वो विश्व नेता जिसकी विचारधारा ने पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया, वो एक नेता जो विदेशी होने के बावजूद भारत की जनता की पीड़ा समझता था। जी हां, हम बात कर रहे हैं व्लादिमीर लेनिन की जिन्होंने आजादी की जंग में भारत की जनता की शक्ति को पहचाना और भारतीयों की गरीबी, बदहाली और शोषण की दुनिया पर अपनी पैनी नजर रखीं। 22 अप्रैल को रूसी क्रांति के इस नायक की 153वीं बर्थ एनिवर्सरी है। इस ख़ास अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
मार्क्सवाद के विचारों ने पूरी दुनिया को किया प्रभावित
22 अप्रैल, 1870 को उल्यानोस्क, रूस में जन्मे व्लादिमीर लेनिन को 1917 में हुई रूस क्रांति का नायक माना जाता है। मार्क्सवादी विचारधारा पर लेनिन ने कम्युनिस्ट पार्टी बनाई। लेनिन के समाज और दर्शन शास्त्र के विचारों ने पूरी दुनिया को काफी प्रभावित किया। आगे चलकर यह विचारधारा लेनिनवाद के रूप में जानी गईं।
भारत की आजादी की लड़ाई का किया समर्थन
जब व्लादिमीर लेनिन सोवियत संघ के राष्ट्र प्रमुख पद पर थे, तब उन्होंने खुलेआम भारत की आजादी की लड़ाई का समर्थन किया। रूस का उस दौरान बुरा समय चल रहा था और वह ब्रिटेन जैसी शक्तिशाली ताकत के सामने घुटने टेकने जैसा था ऐसे में लेनिन ने बिना डरे अंग्रेजों के शासन के खिलाफ खुलकर बोला।
भगत सिंह मानते थे अपना आदर्श
स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी भगत सिंह व्लादिमीर लेनिन को आजीवन अपना आदर्श मानते थे। यहां तक की भगत सिंह को जिस दिन फांसी दी जानी थी उससे पहले वो लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे। भगत सिंह ने फांसी दिए जाने से पहले कहा कि क्या मुझे लेनिन की किताब का एक अध्याय भी ख़त्म नहीं करने देंगे? ज़रा एक क्रांतिकारी की दूसरे क्रांतिकारी से मुलाकात तो खत्म होने दो।
अभी तक दफ्न नहीं की गई है लाश
व्लादिमीर लेनिन की मौत 21 जनवरी, 1924 रूस के गोर्की लेनिन्स्की में हुईं। इसके बाद से आज तक उनके शव को न तो जलाया गया, न ही दफनाया गया है। लेनिन का शव मास्को के रेड स्क्वायर के एक म्यूजियम में अभी तक सुरक्षित रखा हुआ है। रूसी बायोमेडिकल टेक्नोलॉजी रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर की देखरेख में लेनिन के शव की देखभाल की जाती है।
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