केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर अहम बयान दिया है। गैर-भाजपा शासित कुछ राज्यों के कड़े विरोध के बीच केन्द्र सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानि एनपीआर की कवायद में सूचना सार्वजनिक करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि स्वैच्छिक है।
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि एनपीआर पहली बार साल 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार द्वारा शुरू किया गया था और यह एक संवैधानिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि एनपीआर में सूचना सार्वजनिक करना स्वैच्छिक है। एनपीआर एक संवैधानिक दायित्व है, राज्यों को इस पर आपत्ति नहीं करनी चाहिए।
केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि केन्द्र सरकार एनपीआर के विभिन्न पहलुओं के बारे में राज्य सरकारों को जागरूक करेगी। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर की कवायद एक अप्रैल से 30 सितंबर 2020 के बीच की जाएगी। एनपीआर में गिनती 18 मई से 30 जून तक चलेगी। गिनती पूरी हो जाने के बाद लोगों की गिनती का कार्य शुरू किया जाएगा।
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राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में पहले मकानों की गिनती होगी, इसके बाद इंसानों की गिनती की जाएगी। मकानों की गिनती में घर के मुखिया को 31 सवालों के जवाब देने होंगे। मुखिया को मकान नंबर, मकान की हालत, भोजन में प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख अनाज, स्वामित्व की स्थिति, पेजयल, रसोई, शौचालय, ईंधन, प्रकाश और गंदे पानी की निकासी समेत 31 सवालों का जवाब देना होगा। इसके बाद ही मुखिया का मकान एनपीआर में दर्ज होगा।
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