नेशनल पेमेंट्स कॉपरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के जरिए अब तक कई ऐप यूपीआई से पैसे ट्रांसफर करने की सुविधा दे रही थी। लेकिन अब एनपीसीआई ने सभी घरेलू यूपीआई मर्चेंट (पी2एम) ट्रांजेक्शन के लिए यूपीआई इंटरचेंज व पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर (पीएसपी) शुल्कों को समाप्त करने की मंजूरी दे दी गई है। इस घोषणा की सूचना शुक्रवार को संबंधित सर्कुलर जारी कर दी। जिसके अनुसार शुल्क में बदलाव 1 जनवरी, 2020 से लागू होगा। यह शुल्क अभी 30 अप्रैल, 2020 तक की अंतरिम अवधि के लिए ये शुल्क हटाए गए हैं। इस फैसले से अमेजन, गूगल पे व फोनपे जैसी कंपनियों को नुकसान होने की आशंका है। यह मैंडेट्स, ईएमआई, ओवरड्राफ्टी अकाउंट और ब्रांच टू ब्रांच (बी2बी) कलेक्शंस व पेंमेंट्स पर लागू नहीं होगा। यह फैसला मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) समाप्त किए जाने के बाद लिया गया है।
मर्चेंट डिस्काउंट रेट वह शुल्क है, जिसे दुकानदार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर ग्राहक से वसूलता है। सरल शब्दों में कहें कि यह डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की सुविधा पर लगने वाला शुल्क है। यह शुल्क दुकानदार के पास नहीं आती है, बल्कि कार्ड से होने वाले हर पेमेंट के एवज में उसे एमडीआर चुकानी पड़ती है।
एमडीआर से हासिल राशि तीन हिस्सों में बंट जाती है। सबसे बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है। इसके बाद कुछ हिस्सा उस बैंक को मिलता है, जिसकी प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीन दुकानदार के यहां लगी होती है। अंत में एमडीआर का कुछ हिस्सा पेमेंट कंपनी को मिलता है। वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस प्रमुख पेमेंट कंपनियां हैं।
डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने डेबिट कार्ड, BHIM UPI या आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली के माध्यम से दिसंबर 2020 तक किये जाने वाले 2,000 रुपए तक के लेन-देन पर MDR शुल्क वहन करने का निर्णय लिया।
एनपीसीआई इस फैसले से अमेजन पे, गूगल पे और फोनपे जैसी पेमेंट गेटवे कंपनियों की आय प्रभावित हो सकती है। इन कंपनियों ने यूपीआई इकोसिस्टम में काफी इन्वेस्टमेंट किया है। यह साफ नहीं हो पा रहा है कि जो शुल्क पहले ही वसूले जा चुके हैं, उनकी वापसी किस तरह होगी। क्योंकि यह आदेश एक जनवरी से लागू होगा। ऐसे में इस बीच यूपीआई इंटरचेंज व पीएसपी शुल्क के रूप में ग्राहकों से जो पैसे लिए गए हैं उनकी वापसी को लेकर भी कंपनियों के बीच संशय की स्थिति है।
यदि ये शुल्क समाप्त कर दिए जाते हैं तो गूगल पे, फोनपे, अमेजन पे जैसे थर्ड पार्टी एप के लिए यूपीआई ट्रांजेक्शंस से होने वाली कमाई प्रभावित होगी। अभी तक इन थर्ड पार्टी एप को हर यूपीआई ट्रांजेक्शंस पर औसतन करीब 30-35 पैसे पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर फीस के तौर पर कमाई होती है। इस फैसले से इन कंपनियों द्वारा पेमेंट गेटवे के कारोबार को चालू रखने में मुश्किलें आ सकती हैं।
रोहित शर्मा ने सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ फील्डिंग की सजावट की और कप्तान हार्दिक पांड्या…
अग्निवीर स्कीम को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने…
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) रोक लगाने से इनकार कर दिया…
चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बड़ी भविष्यवाणी की है। प्रशांत…
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंफोसिस के चेयरमैन नारायण मूर्ति…
कोलकाता हाई के पूर्व जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय भाजपा में शामिल हो गए है। उन्होंने हाल…
Leave a Comment