चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग बुधवार को दो दिवसीय दौरे के लिए भारत पहुंचे। चीनी राष्ट्रपति शी जिंनपिंग और भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी की दूसरी अनौपचारिक मुलाकात है। इससे पहले अप्रेल 2018 में ये दोनों नेता वुहान में मिले थे। वैसे पीएम मोदी और जिनपिंग अलग—अलग मौके पर पर 5—6 बार मिल चुके हैं। विदेश मामलों के जानकारों की माने तो शी जिनपिंग एक खास मकसद से भारत पहुंचे हैं।
अभी तक चीन हर मुदृे पर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के ही पक्ष में बात करता नजर आया है। मगर शी जिनपिंग के भारत दौरे से पहले चीन का रवैया बदला। अभी तक जो चीन कश्मीर के मुदृे पर पाकिस्तान के साथ था उसके सुर अब बदल गए हैं। चीन कश्मीर मुदृे पर अचानक से नर्म नजर आया। चीन ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मसला बताया। साथ ही चीन ने ये भी कहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुदृा है। इसमें किसी दूसरे देश का दखल सही नहीं है।
यूं तो राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस दौरे को पूरी तरह से अनौपचारिक बताया जा रहा है। मगर दो बड़े देशों के प्रतिनिधियों की कोई भी मुलाकात अनौपचारिक नहीं हो सकती। इसके पीछे कोई न कोई मकसद जरूर होता है। अगर शी जिनपिंग के भारत दौरे की बात करें तो उसके पीछे मकसद है भारत के साथ रिश्ते ठीक करना। पाकिस्तान की वजह से लंबे समय से भारत और चीन के बीच खटास बनी हुई है। वहीं भारत दुनिया का एक मजबूत देश बनकर सामने आया है। ऐसे में चीन लगातार भारत के साथ रिश्ते ठीक करना चाह रहा है।
माना जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति के इस दौरे के पीछे दोनों देशों के बीच कारोबारी संबध मजबूत करना है। चीन के लिए भारत सबसे बड़ा मार्केट है। चीनी प्रोडक्ट्स धडल्ले से भारत में बिकते हैं। साथ ही चीन खुद को मजबूत बनाने के लिए भारत में ज्यादा से ज्यादा निवेश करन चाहता है। वहीं भारत के दृष्टिकोण से भी ये फायदे का सौदा है। इस समय भारत की अर्थव्यव्स्था लचर हालत में है। ऐसे में चीन का निवेश बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
वहीं चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग के भारत दौरे से दो दिन पहले ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन से लौटे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान बुरे समय में चीन को अपनी तरफ बनाए रखना चाहता है। वहीं चीन भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ तालमेल बैठाना चाहता है। ऐसा माना जा रहा है कि चीनी राष्ट्रपति के भारत दौरे से पहले इमरान खान का चीनी दौरा चीन की भारत के साथ बातचीत पर असर डाल सकता है। मगर सच ये है कि चीन के लिए भी पाकिस्तान से ज्यादा फायदेमंद भारत है। चीन ने पाकिस्तान में भी काफी निवेश किया है मगर उसको अभी तक इस निवेश से बड़ा फायदा नहीं मिल पाया है।
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