अपनी फिल्मों के भव्य सेट व खूबसूरत विदेशी लोकेशंस पर शूटिंग के साथ भारतीय परंपराओं और पारिवारिक मूल्यों को अपने सिनेमा में बरकरार रखने वाले हिंदी फिल्मों के निर्माता-निर्देशक यश जौहर की आज 94वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उनका जन्म 6 सितंबर, 1929 को लाहौर में हुआ था। देश के विभाजन की कीमत उनके परिवार को भी चुकानी पड़ीं। यश ने अपने करियर में बॉलीवुड को कई यादगार और एक से बढ़कर एक रोमांटिक फिल्में दीं। इस खास अवसर पर जानिए बॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर यश जौहर की जीवन यात्रा के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
वर्ष 1947 में भारत के एक नए देश पाकिस्तान के रूप में विभाजन के बाद यश जौहर का परिवार लाहौर छोड़ दिल्ली आकर बस गया। दिल्ली में यश के पिता ने ‘नानकिंग स्वीट्स’ नाम से मिठाई की दुकान खोली और 9 भाई-बहनों में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे होने की वजह से यश को दुकान पर बैठा दिया गया। हालांकि, उन्हें यह काम करना कतई पसंद नहीं था।
उनकी मां यश के मन की बात को समझ चुकी थीं। वह जानती थी कि यश इन सब कामों के लिए नहीं बने हैं। उनकी मां ने यश के मुंबई जाने से एक हफ्ते पहले ही घर से गहने और कुछ पैसे गायब कर दिए। जब इसका शक़ सिक्योरिटी वाले पर गया तो उसकी पिटाई भी हुईं, लेकिन यश की मां तो बेटे को मुंबई भेजने के लिए पैसे का जुगाड़ कर रही थी। यश को काफी वक़्त गुजरने के बाद इस घटना के बारे में बताया गया था।
जब मां से रुपये लेकर यश जौहर मुंबई पहुंचे तो उन्होंने वहां एक न्यूज पेपर में फोटोग्राफर बनने के लिए आवदेन किया। उस जमाने की मशहूर अदाकारा मधुबाला के बारे में कहा जाता था कि वो किसी को फोटो नहीं लेने देती थीं। वहीं, यश उस दौर में अच्छे पढ़े-लिखे होने के कारण धाराप्रवाही अंग्रेजी बोल लेते थे, जिससे मधुबाला इम्प्रेस होकर उनसे फोटो खिंचवाने लगीं। इसके बाद जब यश मधुबाला की फोटो खींचकर ऑफिस पहुंचे तो उन्हें तुरंत फोटोग्राफर की नौकरी मिल गई थी।
फिल्म निर्माता यश जौहर ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत वर्ष 1952 में सुनील दत्त के प्रोडक्शन हाउस ‘अजंता आर्ट्स’ से की थी। इसके बाद वह सहायक निर्माता के रूप में देवानंद के प्रोडक्शन हाउस ‘नवकेतन फिल्म्स’ से जुड़े। यहां उन्होंने ‘गाइड’, ‘ज्वैल थीफ’, ‘प्रेम पुजारी’, ‘हरे रामा-हरे कृष्णा’ जैसी शानदार फिल्मों को पर्दे पर लाने में अहम योगदान दिया।
वर्ष 1976 में यश जौहर ने अपनी खुद की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ‘धर्मा प्रोडक्शन’ की शुरुआत कीं। हालांकि, धर्मा प्रोडक्शन की पहली फिल्म वर्ष 1980 में रिलीज हुई अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म ‘दोस्ताना’ थी, जोकि बॉक्स ऑफिस पर हिट रहीं। बाद में यश के बेटे करण जौहर ने अपने पिता को ट्रिब्यूट के तौर पर साल 2008 में जॉन अब्राहम और अभिषेक बच्चन के साथ इसी नाम की एक और फिल्म ‘दोस्ताना’ बनाईं।
धर्मा प्रोडक्शन के बैनर तले ‘अग्निपथ’, ‘गुमराह’ और ‘डुप्लीकेट’ के बाद वर्ष 1998 में फिल्म ‘कुछ-कुछ होता है’ रिलीज हुई। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर कमाई के कई रिकॉर्ड तोड़ दिए और यश को एक बड़ी पहचान भी दिलाईं। इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘कभी ख़ुशी कभी गम’ बनाईं। वर्ष 2003 में आई ‘कल हो ना हो’ यश जौहर की आखिरी फिल्म साबित हुई।
फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर यश जौहर ने मशहूर फिल्म निर्माता बीआर चोपड़ा और यश चोपड़ा की बहन हीरू से शादी की थी। दोनों का एक बेटा करण जौहर हैं, जो आज के समय में बॉलीवुड के मशहूर फिल्म निर्माताओं में से एक हैं। यश का निधन 26 जून, 2004 को चेस्ट इन्फेक्शन और कैंसर की वजह से हुआ। गौरतलब है कि अपने पिता यश की तरह ही उनके बेटे करण जौहर भी अपनी बेहतरीन फिल्मों के लिए जाने जाते हैं। पिता यश जौहर के निधन के बाद धर्मा प्रोडक्शन को करण ही संभाल रहे हैं।
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