भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) जिसके नाम पर हर साल अंडर-16 विजय मर्चेंट ट्रॉफी का आयोजन करती है, उनकी 27 अक्टूबर को 36वीं डेथ एनिवर्सरी है। भारत के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर विजय मर्चेंट का जन्म वर्ष 1911 में मुंबई शहर में हुआ था। उनका पूरा नाम विजय सिंह माधवजी मर्चेंट था। मर्चेंट अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में मात्र 10 मैच ही खेल पाए थे। इसमें भी उन्होंने कुल मिलाकर 18 ओवर ही खेले, लेकिन उनके नाम एक ऐसा रिकॉर्ड दर्ज है जो आज तक कोई क्रिकेटर नहीं तोड़ पाया है। इसके अलावा घरेलू क्रिकेट में भी उनके रिकॉर्ड्स के कोई आस-पास नहीं पहुंच पाया है। इस अवसर पर जानिए पूर्व क्रिकेटर विजय मर्चेंट के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
पूर्व क्रिकेटर विजय मर्चेंट एक भरे-पूरे परिवार से आते थे। उनकी फैमिली व्यापार का काम करती थी। मर्चेंट के परिवार की कई फैक्ट्रियां भी थीं। विजय मर्चेंट का बचपन में विजय ठाकरसे नाम हुआ करता था। एक बार बचपन में विजय से उनकी अंग्रेजी की टीचर ने उनका नाम और पिता के प्रोफेशन के बारे में सवाल पूछा था। विजय ने अपना नाम बताया और फिर पिताजी का प्रोफेशन ‘मर्चेंट’ बताया। इस पर उनकी टीचर नाम और प्रोफेशन में कंफ्यूज हो गई और उन्हें विजय मर्चेंट पुकारा। इस तरह उनका नाम बचपन के सरनेम ठाकरसे से बदलकर लास्ट नेम मर्चेंट हो गया था।
विजय मर्चेंट ने अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत वर्ष 1933 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ की थी। मर्चेंट के खेलने की शैली लाजवाब हुआ करती थी। इस कारण उनकी तकनीक की दुनिया दीवानी थी। मर्चेंट भारत के एक जबरदस्त बल्लेबाज रहे, लेकिन उनके 10 मैचों के करियर में भारत एक भी मैच नहीं जीत सका था। साल 1936 में भारत का इंग्लैंड दौरा विजय मर्चेंट के इंटरनेशनल क्रिकेट कॅरियर का सबसे यादगार रहा।
इस टूर पर उन्होंने 51.32 की औसत से 1475 रन बनाए थे। मैनचेस्टर में खेेल गए एक टेस्ट में 114 रन की शतकीय पारी खेलते हुए मुश्ताक अली के साथ पहले विकेट के लिए 203 रनों की साझेदारी की थी। उनके जोड़ीदार अली ने मैच में 112 रन की पारी खेली थी। इस दौरे पर शानदार प्रदर्शन के कारण विजय मर्चेंट को ‘विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ (वर्ष 1937) चुना गया।
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण विजय मर्चेंट का इंटरनेशनल करियर मात्र 10 मैचों पर रुक गया, लेकिन उन्होंने भारत के लिए 47.72 की औसत से 859 रन बनाए थे। इस दौरान उन्होंने तीन शतक और तीन अर्धशतक जड़े थे। द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से उनके कई साल बर्बाद हुए थे। उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर भले ही लंबा नहीं रहा, लेकिन घरेलू क्रिकेट में उनके रिकॉर्ड्स बताते हैं वे कितने महान खिलाड़ी थे। प्रथम श्रेणी में विजय ने मुंबई की ओर से 150 मैच खेले और 71.64 की बेहतर औसत से 13470 रन बनाए, जो आज तक एक रिकॉर्ड है। उन्होंने प्रथम श्रेणी में 45 शतक और 52 अर्धशतक लगाए। मर्चेंट का सर्वोच्च स्कोर नाबाद 359 रन है।
प्रथम श्रेणी क्रिकेट में औसत के मामले में सर डॉन के अलावा कोई मर्चेंट के आस-पास भी नहीं फटकता है। उनसे आगे सिर्फ़ महान खिलाड़ी डॉन ब्रैडमैन हैं। प्रथम श्रेणी में विजय मर्चेंट ने केवल 6 सत्र ही खेले थे, जिसमें से पांच में उनका औसत 114, 123, 223, 285 और 117 रहा। कहा जाता है कि मर्चेंट को बचपन से ही बड़े-बड़े स्कोर बनाने का शौक था। रणजी में विजय मर्चेंट ने 47 पारियां खेलीं और 3639 रन बनाए। रणजी क्रिकेट में उनका औसत अविश्वसनीय रूप से 98.75 है।
विजय मर्चेंट ने साल 1951 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दिल्ली के फिरोज शाह कोटला स्टेडियम में खेले गए एक मैच में 40 साल की उम्र में शतक ठोका था। उन्होंने इस मैच में 154 रन की शानदार पारी खेली थी। मर्चेंट आज भी भारत की ओर से सबसे ज्यादा उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में शतक लगाने वाले खिलाड़ी हैं। इंग्लैंड के विरूद्ध खेली गई यह शतकीय पारी विजय मर्चेंट के कॅरियर की आखिरी पारी साबित हुई। दरअसल, इस मैच में मर्चेंट को फील्डिंग के दौरान कंधे पर चोट लगी थी। इस चोट से वे उबर नहीं पाए और एक दिन संन्यास का ऐलान करना पड़ा।
मर्चेंट के बारे में एक दिलचस्प वाक़या ये है कि एक बार उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण ऑस्ट्रेलिया टूर पर जाना कैंसिल कर दिया था। उनके इस फ़ैसले से ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी बड़े निराश हुए थे। क्रिकेट के दिग्गज सर डॉन ब्रैडमैन ने इसके बाद कहा था, ‘बहुत बुरा.. हमें विजय मर्चेंट की झलक भी देखने को नहीं मिली। जिसे सभी भारतीय खिलाड़ियों में सबसे महान माना जाता है। 27 अक्टूबर, 1987 को 76 साल की उम्र में विजय मर्चेंट का हृदय गति रुकने के कारण निधन हो गया।
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