6 मार्च 2019 को इंग्लैण्ड के बर्मिंघम में बैडमिंटन का दूसरा सबसे बड़ा आयोजन शुरू हो चुका है। ऑल इंग्लैण्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप, बैडमिंटन का सबसे प्रतिष्ठित टूर्नामेंट माना जाता है। 6 मार्च से शुरू हुए इस टूर्नामेंट में मुकाबले 10 मार्च तक चलेंगे। यह बैडमिंटन जगत का दूसरा सबसे ज्यादा पुरस्कार राशि वाला टूर्नामेंट है। जिसकी पुरस्कार राशि लगभग 7 करोड़ रुपये (10 लाख डॉलर) है। जो विभिन्न विजेताओं में इस प्रकार बांटी जाती है – सिंगल्स के विजेता को करीब 50 लाख रुपये और डबल्स के विजेता को करीब 52 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाता है।
ऑल इंग्लैण्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप का पहली बार आयोजन 1899 में हुआ था। तब से अब तक 120 वर्षों से बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन (बीडब्ल्यूएफ) इसका आयोजन करवा रहा है। इस बार भारत की ओर से पांच बड़े खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहे हैं जो हैं – पीवी सिंधु, साइना नेहवाल, किंदाबी श्रीकांत, एचएस प्रणय और बी साईं प्रणीत।
ऑल इंग्लैण्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारतीय खिलाड़ियों का इतिहास
प्रकाश पादुकोण ने दिलाया देश को पहला खिताब
भारत में बैडमिंटन को बुलंदियों पर ले जाने में प्रकाश पादुकोण की बहुत बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने पहली बार भारत को 37 साल पहले 1980 में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीता कर इंग्लैंड में तहलका मचाया था।
प्रकाश पादुकोण को विश्व के सबसे पुराने बैडमिंटन टूर्नामेंट में खिताब जीतने वाले पहले भारतीय बनने का गौरव प्राप्त हुआ और उन्होंने भारत में बैडमिंटन को नई पहचान दी।
प्रकाश पादुकोण की ऐतिहासिक जीत
24 वर्ष के पादुकोण ने पुरुष वर्ग के एकल के फाइनल में इंडोनेशिया के लियेम स्वी किंग को 15-3, 15-10 से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। मजे की बात यह है कि उन्होंने दूसरी सीड इंडोनेशियाई बैडमिंटन स्टार का लगातार तीसरी बार टूर्नामेंट जीत कर हैट्रिक बनाने का सपना तोड़ा था।
लगातार दूसरी बार विजेता बनने से चूके पादुकोण
यही नहीं प्रकाश पादुकोण इस टूर्नामेंट के अगले साल 1981 में भी फाइनल तक जा पहुंचे थे। इस बार भी उनका मुकाबला उसी इंडोनेशियाई खिलाड़ी से हुआ, लेकिन किंग ने इस बार उन्हें 11-15, 15-4, 15-6 से मात दी और पादुकोण भारत को लगातार दूसरी बार यह टूर्नामेंट जीता न सके।
गोपीचंद बने दूसरे भारतीय विजेता
ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के 120 वर्षों के इतिहास में प्रकाश पादुकोण के अलावा पुलेला गोपीचंद ही एकमात्र भारतीय विजेता रहे हैं। उन्होंने 2001 में यह चैंपियनशिप जीतकर देश को दूसरी बार विजेता बनाया था।
भारत ने पिछले 18 साल से ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप में कोई खिताब नहीं जीता है जबकि महिलाओं में साइना नेहवाल 2015 में फाइनल तक जरूर पहुंचीं, लेकिन वह खिताब जीतने में असफल रहीं। साइना की जीत में स्पेन की प्रतिद्वंद्वी कैरोलिना मारिन बनी और वे उनसे हार गई।
पिछले साल पीवी सिंधु महिला सिंगल्स के सेमीफाइनल तक पहुंची थीं, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
5 दिन में 155 मैच होंगे, पहले दिन ही 80 मैच खेले जाएंगे
5 दिन चलने वाले टूर्नामेंट में सभी इवेंट मिलाकर कुल 155 मैच होंगे। इनमें से 80 मैच तो पहले दिन ही होंगे, जिसमें राउंड ऑफ-32 के मुकाबले होंगे।
भारत के शुरुआती मुकाबलों में श्रीकांत का सामना फ्रांस के ब्राइस लेवरडेज से, साईं प्रणीत का सामना हमवतन प्रणय से, साइना का सामना स्कॉटलैंड की क्रिस्टी गिलमोर से और सिंधु का सामना कोरिया की सुंग जी से होगा।
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