These changes have happened in the country from 1 April, 2019.
1 अप्रैल को वैसे दुनियाभर में अप्रैल फूल डे यानी मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसके अलावा यह दिन एक और वजह से भी ख़ास है, जो सीधे तौर पर आमजन से जुड़ा हुआ है। दरअसल, 1 अप्रैल से देश में नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होता है। नए वित्त वर्ष की शुरुआत के साथ ही कई तरह के बदलाव भी इसी दिन से लागू होते हैं जिनका सीधा असर आमजन के जीवन पर पड़ता है। कुछ बदलावों से आम आदमी के जीवन में आसानी आएगी वहीं, कुछ बदलावों से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइये जानते हैं इस बार 1 अप्रैल से देश में कौन-कौन से बदलाव हुए हैं..
1 अप्रैल, 2019 से देश में नए नियमों के लागू होने से घर खरीदने वालों को बड़ा फायदा मिलने वाला है। अब अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग या मकान पर जीएसटी 12 प्रतिशत की बजाय 5 फीसदी ही लगेगा। इसके अलावा अफोर्डेबल घरों पर अब से मात्र 1 फीसदी जीएसटी देनी होगी। इससे पहले 8 प्रतिशत जीएसटी वसूली जाती थी। नए प्रोजेक्ट्स पर नई कीमतें लागू होने से घरों की कीमतों में कमी होने की संभावना हैं।
1 अप्रैल से होने वाले बदलावों में यह एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। नौकरीपेशा से जुड़े लोगों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने एक अप्रैल से एक नया बदलाव किया है। इस बदलाव के तहत 1 अप्रैल 2019 के बाद कोई भी कर्मचारी अपनी नौकरी के लिए कंपनी बदलता है तो उसका पीएफ अकाउंट अपने आप दूसरी कंपनी में ट्रांसफर हो जाएगा। इसके लिए अब ईपीएफओ में अलग से आवेदन देने की जरूरत नहीं होगी।
1 अप्रैल से नेशनल पेंशन स्कीम में खाता खुलवाने वालों को टैक्स में पूरी तरह से छूट दी जाएगी। इस स्कीम के तहत सरकार पेंशन में 36 लाख कर्मचारियों की बेसिक सैलरी का 14 फीसदी योगदान देगी। जबकि कर्मचारियों का न्यूनतम योगदान पहले की तरह 10 प्रतिशत ही रहेगा। पहले सेवानिवृति के समय 60 फीसदी में से 40 फीसदी रकम टैक्स मुक्त थी। 20 फीसदी पर टैक्स देना होता था लेकिन अब यह पूरा पैसा टैक्स फ्री होगा। कर्मचारी रिटायरमेंट के समय कुल जमा फंड में से 60 फीसदी पैसा निकाल सकता है। बाकी 40 फीसदी रकम पेंशन स्कीम में यथावत बनी रहेगी।
एक अप्रैल से बिजली के लिए प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे। केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, 1 अप्रैल के बाद देशभर में बिजली के केवल प्रीपेड मीटर लगेंगे। ये नए प्रीपेड मीटर मोबाइल की तरह ही काम करेंगे। यानी उपभोक्ता को उसकी जरुरत के हिसाब से बिजली का रिचार्ज उपलब्ध कराया जाएगा। उपभोक्ता अब अपनी मासिक जरुरत को देखते हुए रिचार्ज करा सकता है। इससे बिजली बिल में घपला या धोखाधड़ी जैसी समस्याएं नहीं आने में भी मदद मिलेगी।
नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत से टैक्स रिफंड की पात्रता रखने वाले व्यक्ति को तभी टैक्स रिफंड किया जाएगा जब उसने अपने आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक करा लिया हो। जिन लोगों ने अभी तक टैक्स रिफंड के लिए अपने आधार कार्ड को पैन कार्ड से लिंक नहीं कराया है उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। बिना आधार लिंक के पात्र लोगों को रिफंड नहीं दिया जाएगा।
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एक अप्रैल, 2019 से कारें और बाइक्स खरीदना भी महंगा हो गया है। हुंडई, टाटा मोटर्स, रेनो, महिंद्रा समेत कई प्रमुख मोटर वाहन कंपनियों ने अपने वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी की घोषणा पहले ही कर दी थी। चौपहिया वाहन करीब 25 हजार रुपए तक महंगे हो सकते हैं। कच्चे माल की लागत में बढ़ोतरी और एक्सटर्नल इकोनॉमिक हालातों को देखते हुए कई वाहन निर्माता कंपनियों ने आपने वाहनों की कीमतों में बढ़ोतरी का ऐलान किया था।
1. 1 अप्रैल से ट्रेन टिकट पर रिफंड हो सकेगा। अगर किसी पैसेंजर की कनेक्टिंग ट्रेन छूट जाती है, तो उसे टिकट की रकम रिफंड कर दी जाएगी।
2. एक अप्रैल, 2019 से इनकम टैक्स से जुड़े कुछ नियमों में बदलाव हो गया है। अब 5 लाख रुपए तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है।
3. नए फाइनेंशियल ईयर से बीमा की किस्तें कम हो जाएंगी। इसके तहत 22 से 50 साल तक के लोगों की किस्तें कम होंगी। बीमा कंपनियां अब मृत्यु दर के नए आंकड़ों का पालन करेंगी। साथ ही बीमा कंपनियां 2006-08 के बजाय 2012-14 के डेटा का इस्तेमाल करेंगी।
4. दो बैंक देना बैंक और विजया बैंक 1 अप्रैल, 2019 से बैंक ऑफ बड़ौदा में मर्ज हो गए हैं। इन दोनों बैंकों के कस्टूमर के खाते अब बैंक ऑफ बड़ौदा में ट्रांसफर हो चुके हैं। इसके साथ ही बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन गया है।
5. एक अप्रैल, 2019 से बैंक लोन सस्ता हो सकता है। अब बैंक आरबीआई के रेपो रेट के आधार पर लोन देंगे। यानी कि रेपो रेट कम होने पर लोन भी तुरंत सस्ता हो जाएगा। गौरतलब है कि रेपो रेट वो दर होती है, जिस दर पर बैंकों को रिज़र्व बैंक से पैसा मिलता है। जैसे ही आरबीआई की रेपो रेट कम होगी तो बैंकों को भी ईएमआई या लोन तुरंत सस्ते करने होंगे।
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