हलचल

कांग्रेस-भाजपा के नेताओं ने मुद्दे छोड़ जाति, धर्म और भगवान के अलापे राग, दूर दूर तक विकास का नाम ही नहीं

राजस्थान में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा और कांग्रेस के स्टार प्रचारकों ने तूफानी दौरे किए। इस बार यहां भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर होने का अनुमान लगाया जा रहा है लेकिन यहां अपने प्रचार में दोनों पार्टियों ने विकास और समृद्धि की बातें छोड़कर जाति धर्म और भगवान को अपना मुद्दा बनाया और उसे जनता पर थोप दिया। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जाति धर्म की बात करने में कहीं पीछे नहीं रहे और जब भी जहां भी भाषण दिया केवल एक जैसी ही बातें की।

कांग्रेस भाजपा से ‘वो’ जो जनता सुनना चाहती थी और जो उन्होनें सुनाया…जानिए वो सबकुछ

नरेन्द्र मोदी: देश के प्रधानमंत्री 25 नवंबर को अलवर आए थे जहां उन्होनें कांग्रेस द्वारा किए गए हमलों को लेकर अपना जवाब दिया। मोदी ने यहां पहली बार अयोध्या के राम मंदिर का जिक्र किया और अपने माता पिता एवं जाति को लेकर कांग्रेस को लपेटा। मोदी ने राजस्थान में बेरोजगारी को लेकर कांग्रेस पर जवाबी हमला नहीं किया और ना ही आगे का कोई प्लान बताया।

राहुल गांधी: 26 नवंबर को जोधपुर दौरे पर आए राहुल गांधी ने फिर रफाल डील का ही राग अलपाया। राहुल पीएम पर हमले बोलते गए और अपने पार्टी के दो दिग्गज सचिन और गहलोत को लेकर एक शब्द नहीं बोला। राहुल जहां भी जा रहे हैं उनके पास रफाल डील और चौकीदार चोर है का विषय ही बचा है।

योगी आदित्यनाथ: योगी आदित्यनाथ ने हनुमान जी पर टिप्पणी कर जातिवाद को हवा दे दी है जो अब तक नहीं थमी है। हालांकि वो एक अन्य राज्य के सीएम है लेकिन स्टार प्रचारक होने के नाते उन्होनें यहां विकास की बात ना कर जातिवाद को हवा देने का काम किया।

अमित शाह: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के भाषणों में राहुल गांधी की ही तरह दोहराव ज्यादा दिखाई दिया है। शाह बस यहां कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देते रहे।

वसुंधरा राजे: वसुंधरा राजे ने राहुल गांधी के गोत्र को लेकर उनपर हमला बोला और अब वो बस कांग्रेस के उन्हें महारानी संबोधित किए जाने को लेकर जवाबी हमले कर रहीं है। सीएम होते हुए उन्होनें जनता से आगे के रोडमैप के बारे में बिलकुल बात नहीं की और ना ही बेरोजगारी, बजरी जैसे संकटों को लेकर चर्चा की।

अशोक गहलोत: अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री चेहरा माना जा रहा है मगर वो विकास की बातें कम वसुंधरा राजे की बातें ज्यादा करते सुनाई दिए। गहलोत ने वसुंधरा पर अमित शाह के आगे झुकने जैसी बाते कर आरोप प्रत्यारोप की राजनीति को खूब हवा दे दी और जनता से विकास को लेकर एक भी संवाद नहीं किया।

सचिन पायलट: पायलट भी गहलोत की ही तरह वसुंधरा पर लगातार हमले करते आए हैं। सचिन के पास वसुंधरा को बार बार महारानी कहने के अलावा और कुछ भी नहीं था।

Neha Chouhan

12 साल का अनुभव, सीखना अब भी जारी, सीधी सोच कोई ​दिखावा नहीं, कथनी नहीं करनी में विश्वास, प्रयोग करने का ज़ज्बा, गलत को गलत कहने की हिम्मत...

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