कहते हैं प्रकृति की सुंरदरता का कोई सानी नहीं है। प्रकृति की हर चीज खुबसूरत और आकर्षक है। ऐसी ही एक खुबसूरत चीज है खगोलीय घटनाएं। आसमान में होने वाली यह घटनाएं कई बार इतनी आकर्षक होती हैं कि देखकर लगता है कि प्रकृति अपने अंदर कितना कुछ समेटे हुए है। ऐसी ही एक घटना आज रात 9 बजकर 23 मिनट पर होने वाली है। दरअसल आज यानी मंगलवाल को धरती से सबसे बड़ा चांद नज़र आने वाला है, जिसे सुपरमून की संज्ञा दी गई है। खास बात यह है कि ऐसा नजारा अब फिर से आपको सात साल बाद दिखाई देगा। आज पूर्णिमा कुछ खास है इसलिए यदि आप इसे मिस नहीं करना चाहते तो रात को छत पर जरूर जाइएगा।
सुपरमून क्या है, इसमें क्या खास है जैसे सवाल आपके मन में आ रहे होंगे तो आइए आपको इसके बारे में डिटेल में बताते हैं…।
सुपरमून वह खगोलीय घटना है जिसके दौरान चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है। इस दौरान चंद्रमा 14 फ़ीसदी अधिक बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकीला दिखता है। इसे पेरिगी मून भी कहते हैं। दरअसल धरती से नजदीक वाली स्थिति को पेरिगी (3,56,500 किलोमीटर) और दूर वाली स्थिति को अपोगी (4,06,700 किलोमीटर) कहते हैं। आपको बता दें कि सुपरमून शब्द सर्वप्रथम अमेरिकी खगोलविद् रिचर्ड नोल द्वारा वर्ष 1979 में प्रयोग किया गया था। हालांकि सुपरमून कोई आधिकारिक खगोलीय शब्द नहीं है।
खास बात यह है कि इस बार सुपरमून को स्ट्रॉम मून, हंगर मून, बोन मून और स्नो मून के नाम से बुलाया जा रहा है। इस फरवरी महीने में भारी बर्फबारी होने की वजह से इस बार सुपरमून को स्नो मून भी कहा जा रहा है।
अब दूसरे मून के बारे में भी जान लीजिए…
ब्लू मून एक खगोलीय परिघटना है जो एक सौर वर्ष में 12 चंद्र माहों से कुछ अधिक दिन होने के कारण घटित होती है। फार्मर्स अल्मनक की ब्लू मून की परिभाषा को सर्वाधिक स्वीकृति प्राप्त है जिसके अनुसार, ब्लू मून एक खगोलीय मौसम में एक अतिरिक्त पूर्णिमा के अस्तित्व की घटना है। खगोलीय मौसम 1 वर्ष में चार हैं। 21 मार्च एवं 23 सितंबर (विषुवत या इक्विनॉक्स) तथा 21 जून एवं 22 दिसंबर (अयनांत या संक्रांति) इस मौसम की विभाजक तिथियां हैं। एक वर्ष में चार खगोलीय मौसम इस प्रकार होंगे-
1. 21 मार्च से 20 जून
2. 21 जून से 22 सितंबर
3. 23 सितंबर से 21 दिसंबर
4. 22 दिसंबर से 22 मार्च
हर पार्ट लगभग 3 माह का है। प्रत्येक पार्ट में सामान्यतः 3 पूर्णिमाएं होती हैं, किंतु प्रत्येक 2.7154 वर्ष में किसी एक पार्ट में 3 की बजाय 4 पूर्णिमा होती हैं। 4 पूर्णिमा वाला पार्ट ब्लू मून परिघटना वाला होगा। इस पार्ट की 4 पूर्णिमाओं में से तीसरे को ब्लू मून कहा जाएगा।
चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की वजह से धरती से चांद काला दिखाई देता है। इसी चंद्रग्रहण के दौरान कुछ सेकेंड के लिए चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देता है। इसे ब्लड मून कहते है। यह स्थिति तब आती है जब सूर्य की रोशनी फैलकर चांद तक पहुंचती है। परावर्तन के नियम के अनुसार हमें कोई भी वस्तु उस रंग की दिखती है जिससे प्रकाश की किरणें टकरा कर हमारी आंखों तक पहुंचती है। चूंकि सबसे लंबी तरंग दैर्ध्य (वेवलेंथ) लाल रंग की होती है और सूर्य से सबसे पहले वो ही चांद तक पहुंचती है जिससे चंद्रमा लाल दिखता है, इसे ही ब्लड मून कहते हैं।
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