पूर्व भारतीय क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग आज अपना 45वां जन्मदिन मना रहे हैं। सहवाग का जन्म वर्ष 1978 को दिल्ली के पास नजफगढ़ में हुआ था। उनका बचपन भले ही दिल्ली में बीता, लेकिन उनका परिवार हरियाणा से आता है। सहवाग के पिता कृष्ण सहवाग दिल्ली में गेहूं के व्यापारी हुआ करते थे। उनकी की मां का नाम कृष्णा सहवाग हैं। टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग को ‘मुल्तान का सुल्तान’, ‘वीरू’ और ‘नवाब ऑफ नजफ़गढ़’ जैसे उपनामों से भी जाना जाता है।
सहवाग ट्विटर पर काफ़ी सक्रिय रहते हैं और अक्सर चुटीले अंदाज़ में अपने साथी खिलाड़ियों को बर्थडे विश किया करते हैं। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद वह बतौर कॉमेंटेटर स्पोर्ट्स चैनल्स पर कॉमेंट्री करते नज़र आते हैं। इसके अलावा सहवाग क्रिकेट एक्सपर्ट के तौर पर भी कई चैनल्स के साथ जुड़े हुए हैं। इस ख़ास अवसर पर जानिए अपने समय के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग के जीवन के बारे में कुछ अनसुने किस्से…
वीरेंद्र सहवाग को बचपन में ही क्रिकेट से लगाव हो गया था। जब वे महज़ सात महीने के थे, तब उनके घर वालों ने उन्हें एक छोटा सा क्रिकेट बैट लाकर दिया था। सहवाग को यह बैट इतना भाया कि वह दिनभर उसे अपने पास रखते थे। उनके घरवाले समझ गए कि आखिर बच्चा बड़ा होकर क्या बनने वाला है। सहवाग की दो बहनें अंजू व मंजू और एक छोटा भाई विनोद सहवाग हैं। वीरू अपने चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर के हैं। वीरेंद्र सहवाग ने वर्ष 2004 में अपनी ही रिश्तेदार आरती अहलावत से शादी की। इन दोनों के दो बेटे आर्यवीर और वेदांत सहवाग हैं।
पूर्व क्रिकेटर सहवाग ने प्रथम श्रेणी घरेलू क्रिकेट में दिल्ली और हरियाणा का प्रतिनिधित्व किया था। आईपीएल में वह दिल्ली डेयरडेविल्स और किंग्स इलेवन पंजाब के लिए खेले। वहीं, वीरेंद्र सहवाग के अंतरराष्ट्रीय कॅरियर की शुरुआत अप्रैल 1999 में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ मोहाली में हुईं। हालांकि, उस मैच में सहवाग ने केवल एक रन ही बनाया था, जिसके बाद लगभग दो साल तक वे टीम इंडिया में वापसी नहीं कर सके।
सहवाग को टीम में दोबारा शामिल होने का मौका सचिन तेंदुलकर की वजह से मिला था। वर्ष 2001 में न्यूजीलैंड और श्रीलंका के साथ भारत ने एक त्रिकोणीय श्रंखला खेलीं। इस दौरान श्रीलंका के ख़िलाफ़ मैच में भारतीय ओपनर सचिन तेंदुलकर के पैर में इंजरी के हो गईं। इस कारण सहवाग को सलामी बल्लेबाज के तौर पर मैदान में भेजा गया। इस मैच में उन्होंने अपने कॅरियर का पहला शतक ठोका और सुर्खियों में छा गए। इसके बाद वीरू ने काफ़ी लंबे समय तक टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व किया।
वैसे तो वीरेंद्र सहवाग के नाम कई रिकॉर्ड्स दर्ज हैं, लेकिन कुछ रिकॉर्ड्स काफ़ी दिलचस्प है। वर्ष 2004 में सहवाग ने पारी की पहली ही गेंद पर छक्का जड़ दिया था। उस मैच में टीम इंडिया 360 रन के विशाल स्कोर का पीछा कर रही थी। ऑस्ट्रेलिया के लिए पहला ओवर तेज गेंदबाज जेसन गिलेस्पी ने किया। सहवाग ने गिलेस्पी की पहली ही गेंद पर जोरदार छक्का मारते हुए बॉल हवा में बाउंड्री के बाहर भेज दी। क्रिकेट इतिहास में ऐसा करने वाले वो तीसरे और पहले भारतीय क्रिकेटर बने थे। उनसे पहले मार्क ग्रेटबैच ने वर्ष 1992 में वसीम अकरम के ख़िलाफ़ और फिलो वॉलैस ने वर्ष 1998 में जवागल श्रीनाथ की पहली ही गेंद पर सिक्स लगाने का कारनामा किया।
अपने समय के तूफानी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के नाम टेस्ट क्रिकेट में दो तिहरे शतक (309 और 319) दर्ज हैं। टेस्ट में उनके नाम 6 दोहरे शतक हैं, जिसे विराट कोहली ने तोड़ा। सहवाग के नाम वनडे क्रिकेट में दोहरा शतक (219) भी है। वे दुनिया के एकमात्र सलामी बल्लेबाज हैं, जिसने टेस्ट और वनडे दोनों में 7500 से अधिक रन बनाए। उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में तेज दोहरा और तीसरा शतक दर्ज हैं।
किसी भी वनडे मैच में सबसे अधिक चौके मारने का रिकॉर्ड पहले सहवाग के नाम था। उन्होंने वर्ष 2011 में इंदौर वनडे में वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ मैच में 25 चौके लगाए थे। उनके इस रिकॉर्ड को भारत के ही रोहित शर्मा ने 33 चौके लगाकर तोड़ दिया। पूर्व दिग्गज खिलाड़ी वीरेंद्र सहवाग को भारत के पहले टी-20 कप्तान होने का गौरव प्राप्त है। उन्होंने वर्ष 2007 में टीम इंडिया के पहले टी-20 मैच में दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ कप्तानी की थी। सहवाग आईपीएल टीम किंग्स इलेवन पंजाब के कोच भी रह चुके हैं। अब वे अक्सर कॉमेंट्री करते नज़र आते हैं।
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