West Bengal: Laborer Chandna Bauri won Salatora assembly seat on BJP ticket.
देश के पांच राज्यों की विधानसभा के चुनाव परिणाम रविवार को घोषित किए गए। पश्चिम बंगाल में इस बार भाजपा के सत्ता में आने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन मुकाबले में टीएमसी बहुत आगे निकल गई। यहां भाजपा भले ही जादुई आंकड़ा के आस-पास भी नहीं पहुंच पाई हो, लेकिन पार्टी की एक महिला विधायक की जीत की खूब चर्चा हो रही है। भाजपा के टिकट पर सालतोरा सीट से चुनाव लड़ने वाली चंदना बाउरी ने टीएमसी के प्रत्याशी संदीप मंडल को हरा दिया। उनकी जीत की चर्चा का कारण ये है कि भारतीय जनता पार्टी ने मजदूरी करने वाली चंदना को अपना उम्मीदवार बना के सबको चौंका दिया था। इसके बाद चुनाव में जनता ने उनकी सादगी पर मोहर लगाते हुए 5 साल के लिए बाउरी को बंगाल की विधानसभा में भेज दिया है।
बता दें कि साधारण मजदूर से इस पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में विधायक बनने तक का सफर तय करने वाली चंदना बाउरी एक बहुत साधारण परिवार से आती हैं और संपत्ति के नाम पर उनके पास एक झोपड़ी और कुछ पैसे हैं। भाजपा नेता सुनील देवधर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि चंदना बाउरी की अबतक की जमापूंजी कुल 31,985 रुपये है। उन्होंने बताया कि चंदना अनुसूचित जाति से आती हैं और एक झोपड़ी में रहती हैं। वह एक मजदूर की पत्नी हैं और संपत्ति के नाम पर उनके पास तीन गाय और तीन बकरियां हैं।
सालतोरा सीट से नामांकन करने के दौरान निर्वाचन आयोग को दिए गए शपथ पत्र के अनुसार, चंदना बाउरी के बैंक खाते में सिर्फ 6335 रुपये हैं। संपत्ति के नाम पर चंदना के पास तीन गाय, तीन बकरी, एक झोपड़ी और बैंक में जमा नकद मिलाकर कुल 31,985 रुपये हैं। यहां तक कि चंदना के घर में शौचालय तक भी नहीं है। पार्टी के प्रति वह इतनी ज्यादा समर्पित हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान हर दिन कमल के प्रिंट वाली भगवा रंग की साड़ी पहनकर ही बाहर निकलती थी। उनकी समर्पितता और मेहनत का नतीजा अब सबके सामने हैं।
जानकारी के अनुसार, विधायक बनी चंदना बाउरी के पति सरबन मजदूरी करते हैं। वह राजमिस्त्री का काम करते हैं। चुनाव लड़ने से पहले की बात करें तो पति और पत्नी दोनों मनरेगा में पंजीकृत मजदूर हैं। उन दोनों के तीन बच्चे भी हैं। चंदना पिछले सात-आठ साल से भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सालतोरा से चंदना बाउरी को अपना प्रत्याशी बनाया तो वहीं टीएमसी ने उनके सामने संतोष मंडल को मैदान में उतारा था। टीएमसी ने भले ही एक बार फिर बंगाल फतेह कर लिया हो, लेकिन मजदूर चंदना ने जीत दर्ज कर इतिहास बना दिया है।
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