गुलाबी शहर

लालजी सांड, घी वालों और टिक्कड़मल का रास्ता, आखिर कैसे पड़े जयपुर के रास्तों के अजीबोगरीब नाम

आमेर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने साल 1727 में जयपुर शहर को बसाया। जयपुर, जिसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। जयपुर शहर तीन ओर से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है।

जयपुर के राजा ने ढूंढाड़ क्षेत्र के आस-पास के गांवों से आए लोगों को चारदीवारी में बसाया था। परिवारों के काम करने की कला के हिसाब से उन्हें काम दिए गए और आगे चलकर जयपुर के मुख्य रास्तों के नाम इन्हीं परिवारों के मुखिया या परिवारों के नाम पर प्रसिद्ध हो गए। आइए आज आपको परकोटे के जयपुर ले चलते हैं और बताते हैं इन अजीबोगरीब नामों के पीछे की कहानी

सांगानेरी गेट, जौहरी बाजार

रामलला जी का रास्ता – जौहरी बाजार के इस रास्ते का नाम एक मंदिर की वजह से पड़ा। भगवान राम का बाल्यावस्था मूरत में यहां एक मंदिर बना हुआ है जिसके चलते इस रास्ते को रामलला जी का रास्ता कहा गया।

पीतलियों का रास्ता – राजा के समय में इस रास्ते में पीतल के बर्तन बनाए जाते थे जिसके लिए राजा ने कई कारखाने भी लगाए थे। आगे चलकर इस नाम से इस रास्ते को पहचाना गया।

हल्दियों का रास्ता – जब राजस्थान में रियासतों का राज था तब उस समय के महाराजा ने यहां हल्दियां हाउस का निर्माण करवाया था जिसके बाद इस रास्ते का हल्दियों का रास्ता नाम पड़ गया।

घी वालों का रास्ता – राज के शासनकाल में यहां घी का कारोबार होता था जिसकी वजह से इस रास्ते को घी वालों का रास्ता कहा गया।

ठठेरों का रास्ता – ठठेरा समाज के लोगों को राजा के शासनकाल में काफी मान-सम्मान मिला। राजा ने ठठेरा समाज के लोगों को परकोटे में रहने के लिए जगह दी। ठठेरे चांदी, कांसा, पीतल के बर्तन के कारीगर थे।

मणिहारों का रास्ता – चूड़ी बनाने वाले परंपरागत कारीगरों को मणिहारी कहा जाता है। राजा के दौरान यहां चूडी-पाटला बनाने वाले कारीगर रहा करते थे जिसके बाद इस रास्ते का नाम ही मणिहारों का रास्ता पड़ गया।

लालजी सांड का रास्ता – जयपुर के पूर्व राजा माधोसिंह के बेटे लालसिंह पर वैध ने एक नई आयुर्वेदिक दवाई के नुस्खे का पहली बार प्रयोग किया, जिससे बाद अचानक से उसका शरीर बढ़ने लगा और वो ताकतवर हो गया। हर किसी को मारने लगा और उठाकर पटकने लगा। माधोसिंह ने इस समस्या से निपटने के लिए इस इलाके में उस समय एक जेल का निर्माण करवाय़ा जहां लालसिंह को कैद रखा गया।

अजमेरी गेट से छोटी चौपड़ तक

टिक्कीवालों का रास्ता – महाराजा के शासनकाल के दौरान सेठ-साहूकारों का बोलबाला था। उन्हें विशेष व्यवस्था देने के लिए गांवों से शहर लाकर बसाय़ा जाता था। साहूकार ब्याज पर टके यानि पैसे दिया करते थे।

खूंटेटों का रास्ता – जयपुर के बसने के समय से ही इस एरिया में खंडेलवाल समाज के लोग रहते थे, इसके अलावा यहां खूंटेटा समाज का पुराना मंदिर भी है।

टिक्कड़मल का रास्ता – सालों पहले यहां पर एक व्यक्ति मोटी रोटी का टिक्कड़ बनाकर बेचता था इस वजह से इसका नाम टिक्कड़मल का रास्ता पड़ा।

sweta pachori

Leave a Comment

Recent Posts

रोहित शर्मा ने कप्‍तान हार्दिक पांड्या को बाउंड्री पर दौड़ाया।

रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्‍तान हार्दिक पांड्या…

8 months ago

राजनाथ सिंह ने अग्निवीर स्कीम को लेकर दिया संकेत, सरकार लेगी बड़ा फैसला

अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…

8 months ago

सुप्रीम कोर्ट का CAA पर रोक लगाने से इनकार, केंद्र सरकार से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…

8 months ago

प्रशांत किशोर ने कि लोकसभा चुनाव पर बड़ी भविष्यवाणी

चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…

8 months ago

सुधा मूर्ति राज्यसभा के लिए नामित, PM मोदी बोले – आपका स्वागत है….

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…

9 months ago

कोलकाता हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने थामा भाजपा दामन, संदेशखाली पर बोले – महिलाओं के साथ बुरा हुआ है…

कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…

9 months ago