24 अक्टूबर, सोमवार को देशभर में महालक्ष्मी पूजा और दीपावली पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। भागवत और विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक, समुद्र मंथन से कार्तिक महीने की अमावस्या पर लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं। वहीं, वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजा की परंपरा है। वहीं, स्कंद और पद्म पुराण के अनुसार इस दिन दीप दान करना चाहिए, इससे पाप खत्म हो जाते हैं।
मान्यता है कि दिवाली पर दीपक पूजन करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजा से पहले कलश, भगवान गणेश, विष्णु, इंद्र, कुबेर और देवी सरस्वती की पूजा की परंपरा है। ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल दिवाली पर सूर्य ग्रहण का साया है, क्योंकि अमावस्या तिथि में सूर्य ग्रहण का सूतक काल प्रारंभ हो रहा है।
कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ – 24 अक्टूबर 2022, शाम 05.27
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त – 25 अक्टूबर 2022, शाम 04.18
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त (शाम) – 07.02 PM – 08.23 PM (24 अक्टूबर 2022)
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त (मध्यरात्रि) – 24 अक्टूबर 2022, 11.46 PM – 25 अक्टूबर 2022, 12.37 AM
प्रदोष काल – 05.50 PM – 08:23 PM
वृषभ काल – 07:02 PM- 08.58 PM
अपराह्न मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 05:27 PM – 05:50 PM
शाम मुहूर्त (चर) – 05:50 PM – 07:26 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 10:36 PM – 12:11 AM
अपने ऊपर, आसन और पूजन सामग्री पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से जल का छिड़काव कर यह शुद्धिकरण मंत्र पढ़ें-
ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपि वा। यःस्मरेत् पुण्डरीकाक्षं सबाह्याभ्यंतर: शुचिः।।
ये मंत्र पढ़ते हुए आचमन करें और हाथ धोएं..
ॐ केशवाय नमः, ॐ माधवाय नम:, ॐनारायणाय नमः ऊँ ऋषिकेशाय नम:
अनामिका अंगुली से चंदन/रोली लगाते हुए मंत्र पढ़ें-
चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्
आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।
कलश में जल भरकर उसमें सिक्का, सुपारी, दुर्वा, अक्षत, तुलसी पत्र डालें फिर कलश पर आम के पत्ते रखें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर वरुण देवता का आहवान मंत्र पढ़कर कलश पर छोड़ें –
आगच्छभगवान् देवस्थाने चात्र स्थिरोभव।
यावत् पूजा समाप्ति स्यात् तावत्वं सुस्थिरो भव।।
फिर कलश में कुबेर, इंद्र सहित सभी देवी-देवताओं का स्मरण कर के आव्हान और प्रणाम करें।
लक्ष्मी जी की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन जरूर करें। ॐ गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए गणेश जी को स्नान करवाने के बाद सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। इसके बाद हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कुबेर, इंद्र और भगवान विष्णु की मूर्ति पर चढ़ाते हुए मंत्र बोलें, सर्वेभ्यो देवेभ्यो स्थापयामि। इहागच्छ इह तिष्ठ। नमस्कारं करोमि। फिर सर्वेभ्यो देवेभ्यो नम: बोलते हुए सभी देवताओं पर पूजन सामग्री चढ़ाएं।
इस दिन अक्षत-पुष्प लेकर सरस्वती जी का ध्यान कर के आव्हान करें। फिर ऊँ सरस्वत्यै नम: मंत्र बोलते हुए एक-एक कर के सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं। साथ ही इसी मंत्र से पेन, पुस्तक और बहीखाता की भी पूजा करें। इसके बाद आप लक्ष्मी पूजा शुरू कर सकते हैं।
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