ये तीन विधानसभा सीटें तय करेंगी कौन बनाएगा राजस्थान में अगली सरकार

राजस्थान में आने वाले 5 सालों के लिए जनता अपनी अगली सरकार चुनने के लिए आज वोट डाल रही है। राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम के साथ छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिजोरम और तेलंगाना राज्य के चुनाव परिणाम भी 11 दिसंबर को एक साथ आएंगे।

1998 से 2013 के विधानसभा चुनावों के दौरान, राजस्थान की जनता ने कभी भी किसी एक पार्टी की सरकार को दोबारा मौका नहीं दिया है। पिछली बार 1993 में जब बीजेपी ने राजस्थान में बैक-टू-बैक विधानसभा चुनाव जीते थे ठीक वैसा ही दावा इस बार कर रही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस इस बार फिर सत्ता में आने की उम्मीद रखती है।

खैर, राजस्थान में कौनसी पार्टी सरकार बनाएगी इसका फैसला अगले हफ्ते हो जाएगा लेकिन उससे पहले राजस्थान में तीन विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र ऐसे हैं जिनको सत्ता बनाने में अहम माना जाता है। केकड़ी, कपासन और कुंभलगढ़ ये तीन विधानसभा सीट ऐसी है जहां के समीकरणों से अगली सरकार की तस्वीर साफ होती है।

इन तीनों में से, राजस्थान में कपासन और केकड़ी विधानसभा सीटों पर 1951 से चुनावों में सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड रहा है। कपासन और केकड़ी से हर बार उसी पार्टी के लिए वोटिंग हुई है जो राजस्थान पर शासन करता है। 14 राजस्थान विधानसभा में से 13 में कपासन और केकड़ी का वोटिंग प्रतिशत हमेशा जीतने वाली पार्टी के पक्ष में रहा है।

कपासन

1977 तक जब जनता पार्टी ने राजस्थान में एंटी इंदिरा गांधी लहर नहीं बनाई तब तक कांग्रेस ने राजस्थान पर लगातार शासन किया। 1977 राजस्थान विधानसभा चुनाव में कपासन ने जनता पार्टी के उम्मीदवार मोहन लाल के लिए मतदान किया।

कपासन ने 1957 के बाद से हर चुनाव में राजस्थान पर शासन करने वाली पार्टी के लिए मतदान किया है। 1977 तक राजस्थान विधानसभा के पहले चुनाव को छोड़कर कपासन ने हर बार कांग्रेस उम्मीदवार चुने। भारतीय जनसंघ (जो अब बीजेपी है) के नेता भैरों सिंह शेखावत 1977 में पहली गैर-कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री बने।

शेखावत सरकार 1980 में गिर गई। उसके बाद दोबारा मतदान हुए जिसमें कपासन और राजस्थान ने कांग्रेस सरकार के लिए मतदान किया। अगला बदलाव 1990 में आया, जब कपासन ने जनता दल की उम्मीदवार श्यामा कुमारी को चुना। फिर 1990 में भाजपा ने जनता दल के समर्थन से राजस्थान में एक सरकार बनाई।

1992 में उत्तर प्रदेश में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद राजस्थान सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। 1993 में दुबारा चुनाव हुए जब कपासन और राजस्थान ने बीजेपी सरकार के लिए मतदान किया था और शेखावत फिर से मुख्यमंत्री बने।

केकड़ी

राजस्थान विधानसभा चुनाव 1967 को छोड़कर, कपासन ने हमेशा पार्टी के लिए वोट दिया है जिसने राज्य में सरकार बनाई है। एक स्वातंत्र पार्टी के उम्मीदवार ने 1967 में केकड़ी सीट जीती लेकिन कांग्रेस ने राजस्थान में सरकार बनाई। राजस्थान में सभी सीटों में से केकड़ी अपने आप में एक अपवाद है।

1990 में, केकड़ी ने जनता दल के उम्मीदवार शंभू दयाल को चुना और बीजेपी ने जनता दल के समर्थन से राजस्थान में सरकार बनाई।

1993 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में, जनता पार्टी टूटने के बाद शंभू दयाल ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में केकड़ी सीट जीती और यह आखिरी बार था जब केकड़ी ने लगातार कार्यकाल के लिए उम्मीदवार को फिर से निर्वाचित किया था।

कुम्भलगढ़

1951 से राजस्थान विधानसभा चुनावों में से कुंभलगढ़ विधानसभा सीट ने जिस एक पार्टी के लिए मतदान किया है उसी ने राजस्थान में सरकार बनाई है। हालांकि इसमें तीन अपवाद भी रहे जहां 1951 में बीजेएस ने कुम्भलगढ़ सीट जीती और कांग्रेस ने सरकार बनाई, 1962 स्वतंत्र पार्टी ने यह सीट जीती और 1990 जब कांग्रेस ने सीट जीती लेकिन बीजेपी ने राज्य में सरकार बनाई।

इसके अलावा, इन तीन विधानसभा सीटों में राजस्थान के छह अन्य निर्वाचन क्षेत्र हैं जिन्होंने 1990 से पिछले छह चुनावों में सत्तारूढ़ व्यक्ति के रूप में एक ही पार्टी के लिए मतदान किया था।

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