सत्रहवीं लोकसभा के लिए हाल में सम्पन्न हुए चुनावों के नतीजों में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 353 सीटों पर शानदार जीत दर्ज करने के साथ भारी जनादेश प्राप्त किया है। सन् 2019 के इस आम चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के देश में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने की ख़बर देश-दुनिया की मीडिया में ख़ूब छाई रही। कई मीडिया संस्थानों ने मोदी की बम्पर जीत के साथ ही अपने सुर बदल लिए। दरअसल, चुनाव से पहले प्रचार अभियान के दौरान मशहूर अमेरिकी मैगजीन ‘टाइम’ ने अपने कवर पेज पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘डिवाइडर इन चीफ’ यानी ‘तोड़ने वाला मुखिया’ बताया था। लेकिन भारत में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की भारी बहुमत से जीत के बाद इस मैगजीन के सुर बदल गए हैं। आइये जानते है अब टाइम मैगजीन ने पीएम मोदी के लिए क्या कहा है..
कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘डिवाइडर इन चीफ’ बताने वाली इस अमेरिकी मैगजीन ने अब अपने सुर बदल दिए है। भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने के बाद टाइम मैगजीन ने कहा है कि अब ‘टाइम’ को विश्वास हो रहा है कि पीएम मोदी ’डिवाइडर’ यानी तोड़ने वाला नहीं बल्कि भारत को जोड़ने वाले नेता हैं।
उल्लेखनीय है कि भारत में आम चुनाव से पहले मशहूर अमेरिकी मैग्जीन टाइम (एशिया एडिशन) ने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में अपनी राय जताई थी जिसके अनुसार भारत में मोदी के खिलाफ कोई बेहतर विकल्प नहीं है। बहुसंख्यक आबादी उन्हें एक ऐसे शख्स के रूप में देखती है जो समाज में विभाजन करने का काम करता है। साथ ही यह भी कहा था कि दिल्ली की सत्ता पर वह एक बार फिर काबिज हो सकते हैं।
टाइम मैग्जीन ने सन् 1947 के उस इतिहास का जिक्र किया था जब भारत को आजादी मिली थी और ये बताया था कि किस तरह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने धर्मनिरपेक्षता को सरकार का मूल माना। उनके मुताबिक धर्म का राज्य की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। लेकिन बदलते हुए समय के साथ कांग्रेस का वंशवाद भारतीय राजनीतिक का एक प्रमुख चेहरा बन गया। कई कालखंडों के सफर को तय करते हुए अलग अलग दलों के नेताओं ने कांग्रेस को चुनौती पेश की। लेकिन सन् 2014 का साल बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ।
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टाइम मैगजीन की रिपोर्ट के मुताबिक़, सन् 2014 में भारत के राष्ट्रीय राजनीतिक क्षितिज पर एक ऐसे शख्स यानी नरेन्द्र मोदी का अवतरण हुआ जो कांग्रेस की उन नीतियों और सिद्धांतों की मुखालिफ़त कर रहा था जिसे कांग्रेस पार्टी अपनी कामयाबी के रूप में पेश करती थी। सन् 2014 में जब नतीजे सामने आए तो कांग्रेस पूरी तरह सिकुड़ चुकी थी। देश की सबसे पुरानी और भारत के सभी राज्यों में राज कर चुकी कांग्रेस पार्टी के लिए संसद में विपक्ष के नेता लिए आवश्यक आंकड़ों के आस-पास भी नहीं पहुंच पाई।
टाइम ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस मायने में खुशनशीब हैं कि उनके ख़िलाफ़ कमजोर विपक्ष है। कांग्रेस की अगुवाई में और उसके साथ-साथ एक ऐसा विपक्ष है जिसका कोई एजेंडा ही नहीं है वो सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी को हराना चाहता है। रिपोर्ट में कहा गया था कि इन सबके बीच पीएम मोदी को ये पता है कि सन् 2014 में किए गए वायदों को पूरा करने में वह नाकाम रहे। यही वजह है कि वो अपने आशियाने में बैठकर ट्वीट कर ये बताते हैं कि वो क्यों वंशवाद और सल्तनत जैसी परंपरा के खिलाफ हैं। लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी पर निशाना साधने वाली टाइम मैगजीन के सुर भी अन्य कई बड़े राजनीतिक विशेषज्ञों और लोगों की तरह बदल गए हैं। आम चुनावों के परिणाम के बाद इनके लिए मोदी अब देश को जोड़ने वाले नेता बन गए हैं!
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