फेक न्यूज यानि झूठी खबरें सही को गलत और गलत को सही ठहराकर लोगों में भ्रम पैदा कर देती है। ये फेक न्यूज कई देशों में विकराल दंगों को अंजाम दे चुकी हैं, ऐसे में भारत भी इससे अछूता नहीं है। फिर भी भारत में इन फेक न्यूज पर कोई ठोस कानून नहीं बनाया गया है। लेकिन दुनिया का एक देश है जहां पर फेक न्यूज को वायरल करने पर कठोर सजा का प्रावधान के लिए कानून बनाया गया है, ताकि फेक न्यूज जैसी गतिविधियों को फैलाने से रोका जा सके।
यह देश है सिंगापुर, जिसने फेक न्यूज पर रोक लगाने के लिए नया कानून बनाया है। इस कानून के मुताबिक फर्जी या झूठी खबरों को सोशल मीडिया पर वायरल करना या प्रकाशित करना अपराध है। साथ ही सरकार को इस बात का अधिकार है कि वह प्रकाशित करने वाले को खबर हटाने का आदेश दे सकती है। वहीं सिंगापुर में कोई ऑनलाइन फेक न्यूज फैलाने या प्रकाशित करने का दोषी पाया जाता है तो उसे 10 साल की कैद हो सकती है और साथ में 5 करोड़ 14 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
सिंगापुर की विपक्षी वर्कर्स पार्टी के सांसद डेनियल गोह ने इसकी जानकारी फेसबुक पोस्ट के जरिए दी। उन्होंने कहा कि बिल के पक्ष में 72 वोट मिले और विरोध में 9 वोट।
वहीं मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने सिंगापुर की सरकार के इस कानून की आलोचना की है और कहा है कि यह ऑनलाइन अभिव्यक्ति करने वालों का गला घोटने वाला कानून है।
यह विरोध मानवाधिकार आयोग तक ही शांत नहीं हुआ, उससे सुर मिलाते हुए गूगल ने भी इसका विरोध किया है। गूगल ने इस पर अपना तर्क दिया कि सिंगापुर सरकार द्वारा पारित इस कानून से इनोवेशन का नुकसान होगा। इस कानून से डिजिटल दुनिया का विकास प्रभावित होगा।
सिंगापुर से पहले मलेशिया भी लगा चुका है फेक न्यूज पर लगाम
फेक न्यूज पर लगाम लगाने का काम सिंगापुर से पहले मलेशिया का चुका है। मलेशिया ने 2018 में फेक न्यूज के खिलाफ साहस दिखाया था लेकिन वहां की नई सरकार ने सत्ता में आते ही 5 महीने में इसे खत्म कर दिया। दरअसल नजीब रजाक की सरकार ने फेक न्यूज के खिलाफ कानून बनाया था लेकिन चुनाव के बाद महातिर मोहम्मद ने सत्ता में आने के बाद उसी साल कानून को खत्म कर दिया।
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