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ये हैं पांच आईपीएस अधिकारी, जिनकी पहल से आए समाज में कई बदलाव

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) देश की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और अत्यधिक लोकप्रिय सिविल सेवाओं में से एक है। यह पुलिस विभाग का एक उच्च और प्रतिष्ठित नागरिक सेवा का पद है। इसमें आज भी कई बहादुर और समाज सेवा के प्रति समर्पित आईपीएस अधिकारी हैं, जो अपने सेवा काल में अपनी असाधारण प्रतिभा से समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाकर देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन रहे हैं।

ऐसे ही देश के पांच आईपीएस अधिकारियों के बारे में जानते हैं, जिन्होंने अपने पुलिस दायित्वों के साथ ही समाज में सकारात्मक सुधार किए हैं।

आईपीएस हर्ष पोद्दार ने अपराध और आतंक से लड़ने के लिए बनाई एक सेना

वर्ष 2013 में महाराष्ट्र काडर के आईपीएस अधिकारी हर्ष पोद्दार अपनी नई पुलिसिंग रणनीतियों और पहलों के लिए जाने जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में दूसरा सबसे ज्यादा किशोर अपराधी वाला राज्य महाराष्ट्र है। उनकी पहल पर एक युवा संसद चैम्पियनशिप नामक संस्था की शुरूआत की गई है, जिसके तहत महाराष्ट्र के 18 जिलों में अपराध और आतंक से लड़ने के लिए 2 लाख से अधिक युवा नेताओं को प्रशिक्षित किया है। इस पहल के माध्यम से उन्होंने छात्रों को मुफ्त कोचिंग और कॅरियर परामर्श प्रदान करने के लिए उड़ान परियोजना शुरू की। वह वर्तमान में नागपुर के डीसीपी के रूप में तैनात हैं।

आईपीएस रेमा राजेश्वरी ने फेक न्यूज पर कसा शिकंजा

रेमा राजेश्वरी वर्ष 2009 के आईपीएस बैच की आईपीएस अधिकारी है। वह वर्तमान में तेलंगाना के महबूबनगर में एसपी के पद पर कार्यरत हैं। राजेश्वरी ने पुलिस सेवा के साथ ही समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए कई कार्य किए हैं, जिनमें पुलिस अधिकारियों के लिए संवेदनशीलता प्रशिक्षण ‘जेंडर पीस प्रोग्राम’, हैदराबाद में ‘शी टीम्स’ की स्थापना, बाल सुरक्षा के लिए “बाल्यानिकी रक्षा” शुरू करना और बाल यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ना आदि शामिल हैं।

उन्होंने अपने क्षेत्र में बढ़ती फेक न्यूज के खिलाफ लोगों में जागरूकता लाने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है और ग्रामीण क्षेत्र के एक जीर्ण—शीर्ण विद्यालय की काया पलट दी है। अफवाह फैलाने वाली खबरों के खिलाफ आईपीएस अधिकारी रेमा राजेश्वरी ने करीब 500 ऑफिसर्स को ट्रेनिंग दी है और उनके द्वारा प्रदेश के 400 गावों में यह अभियान चलाया जा रहा है।

राजेश्वरी ने फेक न्यूज रोकने के लिए ट्रेनिंग देने के साथ ही वॉट्सएप का भी सहारा लिया है और कोई भी फेक न्यूज वायरल होने पर वह खुद वॉट्सएप पर मैसेज करती हैं और लोगों को जागरूक करती हैं। अब गांव के लोगों ने उन्हें अपने वॉट्सएप ग्रुप में जोड़ना शुरू कर दिया है, जिससे वह कई वॉट्सएप ग्रुप पर नजर रखती हैं।

आईपीएस संतोष कुमार मिश्रा देते हैं गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा

आईपीएस अधिकारी संतोष कुमार वर्ष 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। जब वह उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में तैनाते थे, तब उन्होंने वहां के गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की और लोगों को बच्चों को ​पढ़ाने के प्रति जागरूक किया।

संतोष कुमार सरकार द्वारा मिले कानून और व्यवस्था के दायित्वों को पूरी प्राथमिकता के साथ निभाने के अलावा, जब भी समय मिला उन्होंने अपली नौकरी के दौरान शिक्षा की स्थिति में सुधार करने के लिए कमजोर बच्चों को शिक्षित किया। वह समय निकालकर गरीब बच्चों के बीच कुछ वक्त जरूर गुजारते हैं और पढ़ाने के साथ उनको पढ़ाई के लिए संसाधन भी उपलब्ध करवाते हैं।

बता दें कि वह बिहार के रहने वाले हैं। आईपीएस बनने से पहले संतोष सन् 2011 में अमरीका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी पर कार्यरत थे, परंतु उन्हें 50 लाख के पैकेज वाली नौकरी ज्यादा पसंद नहीं आई। वह नौकरी छोड़कर समाज सेवा के लिए वापस अपने शहर आ गए और सिविल सर्विस की तैयारी की और पहली बार में ही वह आईपीएस के लिए चयनित हुए। उन्हें वर्तमान में उत्तर प्रदेश के इटावा में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में नियुक्त किया गया।

आईपीएस अतुल कुलकर्णी ने नशीली दवाओं से दिलाया छुटकारा

वर्ष 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी अतुल कुलकर्णी महाराष्ट्र के ठाणे स्थित भयंदर में एएसपी के पद पर आसीन हैं।

उन्होंने महिलाओं के लिए भरोसा सेल और एक अन्य नशे में जकड़े लोगों को नशा मुक्त करने के लिए संगठनों की स्थापना करके, जनता और पुलिस के बीच की खाई को पाटने की पहल की। उनके इन प्रयासों से ठाणे के लोगों में महिला सुरक्षा के प्रति छवि बदलने में काफी मदद मिली। यही नहीं उनके प्रयासों से क्षेत्र में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की समस्या से निजात मिल रही है।

आईपीएस आशीष तिवारी ने बदला बहुर के ​लोगों का जीवन

वर्ष 2012 में आईपीएस बने आशीष तिवारी ने उत्तर प्रदेश राज्य के नक्सल प्रभावित बहुर गांव में लोगों की भलाई और उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए नई पहल शुरू की। इस दौरान वह मिर्जापुर के एसपी थे।

उन्होंने स्मार्ट पुलिसिंग रणनीतियों को अपनाया। उन्होंने महिलाओं की ‘ग्रीन ब्रिगेड’ का गठन किया तथा जुआ, घरेलू दुर्व्यवहार और नक्सली गतिविधियों पर नजर रखने और उनसे मुकाबला करने में महिलाओं को सक्षम बनाया। वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एसपी के पद पर तैनात है।

Rakesh Singh

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