गत 1 फरवरी को पेश हुए बजट में प्रस्तावित नए टैक्स स्लैब से देश में करदाताओं को राहत जरूर मिली है लेकिन बीमा करने वाले एजेंटों को काफी हद तक नुकसान उठाना पड सकता है। आखिर किस तरह और क्यों एजेंटों को उठाना पड सकता है नुकसान, जानिये इस मामले में विस्तार से –
बजट में प्रस्तावित नए टैक्स स्लैब में कर देने वाले लोगों को टैक्स बचत के उपाय किए बिना टैक्स भुगतान करने का विकल्प मिला हुआ है। इस तरह टैक्स देने वाले लोग अब बीमा करवाने से बचेंगे जिससे बीमा एजेंटो को सीधा नुकसान उठाना पड जाएगा।
पहले यह था विकल्प
पुराने टैक्स स्लैब में टैक्स पे करने वाले लोगों के पास जीवन या हेल्थ बीमा खरीदने या अन्य चीजों में निवेश कर टैक्स बचाने का ओप्शन मिलता था और इस तरह ज्यादा पॉलिसी बिकने से एजेंटों को मोटा फायदा मिलता था।
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बीमा बेचना हो जाएगा मुश्किल
इधर इस मामले में एलआईसी एजेंट्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया के महासचिव पीजी दिलीप का कहना है कि इंडिया में बीमा पॉलिसी खरीदी नहीं बल्कि बेची जाती हैं और लोगों को बचत के साथ सुरक्षा भी मिलती है। अब नए टैक्स स्लैब नियम से एजेंटों को बहुत मुश्किल हो जाएगी।
एलआईसी एजेंट्स यूनियन पदाधिकारी पीजी दिलीप का कहना है कि एलआईसी में करीब 12 लाख एजेंट काम करते हैं। इसके अलावा देश में 1 लाख से 5 लाख तक की पॉलिसियां अधिक बेची जाती हैं। अब नए टैक्स स्लैब से बीमा योजना खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी और टैक्स चुकाने वाले लोगों द्वारा रूचि नहीं लिए जाने का कारण बीमा बेचना एजेंटो को बहुत मुश्किल हो जाएगा।
इधर नए टैक्स स्लैब से एजेंट ही नहीं बल्कि कंपनियों को भी काफी झटका लग सकता है। क्यों कि बीमा बेचते समय एजेंट टैक्स सेविंग की बात जरूर बोलते हैं इस वजह से लोग लाइफ या हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते हैं और इस तरह देश में बीमा का दायरा धीरे-धीरे घट सकता है।
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