With the formation of a commission, there is a possibility of an impartial inquiry into forcible conversions in Pakistan?
आज़ादी के समय हुए भारत और पाकिस्तान के बंटवारे को 70 साल से अधिक हो चुके हैं। बंटवारे के समय पाकिस्तान में करीब 24 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या थी। 1941 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान वाले भूभाग पर बंटवारे से पहले 5.9 करोड़ गैर मुस्लिम धर्म के लोग रहते थे। बंटवारे के दौरान बड़े पैमाने पर हिंदुओं और सिखों का पलायन भारत की ओर हुआ। पाक से आज भी कम संख्या में ही सही लेकिन हिंदूओं का पलायन जारी है। बंटवारे के दौरान हुए दंगों में 2 से 10 लाख लोगों के मारे जाने की बात कही जाती रही है।
लगभग 19 साल बाद 2017 में हुई पाकिस्तान की जनगणना में हिंदुओं की आबादी घटकर अब 1.2 फीसदी रह गई है। वहीं, क्रिश्चियन की जनसंख्या फीसदी करीब 12 लाख दर्ज की गई है। इस जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में अब मात्र 14 लाख हिंदू रह रहे हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों और ख़ासकर हिंदूओं पर होने वाले अत्याचार व जबरन धर्मांतरण के मामले रूक नहीं रहे हैं। हालिया मामला दो हिंदू बहनों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन कर निकाह करने का है। यह मामला भारत समेत दुनिया में चर्चा बना हुआ है। इसी बीच पाकिस्तान की हाईकोर्ट ने एक आयोग का गठन किया है। आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला..
मार्च माह के अंत में पाकिस्तान स्थित सिंध प्रांत में दो हिंदू नाबालिग बहनों के अपहरण के बाद उनका जबरन धर्म परिवर्तन कर निकाह करने के मामले की जांच के लिए इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने एक आयोग का गठन कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह की बेंच ने दोनों बहनों और उनके कथित पतियों की ओर से सुरक्षा मांगे जाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है। इस मामले के मीडिया में आने के बाद पड़ोसी देश पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों में भारी गुस्सा देखने को मिला है। गौरतलब है कि इन हिंदू लड़कियों से कथित तौर पर सफदर अली और बरकत अली नाम के युवकों ने निकाह कर लिया था। पाक के न्यूज़पेपर एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों लड़कियों ने कोर्ट में कहा कि वह घोतकी हिंदू परिवार से संबंधित रखती हैं, लेकिन उन्होंने अपनी मर्जी से इस्लाम अपनाया है। अख़बार ने लिखा है कि उन्होंने इस्लाम की शिक्षाओं से प्रभावित होकर ऐसा किया है।
दोनों हिंदू लड़कियों के परिवार की तरफ से न्यायालय के समक्ष पेश हुए वकील ने कहा कि इस मामले की स्वतंत्र रूप से जांच होनी चाहिए। हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने इस मामले को सुलझाने के लिए सिफारिशें मांगी हैं। मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच की जरूरत है। यह जांच न्यायपालिका का नहीं बल्कि सरकार का काम है। हाईकोर्ट बेंच ने कहा हमारा काम यह देखना है कि कहीं जबरन धर्मांतरण तो नहीं हुआ है। इसके साथ ही अदालत ने एक 5 सदस्यीय आयोग के गठन का आदेश दिया है। यह आयोग इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कर रिपोर्ट पेश करेगा। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इस देश की सबसे अधिक हिंदू आबादी रहती है।
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद स्थित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अतहर मिनाल्लाह ने कहा कि अदालत यह सुनिश्चित करेगी कि इन दोनों हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन किसी भी तरह की जबरदस्ती के साथ तो नहीं हुआ है। इसे लेकर गठित किए आयोग में केन्द्रीय मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी, मुफ्ती ताकी उस्मानी, डॉक्टर मेहंदी, अधिवक्ता आईए रहमान तथा राष्ट्रीय महिला आयोग की प्रमुख खावर मुमताज को शामिल किया गया है। हाईकोर्ट की बेंच ने केन्द्र सरकार को आयोग की बैठकें आयोजित करने की जिम्मेदारी दी है। लेकिन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को न्याय मिलने की कल्पना करना भी आसान नहीं है। कमेटी में शामिल सभी लोग मुस्लिम हैं, ऐसे में धर्म के नाम पर बने पाक जैसे देश में अल्पसंख्यकों के साथ न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में ये समस्या है कि हालात कोई भी हों धर्म परिवर्तन हिंदू को ही करना होता है। यहां तक कि अगर एक मुसलमान महिला को किसी हिंदू लड़के से प्यार हो जाए तो हिंदू व्यक्ति को धर्म परिवर्तन कर मुसलमान बनना होगा अन्यथा पाकिस्तान में क़ानूनी और संवैधानिक रूप से वह शादी संभव नहीं हो सकती। वर्ष 2010 में पाकिस्तान में मानवाधिकार आयोग के एक अधिकारी ने कहा था कि हर महीने तकरीबन 20 से 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण करने के बाद जबरिया धर्म बदलकर उनकी शादी कराई जाती है। ये तादाद और भी बड़ी संख्या में हो सकती है। साउथ एशिया पार्टनरशिप का कहना है कि पाकिस्तान में हर साल कम से कम 1000 लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया जाता है।
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जबकि पाकिस्तान के जन्म के बाद कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने 17 अगस्त, 1947 को दिए अपने भाषण में कहा था कि अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में भयमुक्त होकर रहने की जरूरत है। उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा, आप स्वतंत्र हैं। निडर होकर अपने धर्मस्थलों पर जाएं। आप चाहे किसी भी धर्म, जाति और समुदाय के क्यों ना हों, आप सभी पाकिस्तान राष्ट्र के नागरिक हैं। सभी के लिए यहां कानून और दर्जा एक जैसा होगा, लेकिन बंटवारे के बाद से ऐसा पाकिस्तान में कभी हुआ नहीं है। पाकिस्तान द्वारा जबरन लड़कियों के धर्म परिवर्तन मामले में आयोग गठित करना अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अपनी ख़राब होती साख को बचाने का प्रयास से ज्यादा कुछ नहीं है। ऐसे में पाक से आगे भी कोई उम्मीद करना बेमानी होगी।
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