भारतीय टीम के पूर्व कप्तान नवाब पटौदी उर्फ़ टाइगर पटौदी का इंडियन क्रिकेट में अहम योगदान रहा है। भारत ने सबसे पहले वर्ष 1967 में न्यूजीलैंड को सीरीज हराकर पहली बार विदेश में जीत का स्वाद चखा था। उस समय टीम इंडिया के कप्तान नवाब पटौदी हुआ करते थे। उनका पूरा नाम मंसूर अली खान पटौदी है। आज 22 सितम्बर को नवाब पटौदी की 12वीं डेथ एनिवर्सरी है। इस अवसर पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…
मंसूर अली का जन्म 5 जनवरी, 1941 को मध्य प्रदेश के भोपाल में हुआ था। टाइगर के पिता नवाब इफ्तिखार अली खान पटौदी, पटौदी के 8वें नवाब थे। उनकी मां का नाम साजिदा सुल्तान था। टाइगर के पिता भारत और इंग्लैंड दोनों के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेले थे। पटौदी रियासत के 9वें और आखिरी नवाब टाइगर ही थे।
सबको ये मालूम है कि मंसूर अली खान पटौदी अपने नाम के आगे नवाब क्यों लगाते थे, मगर ये नहीं मालूम कि वो नवाब कब और कैसे बने। तो बात उस समय की है जब 11 साल के मंसूर को उनके पिता के इंतकाल के बाद पटौदी जो कि दिल्ली के पास एक छोटा सा गांव था का नवाब घोषित कर दिया गया। पटौदी खानदान इस जगह के सबसे रईस और खानदानी लोगों में से एक थे। मंसूर के पिता इफ्तिखार पटौदी पोलो के बड़े खिलाड़ी थे, जिन्हें मैच खेलते हुए हार्ट अटैक आ गया था। त्रासदी देखिए जिस दिन पिता का इंतकाल हुआ, उस दिन नवाब का बर्थडे था।
पैसों की कोई कमी नहीं थी इसलिए बड़े लोगों की तरह पटौदी को भी शिक्षा हासिल करने के लिए लंदन भेज दिया गया, जहां उनका दाखिला प्रतिष्ठित विनचैस्टर हाई स्कूल में कराया गया। कहते हैं कि इस स्कूल से शिक्षा हासिल करने के साथ पटौदी के अंदर लीडरशिप स्किल्स भी डवलप हुई जो कि क्रिकेट में काम आई।
बहुत लोगों ने ये सुना है कि नवाब को टाइगर नाम उनके साथी खिलाड़ियों ने दिया है जो कि गलत है। दरअसल, पटौदी घुटनों के बल चलने की उम्र में घर के आंगन में किसी बाघ की तरह दहाड़े मारकर रोया करते थे। वो इतना चिल्लाते थे कि उनके मां बाप ने उनका नाम ही टाइगर रख डाला।
लोग लंदन की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई करने जाते हैं साइंस, मैनेजमेंट आदि की, मगर टाइगर पटौदी वहां अरबी सीखने चले गए। टाइगर अपनी जड़ें नहीं भूले थे और इस्लाम उनके जीवन की बुनियाद था, इसलिए उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के बलियल कॉलेज से अरबी की डिग्री ली।
अगर आप रॉयल फैमिली से बिलॉन्ग करते हैं और शिकारी ना बने तो ये तो ज्यादती है। ऐसे ही पटौदी को भी शिकार का शौक लग गया और 7 साल की उम्र में ही बाघ के शिकार पर चले गए। उस वक्त टाइगर के हाथों में बंदूक थी और उन्होंने दूसरे टाइगर को देख भी लिया था, मगर उन्होनें उसे मारा नहीं बस हवा में फायर करके रह गए। टाइगर ने बाद में कई बाघ मारे और दूसरे क्रिकेटरों को भी अपने साथ शिकार पर ले जाते थे।
कोई भारत का होकर यहां के खाने को कैसे नापसंद कर सकता है, मगर ये सच है। नवाब पटौदी को इंडियन फूड इतना पसंद नहीं था, जितना कि वो कॉन्टिनेंटल खाने के पीछे भागते थे। मगर गलती उनकी नहीं थी बहुत साल उन्होंने यूरोपिय देशों में गुजारे, जिसके कारण उनकी जीभ को अब वहीं के खाने का स्वाद भाता था। हालांकि, वो इंडियन फूड भी बना लेते थे और अवधी रसोई का खाना पसंद करते थे।
टाइगर बहुत मजाकिया थे और उनका सैंस ऑफ ह्यूमर गजब का था। एक बार उनके साथी क्रिकेटर और दोस्त गुंडप्पा विश्वनाथ उनके शहर आए हुए थे। फिर क्या था टाइगर ने अपने नौकरों से कहा कि तुम लोग डाकूओं की वेषभूषा में जाओ और उसका अपहरण करके यहां ले आओ। उनके नौकरों ने अपने साहब का आदेश माना भी और उस काम को पूरा कर दिखाया। ऐसे ही टाइगर ने एक बार टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार की भी सिट्टी पिट्टी गुम कर दी थी। चुड़ैल के भेस वाला मास्क पहनकर और सफेद चादर ओढ़कर टाइगर पत्रकार के घर देर रात पहुंच गए, बाकि आप कल्पना कीजिए क्या हुआ होगा फिर।
टाइगर और सैफ के बीच रिश्तों में सैफ के ऑक्सफोर्ड छोड़कर फिल्मों में चले आने के बाद से खटाई में पड़ने लगे थे। टाइगर चाहते थे कि छोटे नवाब भी उनकी ही तरह पहले अपनी पढ़ाई पूरी करे और साथ के साथ खेलकूद में भी हिस्सा लें। उनके मन में था कि सैफ क्रिकेट खेले और उसमें नाम कमाए मगर छोटे नवाब फिल्मों में काम करना चाहते थे और उनकी शुरूआती फिल्में तो नवाब पटौदी ने देखी ही नहीं, खैर आज सैफ खुद भी नहीं देखना चाहते होंगे। हां, मगर बाद में अब्बा मान गए और सैफ को खूब सपोर्ट करने लगे।
विराट अनुष्का, अजहर संगीता जैसी बॉलीवुड और क्रिकेटर के बीच शादी का रिश्ता सबसे पहले टाइगर पटौदी और शर्मिला टैगोर ने तय किया था। टाइगर ने शर्मिला को पटाने के लिए क्या क्या नहीं किया। अपनी क्रश को रेफ्रिजरेटर कौन गिफ्ट करता है, मगर टाइगर ने ऐसा किया लेकिन शर्मिला पटी नहीं, बाद में फूल और एक कार्ड भेजा तब शर्मिला ने फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की और दोस्ती प्यार में फिर शादी में बदल गई।
दिलचस्प बात ये है कि नवाबों के खानदान से ताल्लुक रखने वाले मंसूर अली खान पटौदी उर्फ टाइगर पटौदी को सबसे सस्ती दारू मानी जाने वाली जिन बहुत पसंद थी। शराब का तो हर ब्रांड उन्होंने चखा हुआ था, मगर उनकी रूह को जिन के दो घूंट ही सुकुन देते थे.. जिसे वो रोजाना शाम लिया करते थे। क्रिकेट की दुनिया के इस सितारे का 22 सितंबर, 2011 को दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल में निधन हो गया था।
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