आपने कई बजट पेश होते देखा होगा जिसमें वित्त मंत्री को बजट पेश करने से पहले संसद भवन में पहुंचने के समय हाथ में एक सूटकेस होता था, इसमें बजट के दस्तावेज होते थे। परंतु इस बार एक नई पंरपरा जन्म ले रही है जिसमें अब वित्त मंत्री के हाथों में सूटकेस नहीं बल्कि एक मखमली लाल कपड़ा होगा। ऐसा पहली बार हो रहा है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सूटकेस वाली परंपरा तोड़ी है। वित्त मंत्री जब मंत्रालय पहुंचीं तो उन्होंने हर किसी को चौंका दिया। दरअसल अब तक हर वित्त मंत्री बजट पेश करने से पहले सूटकेस के साथ फोटो खिंचवाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ।
हर बार बजट पर तस्वीर आती थी कि वित्त मंत्री के हाथ में एक लाल रंग का सूटकेस होता था परंतु इस बार वित्त मंत्री के हाथ में एक मखमली लाल कपड़ा था, जिसमें बजट की कॉपी बंद थी। लाल कपड़े में भारत का राष्ट्र चिन्ह बना हुआ था और इसे लाल-पीले रिबन से बांधा गया था।
मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमण्यम ने कहा है कि यह भारतीय परंपरा है जो गुलामी व पश्चिम के विचारों से भारत की आजादी को प्रदर्शित करती है। सुब्रमण्यम ने ये भी कह दिया कि यह बजट नहीं, बही-खाता है। यानी फ्रैंच भाषा के बुजेट शब्द के आधार पर लैदर बैग और सूटकेस में पेश किए जाने वाले आर्थिक खाके को बजट का जो नाम दिया गया उसे अब बही-खाता कहा जा रहा है।
ब्रिटेन में किया गया था बजट के लिए चमड़े के थैले का प्रयोग
बजट के दस्तावेजों को संसद में ले जाने के लिए चमड़े के थैले का प्रयोग सर्वप्रथम वर्ष 1733 में तब शुरू हुई थी जब ब्रिटिश सरकार के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल ने पहली बार बजट पेश किया था। इस थैले में ही बजट से जुड़े दस्तावेज थे। चमड़े के इस थैले को फ्रेंच भाषा में बुजेट कहा जाता था, उसी के आधार पर बाद में इसे बजट कहा जाने लगा।
बताया जाता है कि 1860 में ब्रिटेन के ’चांसलर ऑफ दी एक्सचेकर चीफ’ विलियम एवर्ट ग्लैडस्टन फाइनेंशियल पेपर्स के बंडल को लेदर बैग में लेकर आए थे. तभी से यह परंपरा निकल पड़ी. ब्रिटेन के वित्त मंत्री अपने साथ लाल रंग के लेदर सूटकेस का इस्तेमाल करते हैं ।
बताया जाता है कि लाल सूटकेस का इस्तेमाल पहली बार वर्ष 1860 में ब्रिटिश बजट चीफ विलिमय ग्लैडस्टोन ने किया था। इसे बाद में ग्लैडस्टोन बॉक्स भी कहा गया और लगातार इसी बैग में ब्रिटेन का बजट पेश होता रहा। लंबे समय बाद इस बैग की खराब होने लगा तो वर्ष 2010 में इसे आधिकारिक तौर पर रिटायर किया गया।
भारत में चमड़े के थैले से शुरू हुआ बजट
वर्ष 1947 में भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हो गया, लेकिन बजट पेश करने की परंपरा वही रही। देश के पहले वित्त मंत्री आर.के. शाणमुखम चेट्टी ने जब 26 जनवरी 1947 को पहली बार बजट पेश किया तो वह भी एक चमड़े के थैले के साथ संसद पहुंचे थे। उसके बाद कई वर्षों तक इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए बजट पेश किया जाता रहा है।
पहली बार वर्ष 1958 में यह परंपरा बदली और पंडित जवाहर लाल नेहरू ने काले रंग के ब्रीफकेस में बजट पेश किया। वर्ष 1991 में जब तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने बजट पेश किया तब इसका रंग लाल कर दिया गया। तब से ही लाल ब्रीफकेस में बजट पेश किया जाता रहा है। वर्ष 1998-99 के बजट के दौरान वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने चमड़े के बैग को पट्टियों और बकल के साथ प्रचलन में लेकर आए थे।
जब प्रणब मुखर्जी यूपीए के शासन में वित्त मंत्री थे, तो वे एक लाल रंग के बॉक्स के साथ संसद में आए। जो ब्रिटेन में इस्तेमाल होने वाले बैग की तरह दिखता था। यहां तक कि 1 फरवरी, 2019 का अंतरिम बजट भी पीयूष गोयल ने लाल ब्रीफकेस में ही पेश किया था।
मगर, इस बार मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट लेकर आईं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के हाथ में लाल ब्रीफकेस की जगह बजट के दस्तावेज लाल मखमली कपड़े में लिपटे नजर आए। ऐसा पहली बार हुआ है जब लेदर का बैग और ब्रीफकेस दोनों ही सरकार के बजट से समाप्त हो गए हैं। बजट की इस नई परंपरा को बही-खाता बताया जा रहा है।
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