारत को 5-ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना होगा। लेकिन भारत के लिए 5-ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का क्या मतलब है? इसकी कितनी संभावना है कि ऐसा हो भी सकता है? और सबसे बड़ा यह है कि क्या भारत को इससे फायदा होगा?
मूल रूप से यहां एक अर्थव्यवस्था के आकार के बारे में बात हो रही है जिसे वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी द्वारा मापा जाता है। थंब रूल की मानें थे तो अर्थव्यवस्था का आकार जितना बड़ा होगा जीडीपी भी उसी हिसाब से बढ़ती है।
सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी, ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट एक वित्त वर्ष के दौरान देश के भीतर कुल वस्तुओं के उत्पादन और देश में दी जाने वाली सेवाओं का टोटल होता है। किसी देश की जीडीपी की पता करने के कई तरीके हैं। आप कुल उत्पादन को कलेक्ट कर सकते हैं या आप लोगों द्वारा कमाई गई सभी आय को जोड़ सकते हैं या आप अर्थव्यवस्था में संस्थाओं (सरकार सहित) द्वारा किए गए सभी खर्चों को जोड़ सकते हैं। अंतरार्ष्ट्रीय लेवल पर जीडीपी को उत्पादन विधि (यानी हर स्टेप पर मूल्य में बढ़ोतरी को जोड़कर) और मौद्रिक मूल्य यूएस $ में मौजूदा कीमतों का उपयोग करके पता की जाती है।
दूसरे शब्दों में जीडीपी सभी देशों (अर्थव्यवस्थाओं) के बीच यह पता लगाने के तरीका है कि कौन आगे है। जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान कहा था। 2014 में भारत की जीडीपी $ 1.85 ट्रिलियन थी। आज यह $ 2.7 ट्रिलियन है और भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
अब इस टेबल को देखिए। विश्व बैंक के अनुसार 2018 तक भारत की अर्थव्यवस्था कितनी थी टेबल के कॉलम में इसी के बारे में पता चलता है। यह डेटा दर्शाता है कि भारत यूनाइटेड किंगडम को पछाड़ने के बहुत करीब है। यह भी दर्शाता है कि इंडोनेशिया की जीडीपी भारत की लगभग एक तिहाई है।
नहीं। भारत छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। जरूरी नहीं कि भारतीय दुनिया में छठे सबसे अमीर लोग हों। जीडीपी अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्कोर बनाने का पहला और सबसे अल्पविकसित तरीका है। यदि कोई अर्थव्यवस्था में लोगों की भलाई को बेहतर ढंग से समझना चाहता है, तो प्रति व्यक्ति जीडीपी को देखना चाहिए। दूसरे शब्दों में कुल जनसंख्या द्वारा विभाजित सकल घरेलू उत्पाद। यह एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है जिसमें प्रति व्यक्ति आय कितनी बढ़ रही है इस पर ध्यान दिया जाए।
यदि कोई व्यक्ति तालिका के दूसरे कॉलम में प्रति व्यक्ति जीडीपी को देखता है तो यह आंकड़े बहुत अलग हैं और वास्तव में संबंधित अर्थव्यवस्थाओं की अगर बात करें तो समृद्धि के स्तर की अधिक सटीक तस्वीर इसी से मिलती है। उदाहरण के लिए ब्रिटेन के निवासियों की आय 2018 में औसत भारतीय की आय से 21 गुना अधिक थी। यह बड़ा अंतर मौजूद है भले ही भारत की कुल जीडीपी यूके की तुलना में बहुत अधिक है। इसी तरह एक इंडोनेशियाई एक भारतीय की तुलना में दोगुनी कमाई करता है भले ही इंडोनेशिया की समग्र अर्थव्यवस्था भारत की केवल एक तिहाई है।
आर्थिक विकास के ऊपर सब कुछ डिपेंड करता है। अगर भारत 12% नाममात्र की वृद्धि (यानी 8% वास्तविक जीडीपी विकास और 4% मुद्रास्फीति) पर बढ़ता है तो 2018 में $ 2.7 ट्रिलियन डॉलर से भारत 2024 में 5.33 ट्रिलियन के निशान तक पहुंच जाएगा।
हालांकि यहां एक गड़बड़ है। पिछले साल भारत की जीडीपी में सिर्फ 6.8% की वृद्धि हुई। इस साल अधिकांश विशेषज्ञों को उम्मीद है कि यह सिर्फ 7% बढ़ेगा। इसलिए भारत के पास जो टारगेट है उसे पाने के लिए तो बहुत तेजी से बढ़ना होगा।
यदि 2024 तक भारत की जीडीपी $ 5.33 ट्रिलियन हो जाती है और भारत की जनसंख्या 1.43 बिलियन (संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रक्षेपण के अनुसार) होगी तो भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 3,727 डॉलर होगी। हालांकि यह आज की तुलना में बढ़ेगी फिर भी यह 2018 में इंडोनेशिया की जीडीपी प्रति व्यक्ति से कम ही रहेगी।
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