Couple wishing to have a child through surrogacy will have to take three years health insurance mandatory for 'surrogate mother'.
भारत में सरोगेसी (किराये की कोख) का प्रचलन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। खास तौर पर देश के उच्च वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग के दंपतियों के बीच यह पिछले कुछ वर्षों में काफी लोकप्रिय हो चुका है। सरोगेसी के जरिए बच्चों की चाह रखने वाले दंपतियों के लिए के लिए अब सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण खबर आई है। दरअसल, अब सरोगेसी से बच्चे की इच्छा रखने वाले परिवार को सरोगेट मदर के लिए 36 महीने यानि 3 साल तक का स्वास्थ्य बीमा लेना अनिवार्य होगा। हाल में सरोगेसी से संबंधित जारी एक अधिसूचना में इस बारे में प्रावधान किया गया है।
इन नियमों के मुताबिक, इस स्वास्थ्य बीमा की राशि कम से कम से कम इतनी होनी चाहिए जिससे सरोगेट मदर का प्रेगनेंसी के दौरान और बच्चे को जन्म देने के बाद होने वाली परेशानी की स्थिति में संपूर्ण इलाज हो सके। 21 जून को केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना के अनुसार, सरोगेसी की प्रक्रिया के लिए सरोगेट मदर का इस्तेमाल अधिकतम तीन बार ही किया जा सकता है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारत सरकार के नए नियमों के मुताबिक मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 के तहत सरोगेट मदर को अबॉर्शन कराने की इजाजत भी दी जा सकेगी। गौर करने वाली बात ये है कि देश में सरोगेसी (रेग्युलेशन) एक्ट 2021 इसी साल 25 जनवरी से प्रभावी हुआ है।
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