‘भारत रत्न’ और ‘दादा साहब फाल्के’ अवॉर्ड से सम्मानित पहली महिला हैं लता मंगेशकर

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Lata-Mangeshkar-Biography

दुनियाभर में मशहूर भारत की स्वरसम्राज्ञी लता मंगेशकर जी की आज 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है। लताजी का जन्म 28 सितंबर, 1929 को मध्य प्रदेश के इंदौर में एक मराठी परिवार में हुआ था। लताजी के पिता का नाम पंडित दीनानाथ मंगेशकर और मां का नाम शेवंती मंगेशकर था। उनकी मां गुजरात से थी। पंडित दीनानाथ गायक और रंगमंच के कलाकार हुआ करते थे। लताजी अपने माता-पिता की पांच संतानें में सबसे बड़ी थी। लताजी समेत उनके सभी भाई-बहनों को संगीत अपने पिता से ​विरासत के रूप में मिला था।

लताजी के गाने दुनियाभर में सुने जाते हैं, ख़ासकर पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में उनके बड़ी संख्या में प्रशंसक हैं। भारत की इस स्वर कोकिला को ‘क्विन ऑफ़ मेलोडी’, ‘नाइटिंगेल ऑफ़ इंडिया’, ‘वॉइस ऑफ़ द नेशन’ और ‘वॉइस ऑफ़ द मिलेनियम’ जैसे उपनामों से पुकारा जाता है। यह उनकी शख्सियत का ही क़माल है कि उनका नाम बड़े अदब़ से लिया जाता है। इस ख़ास अवसर पर जानते हैं भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित लता मंगेशकर के जीवन के बारे में कुछ अनसुने किस्से…

Lata-Mangeshkar

लताजी का बचपन का नाम था हेमा

ख्यातनाम गायिका लता मंगेशकर का जन्म के वक़्त नाम ‘हेमा’ रखा गया था, लेकिन कुछ साल बाद उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर ने अपने थिएटर के एक पात्र ‘लतिका’ के नाम पर अपनी बेटी का नाम ‘लता’ रख दिया। लताजी अपनी तीन बहनों मीना, आशा, उषा और एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर में सबसे बड़ी थी। दिलचस्प बात इन सभी ने संगीत में अपना मुक़ाम बनाया। मात्र पांच साल की उम्र में ही लताजी ने अपने पिता दीनानाथ से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी। इसके साथ ही वे थिएटर में एक्टिंग किया करती थीं। उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी पिता से संगीत सीखा करती थीं।

​बहन की फ़ीस मांगने के बाद स्कूल नहीं गईं

लताजी महज एक दिन के लिए स्कूल गई थीं। इसकी वजह यह थी कि जब वह पहले दिन अपनी छोटी बहन आशा भोंसले को स्कूल लेकर गईं तो टीचर ने यह कहकर स्कूल से बाहर निकाल दिया कि उनकी भी स्कूल की फीस देनी होगी। इसके बाद में लताजी ने निश्चय किया कि वह कभी स्कूल नहीं जाएंगी।

ये बात अलग है कि संगीत की दुनिया पर राज करने वाली लता को बाद में न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित छह विश्वविद्यालयों ने मानक उपाधि से सम्मानित किया। आज उनके खाते में इतने अवॉर्ड है, जिनकी गिनती करना भी मुश्किल है। वर्ष 2001 में लता मंगेशकर को सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ अवॉर्ड से नवाज़ा था। वे भारत की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्हें भारत रत्न और ‘दादा साहब फाल्के’ अवॉर्ड प्राप्त हुआ है।

कम उम्र में पिता का निधन हुआ तो परिवार संभाला

वर्ष 1942 में जब लताजी मात्र 13 साल की थी तो उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन हो गया था। इसके बाद लता मंगेशकर ने अपने पूरे परिवार की देखभाल का जिम्मा खुद के कंधों पर उठाया। उन्होंने संगीत की दुनिया में नाम कमाने से पहले करियर की शुरुआत में 14 साल की उम्र में मराठी फिल्म ‘पहली मंगला गौर’ में एक्टिंग की। साल 1945 में लताजी अपने भाई-बहनों के साथ मुंबई आ गयी व उन्होंने उस्ताद अमानत अली खान से क्लासिकल गायन की शिक्षा ली। लताजी को सुरों की महारानी बनने में बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। वर्ष 1946 में लताजी ने हिंदी फिल्म ‘आपकी सेवा में’ में पहली बार ‘पा लागूं कर जोरी’ गाना गाया था।

36 से भी ज्यादा भाषाओं में रिकॉर्ड किए गाने

करियर की शुरुआत प्रोड्यूसर सशधर मुखर्जी ने लता मंगेशकर की आवाज को पतली आवाज कहकर अपनी फिल्म ‘शहीद’ में गाने से मना कर दिया था। फ़िर म्यूजिक डायरेक्टर गुलाम हैदर ने लताजी को फिल्म ‘मजबूर’ में ‘दिल मेरा तोड़ा, कहीं का ना छोड़ा’ गीत गाने का ऑफर दिया, जो बाद में काफ़ी सहारा भी गया। इस गाने ने लताजी को पहचान दी। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

गौरतलब है कि लता मंगेशकर ने एक साक्षात्कार में गुलाम हैदर को अपना ‘गॉडफादर’ बताया था। लताजी ने अपने लगभग 7 दशकों के करियर में एक हजार से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों में गाने गाए हैं। उन्होंने 36 से ज्यादा भाषाओं में अपने गीत रिकॉर्ड किए।

ज़हर देकर जान लेने की हुई थी कोशिश

साल 1962 में सफ़लता की बुलंदियों पर रही लता मंगेशकर की जान लेने की भी कोशिश की गई थी। उन्हें धीमा ज़हर दिया गया था। इसका ज़िक्र लताजी की बेहद करीबी पदमा सचदेव ने अपनी बुक ‘ऐसा कहां से लाऊं’ में किया है। हालांकि, अभी तक भी यह सामने नहीं आ पाया है कि उन्हें मारने की कोशिश किसने की थी। लता मंगेशकर तब बहुत निराश हो गई थी, जब प्रसिद्ध गायक व म्यूजिक कंपोजर रहे स्वर्गीय भूपेन हज़ारिका की पत्नी प्रियंवदा ने उनके पति भूपेन और लताजी के बीच प्रेम संबंध होने का दावा किया था।

भारत की स्वरकोकिला लता मंगेशकर जी ने अपना पूरा जीवन भारतीय संगीत परम्परा को नई ऊंचाई प्रदान कर विश्वपटल पर और समृद्ध करने में समर्पित कर दिया। संगीत के शिखर पर पहुँच कर भी जिस सादगी व विनम्रता के साथ वे भारतीयता की जड़ों से जुड़ी रहीं, वह देशवासियों के लिए विशिष्ट उदाहरण है। ‘भारत रत्न’ लता दीदी ने 6 फ़रवरी, 2022 को मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल ट्रस्ट में आखिरी सांस लेकर दुनिया को अलविदा कह दिया।

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