15 अगस्त यानि स्वंतत्रता दिवस के मौके पर बॉलीवुड की मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘मिशन मंगल’ रिलीज हो चुकी है। जिसे दर्शकों का बेशुमार प्यार मिल रहा है। फिल्म ने पहले ही दिन बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कमाई की है। गौरतलब है कि यह फिल्म देश के मंगलयान मिशन पर आधारित है। जिसमें बतौर लीड एक्टर अक्षय कुमार और पांच अन्य अभिनेत्रियां हैं।
पिछले कुछ समय से बॉलीवुड में महिला केंद्रित फिल्मों का चलन बड़ा है जिन्हें दर्शकों द्दारा भी खूब सराहा गया। एक बार फिर महिला केंद्रित फिल्म दर्शकों के सामने है। जिसमें बताया गया है कि कैसे देश के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को कामयाब बनाने के पिछे पांच महिला वैज्ञानिकों का हाथ रहा। रील लाइफ में ये किरदार भले ही अभिनेत्री तापसी पन्नू, विद्या बालन, किर्ती कुल्हारी, सोनाक्षी सिन्हा, नित्या मेनन द्दारा निभाए गए हैं। लेकिन रियल लाइफ की इन पांच हिरोइन से आज हम आपको कराते है रुबरु। जिनके कंधों पर था इस मिशन का पूरा भार।
अनुराधा टी के
इस लिस्ट में पहली महिला वैज्ञानिक का नाम बेंगलुरु में साल 1961 में जन्मी अनुराधा टी.के का है। जो इसरो में वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर कार्यरत हैं। अनुराधा महज 9 साल की थी जब नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर कदम रखा था। अनुराधा इस खबर से काफी प्रभावित हुई और स्पेस में ही अपना फ्यूचर देखने लगी। अनुराधा ने कर्नाटक की विश्वेश्वरैया यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। अनुराधा ने साल 1982 में इसरो में कदम रखा जहां वे पहली महिला सेटेलाइट प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनीं। अनुराधा ने मंगलयान प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नंदिनी हरिनाथ
नंदिनी का बचपन से ही विज्ञान विषय में बेहद दिलचस्पी थी। यही वजह बनी कि नंदिनी ने पढ़ाई खत्म होते ही इसरो का रुख किया। मंगलयान मिशन में नंदिनी ने बेहद अहम भूमिका निभाई। इस मिशन में वे प्रोजेक्ट मैनेजर भी रही और मिशन डिज़ाइन डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर के तौर पर भी अपनी सेवाएं दी। आपको बता दें कि वे पिछले 20 सालों से इसरों में कार्यरत हैं।
मीनल संपत
मंगलयान मिशन से जुड़ने वाली पांच महिला वैज्ञानिकों में से एक है कोलकाता में जन्मी मीनल संपत। मीनल ने अहमदाबाद की निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर इसरो का रुख किया। जहां उन्होंने बतौर सेटेलाइट कम्युनिकेशन्स इंजीनियर के तौर पर करियर की शुरुआत की। मंगलयान मिशन में मिनल ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। इस प्रोजेक्ट से वे तकरीबन दो साल तक जुड़ी रहीं। जिसमें उन्होंने बतौर मैनेजर और सिस्टम इंजीनियर के तौर पर काम किया। इस मिशन की सफलता के लिए मिनल ने ना सिर्फ दिन के 18 घंटे तक काम किया बल्कि इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहने तक उन्होंने एक भी दिन का अवकाश नहीं लिया।
रितू करिधल
मंगलयान मिशन से जुड़ी वैज्ञानिक यूपी के लखनऊ में जन्मी रितु करिधाल है। रितु को बचपन से ही स्पेस में काफी दिलचस्पी थी। स्पेस को लेकर हमेशा जानने की जिज्ञासा ने उन्हें इस रास्ते पर चलने के लिए अभिप्रेरित किया। रितु ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई है। पढ़ाई पूरी करने के बाद ही रितु इसरो से जुड़ गई। मंगलयान मिशन में रितु ने बतौर डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर के तौर पर काम किया। इसके अलावा उन्होने चंद्रयान-2 में भी अहम भूमिका निभाई। वे अभी भी इसरो में सक्रिय है।
मौमिता दत्ता
मंगलयान मिशन से जुड़ी महिला वैज्ञानिकों में से एक थी कोलकाता में जन्मी मौमिता दत्ता। मौमिता ने कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.टेक की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन्स सेंटर का रुख किया। उन्होंने मंगलयान मिशन में बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर के रुप में काम किया।
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