शतरंज के खेल के बारे में तो हम सभी जानते ही हैं। बचपन में आप सभी ने ये खेल जरूर खेला होगा, लेकिन शायद सिर्फ शौकिया तौर पर। लेकिन एक खिलाड़ी ऐसे भी थे, जिन्होंने क्रिकेट के पीछे भागने वाले इस देश में शतरंज खेल में सिर्फ अपना ही नहीं, बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया। हम बात कर रहे हैं विश्वनाथन आनंद की, जो दुनिया के महान शतरंज खिलाड़ियों में शुमार हैं। आपको बता दें कि शतरंज के ग्रैंडमास्टर कहे जाने वाले विश्वनाथन आनंद 11 दिसंबर अपना 51वां जन्मदिन मना रहे हैं।
— तमिलनाडु के मइलादुथुरई में 11 दिसंबर, 1969 को जन्मे विश्वनाथन आनंद को 6 साल की उम्र से ही शतरंज से लगाव होने लगा था। इसका श्रेय उनकी मां को जाता है। उनकी मां शतरंज की खिलाड़ी रही हैं। जबकि उनके पिता दक्षिण रेलवे के एक कर्मचारी थे। विश्वनाथ के परिवार की करीबी दोस्त दीपा रामाकृष्णन भी उनके लिए एक प्रेरणा रही हैं।
— साल 1984 में मात्र 15 साल की उम्र में आनंद इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) का खिताब जीतने वाले सबसे युवा भारतीय बने। बता दें कि चेस में आईएम के स्तर जीएम (ग्रैंडमास्टर) से पहले आता है। साल 1986 में उन्होंने अपना पहला नेशनल चेस चैम्पियनशिप जीता था। इसके बाद लगातार 1988 तक वो इस पर कब्जा जमाए रखने में कामयाब रहे।
— विश्वनाथन आनंद साल 1988 में ऐसे पहले भारतीय बने जिन्हें ग्रैंडमास्टर का खिताब मिला। इसके बाद उन्हें 1992 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला। 1988 में केवल 18 साल की उम्र में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त हुआ। वहीं, साल 2007 में उन्हें पद्म विभूषण की उपाधि हासिल हुई। आनंद ने लगातार 21 महीनों तक अपनी नंबर-1 की रैंकिंग को बरकरार रखा था।
— गैरी कास्परोव, व्लादिमीर क्रैमनिक और वेसेलिन तापोलोव के साथ आनंद दुनिया के चौथे ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने चेस रेटिंग सिस्टम इएलओ में 2800 का अंक पार किया। उनकी बड़ी उपलब्धियों में से एक यह भी है कि उनके नाम पर एक ग्रह का भी नाम रखा गया है, जिसे 4536 विशीआनंद कहा जाता है। वो तीसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके नाम पर ग्रह का नाम रखा गया है।
आनंद ने सर्वकालिक 10 महान चेस खिलाड़ियों की एक लिस्ट बनाई है, लेकिन खास बात यह है कि उसमें उन्होंने खुद को ही शामिल नहीं किया है। उनकी लिस्ट में अमेरिका के बॉबी फिसेर सबसे ऊपर हैं। बॉबी का निधन 2008 में हुआ। बेहद साधारण व्यक्तित्व वाले आनंद के नाम पर 50 से भी ज्यादा खिताब दर्ज हैं। उन्होंने ‘माई बेस्ट गेम्स ऑफ चेस’ के नाम से एक किताब भी लिखी है।
विश्वनाथन आनंद उन लोगों में से हैं, जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम मशहूर किया है। ऐसे में ये कहना भी गलत नहीं होगा कि जहां चेस को सिर्फ घर में खेले जाने वाले एक आम गेम की श्रेणी में समझा जाता था, वहां अन्य खेलों के बीच शतरंज को भी विश्वनाथन की मेहनत की ही वजह से एक नई पहचान मिली है।
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