इंजीनियरिंग करने वाले युवाओं के लिए ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट) की परीक्षा क्लियर करना बहुत बड़ी बात होती है। एक इंजीनियर को कॉलेज के 4 साल खत्म होते-होते गेट परीक्षा की अहमियत समझ में आ ही जाती है।
गेट परीक्षा से जुड़ी एक खबर उत्तराखंड से आई है जहां एक पकौड़े की दुकान लगाने युवा ने देश के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को मोटिवेशन का कैप्सूल दिया है। उत्तराखंड के एक छोटे से गांव पीपलकोटी के रहने वाले सागर शाह ने गेट की परीक्षा क्लियर कर बता दिया कि छोटे से छोटा काम करने वाला इंसान बडे सपने देखने का हक रखता है।
“शाह जी की पकौड़े की दुकान” पर बैठते हैं सागर
एक साधारण और मध्यमवर्गीय ग्रामीण परिवार के सागर ने स्कूली शिक्षा गांव के ही एक सरकारी स्कूल से पूरी की। इसके बाद सागर ने देहरादून से सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया।
गांव के बाजार में “शाह जी की पकौड़े की दुकान” नामक एक दुकान है जहां सागर कॉलेज के बाद जाया करते थे और परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए उसने वहां काम करना शुरू कर दिया।
बिना किसी कोचिंग के पास की गेट परीक्षा
सागर ने गेट परीक्षा की तैयारी के लिए कहीं से भी कोचिंग नहीं ली, बस टेक्निकल एजुकेशन में उनकी रूचि उन्हें यहां तक ले आई। सागर ने परीक्षा पास करने के बाद इसका क्रेडिट अपने परिवारजन और टीचर्स को दिया।
गौरतलब है कि गेट परीक्षा में हर साल देश के लाखों स्टूडेंट्स बैठते हैं जिनमें से सागर ने करीब 8000वीं रैंक हासिल की है। इस रैंक के हिसाब से सागर को देश की किसी भी एनआईटी संस्थान में आगे की पढ़ाई के लिए एडमिशन मिल सकता है।
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